रागिनी
राजहंस
डॉक्टर बर्मन!
डॉक्टर बर्मन ने डॉक्टर वाली ड्रेस पहनी और फिर चेहरे पर सफेद पट्टी बांध ली।
उसने ऑपरेशन करने की ड्रेस पहन ली फिर तैयार होकर वह नीचे वाले भाग की ओर चल दिया।
उस कोठी के नीचे वाले भाग में अण्डर ग्राउन्ड ऑपरेशन थियेटर था।
नीचे पूरी एक और कोठी अण्डरग्राउन्ड बनी हुई थी।
यह डॉक्टर बर्मन का विशेष रूम था। यहां पर वह ऑपरेशन किया करता था।
इस ऑपरेशन थियेटर में लोगों को बेहोश करके उनके गुर्दे, आंखें और न जाने कौन-कौन से अंग निकाले जाते थे।
फिर उन अंगों को जरूरतमन्द धनी लोगों को बहुत ऊंचे दामों में बेचा जाता था।
या यों कहें कि एक इन्सान का जीवन बेकार कर उसे मौत के मुंह में ढकेलकर धन के लिए दूसरों को जीवन दिया जाता था।
डॉक्टर बर्मन के साथी या तो लोगों का अपहरण करते थे और या फिर जो लोग उनके यहां इलाज कराने के लिये आते थे उनमें से किसी को बेहोश करके यहां कोई भी अंग निकाल लिया जाता था।
आज!
आज भी ऐसा ही ऑपरेशन होने वाला था। एक युवक का एक गुर्दा निकाला जाना था, जिसका सौदा डॉक्टर बर्मन ने पहले ही कर रखा था।
लोग जानते थे कि डॉक्टर बर्मन इस प्रकार के सामान बेचता है सो उससे कान्टेक्ट करते रहते थे।
गुर्दे के एक-एक लाख रुपये तक ले लेता था। खून की बोतल के भी ऊंचे दाम लेता था।
डॉक्टर बर्मन को यह धन्धा सबसे अच्छा लगा था। इसमें बहुत दौलत थी।
वह चलता हुआ ऑपरेशन थियेटर तक आया।
ऑपरेशन थियेटर में ऑपरेशन टेबिल पर एक तीस-पैंतीस वर्षीय व्यक्ति पड़ा हुआ था। वह बेहोश था।
उससे कहा गया था कि उसका एपन्डिक्स का ऑपरेशन होना आवश्यक है वर्ना उसकी नली फट जायेगी और वह मर जायेगा।
सो वह व्यक्ति ऑपरेशन कराने के लिए तैयार हो गया था।
उसे बेचारे को क्या पता था कि उसका ऑपरेशन करके एपन्डिक्स के स्थान पर गुर्दा निकाला जाना है।
डॉक्टर बर्मन ऐसा भी करता था कि यदि गुर्दे निकालने, आंखें और तन के और भाग निकालने के पश्चात् शरीर बेकार हो जायेगा तो वह उसकी जीवन लीला ही समाप्त कर देता था और उसे कहीं भी फिंकवा देता था।
डॉक्टर बर्मन मानवता का हत्यारा था। निर्दयी था, बेरहम था, उसके मन में मानव के प्रति कोई प्यार नहीं था, उसका दीन-ईमान सब पैसा ही था।
सामने ऑपरेशन थियेटर में ऑपरेशन टेबिल पर वह व्यक्ति पड़ा हुआ था।
डॉक्टर के आने से पूर्व उस कक्ष में दो व्यक्ति और एक नर्स उपस्थित थे। वे सब ऑपरेशन के कार्यों में उसका साथ देने वाले थे।
डॉक्टर बर्मन वहीं आ गया था।
उस स्थान पर उपस्थित लोगों के दिल पत्थर के थे। उनकी नजर में मानव जीवन का कोई मूल्य नहीं था।
उस नर्स ने लाईट का बटन पुश कर दिया। उस व्यक्ति के ठीक ऊपर एक बल्व जल उठा।
पास ही एक ट्रे में औजार रखे हुये थे, चमचमाते हुये औजार! बिजली के फेल होने पर वहां जनरेटर का भी प्रबन्ध था।
बर्मन ने बेचारे उस बेकसूर व्यक्ति का पेट चीरना प्रारम्भ कर दिया। गुर्दा निकालने के साथ-साथ यह भी तो दर्शाना था कि उसका एपन्डिक्स का ऑपरेशन किया गया है।
प्रत्येक व्यक्ति के तन में दो गुर्दे होते हैं। ये गुर्दे फिल्टर टाईप होते हैं, जो कि पानी, मल-मूत्र को छानकर तन से उलग करते हैं। प्रकृति की यह बहुत ही उत्तम व्यवस्था है।
