Pavanputra Abhimanyu : पवनपुत्र अभिमन्यु

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Description

सृष्टि के आदिकाल में न सत था न असत, न वायु थी न प्रकाश, न मृत्यु थी न जीवन, न रात थी न दिन, उस समय केवल यही एक था जो वायुरहित स्थिति में अपनी शक्ति से सांस ले रहा था। इसके अतिरिक्त कुछ नहीं था। फिर कुछ घटित हुआ, समय के सूरमतक्ष रूप त्रिसेणु का जन्म हुआ। ब्रह्माण्ड की छ: श्वांसों से एक पिनाड़ी बनी। साठ श्वांसों से एक नाड़ी बनी और साठ नाड़ियों से एक दिवस बना, दिन–रात। तीस दिवसों का एक मास बना। बारह मास का एक वर्ष बना। त्रिसेणु ने कितने रूप बदले, त्रिसेणु से बड़ा त्रुटि, फिर वेध, उससे बड़ा लावा, उससे बड़ा निमेष, उससे बड़ा क्षण, उससे बड़ा काष्ठा, उसे बड़ा लघु। फिर दण्ड, दण्ड से बड़ा मूहर्त, उससे बड़ा याम और फिर प्रहर, प्रहर से बड़ा दिवस और यह समय चक्र ब्रह्माण्ड की आयु भी निर्धरित करता है, भूलोक, पाताल लोक, देवलोक, स्वर्ग लोक यह सब निर्धारित आयु का जीवन पाते हैं।

चलिए जानते हैं पाताल लोक का जीवन कितना है जहां पवनपुत्र अभिमन्यु ने आग लगा दी है। चलिये जानते हैं रावण की स्वर्ण लंका कहां है जहां पर रावण का साम्राज्य है।

एक हैरत अंगेज दास्तान जिसकी रचना सदियों में एक बार ही होती है।

प्रस्तुत उपन्यास के सभी पात्र एवं घटनायें काल्पनिक हैं। किसी जीवित अथवा मृत व्यक्ति से इनका कतई कोई सम्बन्ध नहीं है। समानता संयोग से हो सकती है। उपन्यास का उद्देश्य मात्र मनोरंजन है। प्रस्तुत उपन्यास में दिए गए हिंसक दृश्यों, धूम्रपान, मधपान अथवा किसी अन्य मादक पदार्थों के सेवन का प्रकाशक या लेखक कत्तई समर्थन नहीं करते। इस प्रकार के दृश्य पाठकों को इन कृत्यों को प्रेरित करने के लिए नहीं बल्कि कथानक को वास्तविक रूप में दर्शाने के लिए दिए गए हैं।  पाठकों से अनुरोध है की इन कृत्यों वे दुर्व्यसनों को दूर ही रखें। यह उपन्यास मात्र 18 + की आयु के लिए ही प्रकाशित किया गया है। उपन्यासब आगे पड़ने से पाठक अपनी सहमति दर्ज कर रहा है की वह 18 + है।

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Additional information

Book Title

Pavanputra Abhimanyu : पवनपुत्र अभिमन्यु

Isbn No

No of Pages

400

Country Of Orign

India

Year of Publication

2021

Language

Genres

Author

Age

Publisher Name

Ravi Pocket Books

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