रीमा राठौर सीरीज़
रावण की बारात
अनिल सलूजा
पुलिस स्टेशन के एस०एच०ओ० के ऑफिस में अपनी कुर्सी पर बैठे सिकंदर ठाकरे ने अपनी झाड़ीदार मूंछों पर हाथ फेरते हुए अपने सामने खड़े उस व्यक्ति को देखा—जिसके चेहरे पर बेचारगी के भाव नजर आ रहे थे।
वह करीब तीस साल का साधारण शक्लो-सूरत का आदमी था—मगर कद-काठ में वह बढ़िया था। सीना बाहर को निकला हुआ—चौड़े कंधे चौड़ा माथा, उसके ताकतवर और अक्लमंद होने की गवाही दे रहे थे।
उस वक्त उसने हल्के नीले रंग की जीन्स के ऊपर लाइनों वाली टी-शर्ट पहनी हुई थी।
ठाकरे ने निगाहें उसके चेहरे पर जमाई और चेहरे पर प्रश्नभरे भाव लाते हुए बोला—
“कहो...।”
कुछ कहने की बजाय उस व्यक्ति की आंखें भर आईं...! होंठ कुछ कहने के लिए कांपे तो जरूर, मगर मुंह से बोल नहीं फूटा उसके...ऐसा नजर आ रहा था जैसे उसके दिल का दर्द आंखों के रास्ते बाहर आ गया हो।
“अरे भाई! आंसू बहाने से मैं तुम्हारी कोई समस्या हल नहीं कर सकता—जब तक तुम बोलोगे नहीं कि तुम्हें तकलीफ क्या है—मैं तुम्हारा इलाज कैसे करूंगा? पहले नाम बोलो अपना।”
“र...रा...ज...पाल...।” भर्राये तथा कांपते स्वर में बोला वह।
“कहां रहते हो...?”
“महेश्वरी में...एल दो-सी नव्वे...के ब्लॉक...।”
“काम क्या करते हो...?” उसे सामान्य करने के इरादे से पूछा ठाकरे ने।
“एक मल्टीनेशनल कंपनी में बतौर असिस्टेंट मैनेजर हूं।” अपने आंसू पोंछते हुए बोला राजपाल।
“बैठो...।” ठाकरे ने एक कुर्सी की तरफ इशारा किया।
वह महेश्वरी जैसे पॉश इलाके में रहता था ऊपर से मल्टीनेशनल कंपनी में असिस्टेंट मैनेजर था। ऐसे में वह अमीर नहीं तो उच्च मध्यमवर्गीय श्रेणी में तो आता ही था। राजपाल एक कुर्सी पर बैठ गया।
“अब बोलो...क्या समस्या है तुम्हारी...?” उसके चेहरे पर निगाहें गड़ाते हुए बोला ठाकरे।
राजपाल ने जोरों से थूक सटकी और फिर भर्राये स्वर में बोला—
“उ...उसने मेरी बीवी को मुझसे छीन लिया है।”
“किसने...?” हल्के से चौंकते हुए पूछा ठाकरे ने।
“कि...किशन लाल ने।”
“यह किशन लाल कौन हुआ?”
“पटेलनगर में रहता है वो...पिछले पंद्रह दिनों से मेरी पत्नी मानसी घर से गायब थी। उसकी गुमशुदगी की मैंने महेश्वरी थाने में रिपोर्ट भी लिखाई थी...और, कल मेरे को पता लगा कि वह पटेलनगर में किशन लाल के पास रह रही है। मेरी पत्नी मुझे वापिस दिला दीजिए सर...।” रो पड़ा राजपाल।
“तुमने किशन लाल से बात की थी...?”
“ह...हां...मानसी से भी वापिस घर चलने को कहा था...लेकिन उसने तो मुझे पहचानने से ही इंकार कर दिया।”
“और किशन लाल ने क्या कहा था...?”