गलत कार्यों, अधिक नशा करने आदि से ये गुर्दे खराब हो जाते हैं। यदि एक गुर्दा भी सही हो तो जीवन की गाड़ी चलती रहती थी। इसलिए जीवन को चलाये रखने के लिए तन में कम से कम एक गुर्दे का होना आवश्यक होता है।
इसीलिए जिन लोगों के गुर्दे खराब हो जाते हैं वे गुर्दे को पाने के लिये बड़ी से बड़ी रकम देने के लिए तैयार हो जाते हैं। क्योंकि गुर्दा भी जीवन का एक महत्वपूर्ण अंग है।
आमतौर पर कभी–कभी जरूरतमन्द इन्सान अपनी जरूरत को पूरी करने के लिए अपने जीवन को दांव पर लगा देते हैं। पैसे के लालच में गुर्दे का प्रत्यारोपण हो जाता है।
डॉक्टर बर्मन इस कार्य का माहिर था, वह अक्सर लोगों के शरीर से गुर्दे निकालता रहता था और उनका प्रत्यारोपण भी किया करता था।
ऊपर से बल्व का प्रकाश उसके शरीर पर पड़ रहा था। उस प्रकाश में डॉक्टर के हाथ में थमे हुये औजार चल रहे थे। औजार उसके बदन को काट रहे थे।
एपन्डिक्स के ऑपरेशन के चक्कर में उसका गुर्दा निकाला जा रहा था।
उसने उसके शरीर को काट दिया और उसका एक गुर्दा निकाल लिया।
उस के बाद वह उसके शरीर को सीलने लगा।
डॉक्टर बर्मन सुई से उस के शरीर को सील रहा था कुछ ही देर में डॉक्टर ने उसके शरीर को सील दिया था।
गुर्दे को उचित पात्र में रख दिया गया था। डॉक्टर बर्मन को ही वह गुर्दा एक व्यक्ति के शरीर में प्रत्यारोपण करना था।
उसका शरीर सीलने के बाद उसने अपने साथियों को कुछ आवश्यक आदेश दिये।
उन तीनों व्यक्तियों ने उस बेहोश व्यक्ति को स्ट्रेचर पर डाल लिया।
उसको स्ट्रेचर पर डालकर, वे एक ओर को चल दिये। वे उसे लिये हुये उसी भाग से बाहर निकल आये। उसे तो बेहोश करके वहां ले जाया गया था और फिर बेहोशी में ही बाहर ले आया गया। उसे बेचारे को यह पता ही नहीं लगा कि उसका ऑपरेशन किस स्थान पर हुआ है, किसने किया है।
जैसा कि बताया गया है कि एक गुर्दा निकल जाने पर भी शरीर का जीवन क्रम चलता रहता है। जिन लोगों का ऑपरेशन कर एक गुर्दा निकाल दिया जाता है। उन लोगों को कोई परेशानी तो होती ही नहीं है और यदि यह न बताया जाये कि उसका एक गुर्दा निकाल लिया गया है तो उसे कुछ भी पता नहीं चलता है।
वे तीनों उसे स्ट्रेचर पर लिटाकर ऊपर ले आये और उसे एक कक्ष में एक बेड पर लिटा दिया।
ऑपरेशन के पश्चात् कुछ दिन आराम करना आवश्यक होता है। ताकि ठीक हो जाये।
उसकी सेवा के लिए वह नर्स वहां थी।
जो लोग उसके इन कार्याकमोंमें उसका साथ देते थे, उनको डॉक्टर अच्छे पैसे देता था।
वह नर्स उसकी सेवा में लग गयी थी।
वह अब भी बेहोशी की स्थिति में सामने बेड पर पड़ा हुआ था।
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डॉक्टर बर्मन!
डॉक्टर बर्मन ने जब से लोगों के गुर्दे निकाल कर बेचने का काम किया था। तब से उसकी आर्थिक स्थिति काफी साउण्ड हो गयी थी। वो एक बार अपराधिक प्रवृत्ति की ओर चला तो फिर उस पर बढ़ता ही चला गया था। वह और भी कई प्रकार की वस्तुओं की तस्करी करने लगा था।
उसके इस कार्य में जो उसके दूसरे साथी साथ देते थे, जिसके बदले उन्हें अच्छी रकम मिलती थी।
डॉक्टर बर्मन का मुख्य कार्य लोगों के शरीर से उनके अंगों को निकालकर दूसरों को बेचना था।
वह न जाने कितने लोगों के गुर्दे निकालकर रईसों को बेच चुका था।
वह ऐसे लोगों का मुर्दा भी कब्रिस्तान से निकाल लेता था जो अभी ताजे ही मरे हों।
आंखें तो मरने के दो घंटे या उससे भी कुछ देर तक भी कामयाब रहती हैं।
आज...!