“वो तो मुझे मार ही डालता...अगर मैं वहां से भाग खड़ा न होता तो।”
ठाकरे ने टेबल की ड्रॉअर में से कागज निकालकर उसके सामने रखा और फिर पेन स्टैंड में से एक पेन निकालकर कागज पर रखते हुए बोला—
“अपनी रिपोर्ट लिखकर दो...।”
राजपाल ने पेन उठाया और रिपोर्ट लिखने लगा।
इधर सिकंदर ठाकरे ने फोन घसीटकर अपने सामने किया और उसका रिसीवर उठाकर कान से लगाकर महेश्वरी थाने का नम्बर मिलाया और दूसरी तरफ से आ रही घंटी की आवाज को सुनने लगा।
शीघ्र ही उसके कान में फोन उठाये जाने की आवाज आई—फिर एक स्वर उसके कान में पड़ा—
“इंस्पेक्टर मनोज पाण्डे स्पीकिंग...।”
“मैं सीनियर इंस्पेक्टर सिकंदर ठाकरे बोल रहा हूं...।” ठाकरे बोला।
“ओह! सर आप...हुक्म कीजिए...।”
“पंद्रह दिन पहले आपके पास किसी राजपाल ने अपनी पत्नी की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई थी...?”
कहते हुए उसने राजपाल को देखा जो अपना सिर उठाकर उसे देखने लगा था। उसने इशारे से उसे अपना काम करते रहने को कहा।
तुरंत राजपाल का सिर फिर से कागज पर झुक गया।
“जी हां सर...।” दूसरी तरफ से आवाज आई—”वह फ्रॉड है सर...कल उसने एक दूसरी औरत पर अपनी पत्नीं होने का दावा ठोंक दिया...मैंने उस औरत से पूछताछ की तो उसने घबराने की बजाय उलटे राजपाल को ही खरी-खोटी सुना डाली। यह औरत पिछले पांच साल से किशन लाल के साथ बतौर उसकी पत्नी के रह रही है...इस बात की तस्दीक उसके पड़ोसियों ने भी की थी।”
“ओह!”
“अब आप ही बताइए सर मैं कैसे कुछ कर सकता था...सो मैंने राजपाल से कह दिया कि अगर अब उसने उस औरत को बदनाम करने की कोशिश की तो मैं उसे अंदर कर दूंगा।”
“थैंक्यू...।”
कहकर ठाकरे ने रिसीवर क्रेडिल पर टिकाया और फोन को थोड़ा परे खिसकाकर राजपाल को देखने लगा जो रिपोर्ट लिख रहा था।
उससे रिपोर्ट लेकर ठाकरे ने उस पर एक नजर मारी—फिर उसे टेबल पर रखते हुए उससे पूछा—
“कितना वक्त हो गया तुम्हारी शादी को...?”
“साढ़े पांच साल हो गए हैं।” राजपाल ने जवाब दिया।
“कोई बच्चा भी है तुम्हें...?”
“नहीं...।” राजपाल ने सिर दायें-बायें हिलाते हुए कहा।
“किशन लाल के कितने बच्चे हैं?”
“उ...उसका बच्चा कैसे हो सकता है सर...अभी पंद्रह दिन ही तो हुए हैं मेरी पत्नी को उसके पास रहते हुए।”
“तुम्हारे पास कोई सबूत है कि किशन लाल के पास रह रही औरत तुम्हारी ही बीवी है?”
“मेरे पास हमारी शादी की एलबम है सर। उसके अलावा मेरे अड़ोस-पड़ोस के लोग भी तस्दीक कर सकते हैं कि वह मेरी ही पत्नी है।”
ठाकरे ने रिपोर्ट पर पेपरवेट रखा, टेबल पर रखी कैप उठाकर सिर पर रखी—मूंछों पर एक बार हाथ फेरा—फिर कुर्सी छोड़कर खड़ा हो गया। “चलो...।” वह गंभीरता से बोला—”देखते हैं कौन है वो...।”
तुरंत खड़ा हो गया राजपाल।
¶¶
कालबेल बजने पर दरवाजा करीब पच्चीस वर्षीय एक खूबसूरत और हसीन युवती ने खोला।
उस वक्त वह बदन पर हल्के नीले रंग की नाईटी डाले हुए थी।
अभी तो शाम भी नहीं हुई थी और वह नाईटी पहने थी—उसी से पता चलता था कि यह घर में ऐसे ही रहती होगी। मगर बाल उसने ठीक ढंग से संवार रखे थे, चेहरा भी साफ था।
ठाकरे को देखकर वह पहले तो हड़बड़ाई...फिर जैसे ही उसकी नजर ठाकरे के बाईं तरफ पड़ी, उसकी हड़बड़ाहट गुस्से में तब्दील हो गई।
“तू फिर आ मरा मरदूद...?” वह गुस्से से बोली—फिर भीतर की तरफ मुंह करके चीखी—”सुनते हो...जरा बाहर आना।”
शीघ्र ही किशन लाल बाहर आ गया।
किशन लाल गोरे रंग का ऊंचा लम्बा व्यक्ति था। उसके चेहरे से ही रईसी टपकती थी और आंखों में एक रौब नजर आता था।
ठाकरे को देखकर वह हड़बड़ा उठा।
“क्या बात है इंस्पेक्टर...?” वह गंभीर होते हुए बोला।
“इस मरदूद को देखो...।” गुस्से में चीखी औरत और राजपाल की तरफ इशारा किया।
किशन लाल ने जैसे ही राजपाल को देखा उसका चेहरा सुर्ख हो उठा।
“तू...।” वह फुंफकारा।
“यह मेरे साथ है मिस्टर...।” तभी ठाकरे गुर्रा उठा—“अपने आपे में रहो...।”
“यह हरामजादा मेरे घर को बर्बाद करने की कोशिश कर रहा है—और तुम कहते हो कि अपने आपे में रहो?” गुस्से में भड़का किशन लाल।
“ऐसे तो यह भी कह रहा है कि तुमने इसे बर्बाद किया है।”
“मैं तो इस कमीने को जानता ही नहीं...फिर भला इसे बर्बाद कैसे करूंगा?”
“इसकी बीवी को तो जानते ही हो—जो तुम्हारे साथ खड़ी है?”
“बकवास कर रहे हो तुम इंस्पेक्टर...।” गुस्से में चीख ही पड़ा किशन लाल—“यह मेरी ब्याहता है। साढ़े पांच साल पहले हम दोनों की शादी हुई थी।”
ठाकरे ने गहरी सांस छोड़ी और गंभीरता से बोला—
“क्या यह बेहतर नहीं होगा कि हम आराम से भीतर बैठकर बात करें? यहाँ दरवाजे पर चीखोगे तो नुकसान तुम्हारा ही होगा।”
“ल...लेकिन...1”
“यह कुछ नहीं बोलेगा...।” राजपाल की तरफ देखते हुए बोला ठाकरे—“जब तक मैं नहीं कहूंगा उसके होंठ नहीं हिलेंगे।”
“नहीं...।” दृढ़ता से बोला किशन लाल—“मैं इस हरामखोर को अपने घर में पैर भी नहीं रखने दूंगा और न ही तुम्हारा मेरे घर में आने का कोई मतलब है।” ठाकरे ने खा जाने वाली आंखों से उसे देखा।
“लगता है पुलिस से तुम्हारा अभी वास्ता नहीं पड़ा...जो ऐसी बकवास कर रहे हो।” वह गुर्राया—“अब दो सिपाही आयेंगे यहां—जो तुम दोनों को पकड़कर थाने लें जायेंगे। अब जो भी पूछताछ होगी—थाने में ही होगी और पुलिस पूछताछ कैसे करती है—यह तुमने सुना तो जरूर ही होगा।”
कहकर वह राजपाल की तरफ मुड़ा—“चलो...।” वह गुर्राया।
“सु...नो...।” तभी बुरी तरह से बौखलाया हुआ बोला किशन लाल।
ठाकरे ने गर्दन उनकी तरफ मोड़ी।
दोनों मियां-बीवी के चेहरों के रंग उड़े हुए थे। “अ...आ जाओ।” किशन लाल थूक सटकते हुए बोला।
निश्चय ही वह थाने जाने के नाम से बुरी तरह से घबरा गया था।
हल्के से मुस्कुरा पड़ा ठाकरे—“अगर यही शब्द तुम पहले ही कह देते तो तुम्हें इतनी बात तो न सुननी पड़ती...।”
कुछ नहीं बोला किशन लाल और एक तरफ हट गया। कुछ ही देर में चारों किशन लाल के ड्राइंगरूम में सोफों पर बैठे थे।
ड्राइंगरूम की साज-सज्जा देखकर ही पता चल रहा था कि किशन लाल काफी मोटा कमा रहा है।
एक कोने में ट्रॉली पर फ्रेम में जड़ी किशन लाल और उसकी पत्नी की तस्वीर थी जिसमें वे दोनों एक-दूसरे के गले में बाहें डाले मुस्कुरा रहे थे।
“यह तस्वीर कब की है...?” ठाकरे तस्वीर की तरफ उंगली करते हुए बोला।
“तीन साल पुरानी है...वैष्णों देवी गये थे हम...वहीं खिंचवाई थी।” किशन लाल बोला।
ठाकरे ने उसकी पत्नी की तरफ देखा—“क्या नाम है तुम्हारा?”