आज उसके पास एक ऐसा केस आया था, जिस की उसे आंखें निकालनी थीं।
वह कोई अनाथ ही रहा होगा जिसे उसके साथी पकड़ लाये थे।
और उसे वहीं डॉक्टर के तहखाने में बन्द कर दिया था। वह बहुत रोया-गिड़गिड़ाया था लेकिन वहां उसकी कोई सुनने वाला नहीं था।
जब वह ज्यादा चीखने-चिल्लाने लगा तो उसे इन्जेक्शन देकर बेहोश कर दिया।
बेहोश होने के बाद वह क्या बोलता। वह चुपचाप पड़ गया।
अभी डॉक्टर बर्मन नहीं आया था।
डॉक्टर बर्मन इस प्रकार के ऑपरेशन रात्रि में किया करता था।
नीचे यदि कोई आ जाता तो उसको सम्भालने के लिये डॉक्टर बर्मन के साथी होते थे, जो उसके इन कार्यों में उसका साथ देते थे।
अपराध!
यदि कोई व्यक्ति एक बार अपराध में फंस जाये तो फिर वह दलदली जमीन की तरह उस अपराधी प्रवृत्ति में फंसता ही चला जाता है।
यही हाल डॉक्टर बर्मन और उसके साथियों का था, जो एक बार अपराधिक गतिविधियों में फंस गये थे तो वे अब उस में फंसते ही जा रहे थे।
और जब फंस गये तो निकलना आसान तो नहीं था। क्योंकि अपराध मे फंसने के पश्चात् उसमें से निकल पाना आसान नहीं होता है। यदि कोई निकलना भी चाहे तो उसे कोई निकलने नहीं देता है।
इन्सान एक के बाद एक अपराध करता ही चला जाता है, इसी को कहते हैं कि इन्सान दल-दल में फंसता ही चला जाता है।
रात हो गयी!
रात्रि में करीब दस बजे डॉक्टर आर्यर्मन अपने तहखाने में आया। वहीं पर उसे उस का जीवन बर्बाद करना था। उसके अंगों को निकाल लेना था।
उसकी आंखें, गुर्दे और उसके शरीर से रक्त निकालने का प्रोग्राम डॉक्टर बर्मन का था।
मानवता के हत्यारे डॉक्टर बर्मन के मन में मानव व मानवता के प्रति कोई मोह नहीं था।
उसके साथियों ने उसको बेहोश कर दिया था, इसीलिये किसी प्रकार की चीख-चिल्लाहट नहीं थी।
वहां उस ऑपरेशन रूम में मौत का-सा सन्नाटा था। एक दम शान्त वातावरण था।
डॉक्टर ने वहां आकर अपने साथियों को संकेत किया। एक व्यक्ति के जीवन को समाप्त करके, वे कई लोगों को जीवन देने का प्रयास कर रहे थे।
डॉक्टर का संकेत पाकर उन लोगों ने उसको उठाया और लेकर चल दिये ऑपरेशन टेबिल की ओर।
मानव!
मानव के जीवन में कब, क्या घटना घट जाये, इसका कोई पता नहीं होता है। कहते हैं कि इन्सान अपने पिछले जन्मों के कर्मों का फल इस जीवन में भोगता है। उसके अच्छे–बुरे कर्मों का दण्ड अथवा पुरस्कार इस जीवन में मिलता है।
पता नहीं उस व्यक्ति ने ऐसा कौन–सा पाप किया था जो आज यहां इस मानवता के हत्यारे डॉक्टर बर्मन के यहां फंस गया था। उन तीनों ने उस व्यक्ति को ऑपरेशन टेबिल पर लिटा दिया। उसके ऊपर का बल्व जला दिया गया।
पास में ही एक ट्रे में चमचमाते हुये औजार रखे हुये थे। डॉक्टर बर्मन को नर्स औजार पकड़ाने लगी।
डॉक्टर उन औजारों से सामने ऑपरेशन टेबिल पर लेटे हुये व्यक्ति का ऑपरेशन करने लगा था।
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