“स...सीता...।” थूक सटकते हुए बोली वह।
“मायका कहां है तुम्हारा...?”
“पूना में...मगर मेरे मां-बाप नहीं हैं अब...।”
“कोई और सगा-संबंधी जो इस बात की तस्दीक कर सके कि तुम किशन लाल की ही पत्नी हो?”
“हमने, लव-मैरिज की थी।” किशन लाल बोल पड़ा—“घर से भागकर की थी शादी और उस शादी का हमारे पास बकायदा सबूत है।”
“दिखाओ...।”
किशन लाल तुरंत उठा और बाहर निकल गया। शीघ्र ही वह वापिस लौटा तो उसके हाथ में एक एलबम थी।
उसने एलबम ठाकरे के हाथ में दी और बोला—“पूना के लोधी रोड पर किशन मन्दिर में शादी की थी हमने...शादी की तमाम रस्मों की तस्वीरें हैं इसमें...।” उसने एलबम की तरफ इशारा किया।
ठाकरे ने एलबम खोलकर देखी।
सबसे पहले दोनों सीता और किशन लाल की दिल की शेप में बनी अलग-अलग तस्वीरें थीं जिसमें सीता लाल जोड़ा पहने मुस्कुरा रही थी।
दुल्हन का पूरा मेकअप किया हुआ था उसने।
उसने पेज पलटा।
आगे की तस्वीर लग्न मंडप की थी जिसमें दोनों लग्नमंडप में बैठे थे—उनके सामने अग्नि जल रही थी तथा अग्नि के पीछे पण्डित बैठा आग में चम्मच से घी डाल रहा था। सीता और किशन लाल के पीछे चार-पांच आदमी खड़े थे। उनके साथ तीन औरतें भी थीं।
ठाकरे ने आगे की तस्वीरें देखीं जिनमें दोनों के फेरों की तस्वीरें थीं—उसके बाद दोनों के साथ उन लोगों की तस्वीरें थीं जो कि वह पहले भी देख चुका था।
“यह लोग कौन हैं...?” ठाकरे ने उन तस्वीरों पर उंगली रखते हुए किशन लाल से पूछा।
“यह दो मेरे दोस्त हैं—यह मेरे मामा जी हैं और यह मेरा पड़ोसी है।” कहते हुए उसने अपना दायां हाथ दाईं तरफ किया।
“और यह औरतें...?”
“यह मेरी बड़ी बहन है...यह भाभी...और यह मेरे इस दोस्त की बीवी है।” उसने एक आदमी की तस्वीर पर उंगली रखी।
“कहां रहते हैं यह लोग...?”
किशन लाल ने सबके पते बताए।
“क्या यह लोग गवाही देंगे कि तुम दोनों पांच साल से पति-पत्नी हो?”
“बेशक...।” दृढ़ता से बोला किशन लाल—“आप बाहर निकलकर मेरे किसी भी पड़ोसी से पूछताछ कर सकते हैं।”
ठाकरे ने सीता की तरफ देखा।
“तुम क्या कहती हो?”
सीता का चेहरा भभक उठा—“पता नहीं कौन है यह कमीना—जो मेरा घर बर्बाद करने पर तुला हुआ है...।” वह फाड़ खाने वाली आंखों से राजपाल को देखते हुए बोली—“मैं इसे जानती तक नहीं...।”
राजपाल के होंठ फड़फड़ाये, साथ ही उसकी आंखों में आंसू भरने लगे।
“न...नहीं मानसी...।” उसकी आवाज भर्रा गई—“ऐसा मत कहो मैं मानता हूं कि मैंने तुम पर जुल्म किए मगर इसकी सजा मुझे इस तरह तो मत दो। घर छोड़कर तुम किसी और के साथ...।”
“बकवास बंद कर हरामजादे...।” दहाड़ते हुए किशन लाल खड़ा हुआ और राजपाल की तरफ झपटा। अगर ठाकरे उसे बीच रास्ते में न पकड़ लेता तो वो अवश्य ही राजपाल को चीर-फाड़ करके रख देता।
“होल्ड ऑन मिस्टर...।” गुर्राया ठाकरे—“तुम इस तरह कानून को अपने हाथ में नहीं ले सकते।”
“कमाल कर रहे हैं आप इंस्पेक्टर...।” भड़के अंदाज में बोला किशन लाल—“यह हरामजादा मेरे सामने मेरी बीवी से ऐसी-ऐसी बातें कर रहा है और आप कह रहे हैं मैं इसे कुछ न कहूं...। मेरा दिल तो यह कर रहा है इस कुत्ते को जान से मार डालूं...।”
कहते हुए उसने खा जाने वाली आंखों से राजपाल को घूरा।
राजपाल की आंखों से झर-झर आंसू बहने लगे—जैसे अपमान से उसका कलेजा फटा जा रहा हो।
“इससे जवाब-तलबी मैं करूंगा किशन लाल...।” ठाकरे सख्ती से बोला—“तुम चुपचाप अपनी जगह पर जाकर बैठो।”
किशन लाल राजपाल को फाड़ खाने वाली आंखों से घूरते हुए वापिस अपनी जगह पर जा बैठा।
सीता भी उसे वैसे ही देख रही थी—जैसे किशन लाल देख रहा था। मगर उसके चेहरे पर दुख और अपमान के भाव भी नजर आ रहे थे।
ठाकरे ने गर्दन राजपाल की तरफ घुमाई।
“किशन लाल ने तो सीता को इस एलबम के जरिए अपनी बीवी साबित कर दिया है। अब क्या कहते हो तुम? क्या तुम्हारे पास भी ऐसा ही कोई ठोस सबूत है?” राजपाल ने थूक सटकी और बोला—
“मेरे पास हम दोनों की शादी की तस्वीरों के साथ-साथ वीडियो फिल्म भी है सर। जिसमें मैं मानसी के साथ शादी कर रहा हूं...।” कहते हुए उसने सीता की तरफ इशारा किया।
“बकवास करता है यह कुत्ता...।” चीख पड़ी सीता—“जब मैं इसे जानती ही नहीं तो इसके साथ शादी कैसे कर सकती हूं?”
“यह कोई बहुत बड़ा फ्रॉड है इंस्पेक्टर...अरे मरदूद...।”
किशन लाल ने राजपाल को खा जाने वाले अंदाज में घूरा—“बर्बाद करने के लिए सिर्फ मेरा ही घर मिला था तेरे को ? मैंने तो तेरा कुछ नहीं बिगाड़ा—फिर तू क्यों मेरी जिंदगी में जहर घोलने पर तुला हुआ है?”
“बर्बाद तो मेरा घर हुआ है...।” भर्राये स्वर में बोला राजपाल—“जहर तो मेरी जिंदगी में घुला है। तुम तो मेरी बीवी के साथ ऐश कर रहे हो और मैं...।”
“यह मेरी बीवी है हरामजादे...।” दहाड़ उठा किंशन लाल।
“यह तुम्हारी नहीं मेरी बीवी है—और मेरे पास इस बात के पुख्ता सबूत भी हैं।”
“वो सारे सबूत नकली होंगे...तूनें घड़े होंगे...।”
“ऐसे तो यह भी हो सकता है कि यह सबूत भी नकली हों।” ठाकरे बीच में बोला—साथ ही उसे एलबम दिखाई।
“यह असली तस्वीरें हैं...मेरे पास मेरी शादी में शरीक हुए लोग गवाह भी हैं। मेरे अड़ोसी-पड़ोसी भी गवाह हैं।”
“मेरे पास तो मानसी के मां-बाप भी गवाह हैं जो इस बात की तस्दीक कर सकते हैं कि यह सीता नहीं...मानसी है...मेरा पूरा मौहल्ला भी गवाही देगा और शादी में शरीक सारे लोग भी गवाह होंगे...।”
“मगर तू फिर भी झूठा है।” चींखी सीता।
“खड़े हो जाओ...।” तभी गुर्राया ठाकरे और खड़ा हो गया।
आदेश मिलते ही सभी हड़बड़ाते हुए खड़े हो गए। ठाकरे ने किशन लाल और सीता की तरफ हाथ लहराया और सख्ती से बोला—
“तुम दोनों मेरे साथ चल रहे हो...।”
“क...हां...?”
“राजपाल के घर...जहां तुम भी इसके द्वारा पेश किए सबूत देखोगे—उसके बाद ही फैसला होगा कि सीता, सीता है या मानसी है।”
“मैं सीता ही हूं।”
“अभी मैं तुम्हारा समर्थन नहीं करूंगा। जो भी होगा—वो सबूत देखने के बाद होगा और मैं यह एलबम भी साथ ले जाऊंगा...जरूरत पड़ने पर इसे चैक किया जा सकता है।” सख्ती से बोला ठाकरे।
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