मोम की औरत
रीमा भारती
मैं बेहद तनाव में थी।
मैं—अर्थात् रीमा भारती! दोस्तों के लिये दोस्त और दुश्मनों के लिए साक्षात् मौत। शाम डूबने को थी और मैं दो घंटों से इंजन गुब्बारे द्वारा क्राइम लैण्ड को ऊपर से उड़ान भर रही थी।
तनावग्रस्त इसलिए थी....क्योंकि मेरे बॉस और आई.एस.सी. के चीफ मिस्टर खुराना नें मुझसे इस मिशन के बारे में कुछ भी नहीं बताया था। केवल इतना ही आदेश हुआ था कि क्राइम लैण्ड पहुंचो और अगले आदेश तक उड़ान भरती रहो। इसके पश्चात् सेना के एक हैलीकॉप्टर ने मुझे क्राइम लैण्ड में उतार दिया था।
मैं तभी से उड़ान पर थी।
पूरे दो घंटे बीत चुके थे, किन्तु तब से अब तक न तो मुझे खुराना का दूसरा आदेश प्राप्त हुआ था और न ही मैं ये जानती थी कि मुझे कब तक उड़ान भरनी थी।
मुझे क्राइम लैण्ड के विषय में भी विशेष जानकारी न थी। सिर्फ इतना ही पता था कि हिन्द महासागर और भूमध्य सागर की सीमा पर स्थित क्राइम लैण्ड नाम का ये छोटा-सा द्वीप अब से एक वर्ष पहले तक संसार भर के खतरनाक अपराधियों की पनाहगाह बना हुआ था।
स्पष्ट था....उनमें से कुछ अपराधी क्राइम लैण्ड में आज भी मौजूद थे और खुराना ने मुझे उन्हे समाप्त करने के लिए ही यहां भेजा था।
लेकिन खुराना ने मुझसे इस विषय में विस्तार से क्यों नही बताया था?
सोच रही थी मैं।
सोचते हुए मैने ट्रांसमीटर पर खुराना से सम्पर्क स्थापित किया। स्मपर्क स्थापित होते ही खुराना की आवाज आयी—
“कैसी हो रीमा?”
“अच्छी हूं सर.....और पिछले दो घंटों से उड़ान पर हूं.....।”
“गुड.....कैसा लगा क्राइम लैण्ड?”
“मेरे विचार से तो निर्जन द्वीप है। सिवाय पक्षियों तथा कुछ जंगली जानवरों के और कुछ नजर नहीं आया।”
“भौगोलिक स्थिति बताओ......।”
“सर.....क्राइम लैण्ड हरा-भरा द्वीप है। यहां छोटी-छोटी दो झीलें हैं...तीन पहाड़ियां हैं.....घना जगंल है और कहीं-कहीं खुले मैदान भी हैं......।”
“और कुछ.....?”
“नो सर!” मै बोली—“मैंने क्राइम लैण्ड में अभी इससे अधिक और कुछ नहीं देखा है, लेकिन क्या आप बतायेंगे सर कि मुझे यहां कब तक रहना है और क्या करना है?”
“नो रीमा!” उत्तर मिला—“अभी इस विषय में ठीक से नहीं कहा जा सकता कि तुम्हें वहां कब तक रहना है, लेकिन करना क्या है....इस बात की जानकारी तुम्हें रात मे अवश्य मिल सकती है। रात होने का इन्तजार करो।”
“ओ.के. सर! किन्तु क्या मुझे पूरी रात उड़ान पर रहना पड़ेगा।”
“नहीं रीमा....ये बिल्कुल आवश्यक नहीं है। तुम चाहो तो कभी भी लैण्ड कर सकती हो, लेकिन मेरी सलाह है कि तुम्हे सुरक्षा की दृष्टी से आकाश में ही रहना चाहिए।”
“ओ.के. सर! ओवर एण्ड ऑल।” मैंने कहा और ट्रासंमीटर ऑफ कर दिया।
¶¶
मेरा गुब्बार लगभग पचास फीट की ऊंचाई पर था और में बहुत ही धीमा गति से घने जगंल के ऊपर से गुजर रही थी।
शाम डूब चुकी थी और रात्री का अंधकार समस्त वातावरण में फैल चुका था। मैं इस समय भी खुराना और अपने मिशन के विषय में सोच रही थी। सच तो ये था कि खुराना की बातों ने मेरे मस्तिष्क में कई उलझनें पैदा कर दी थी। उसने मुझसे अब भी ये नहीं बताया था कि यहां रहकर मुझे करना क्या था? सिर्फ इतना ही कहा था कि रात का इन्तजार करो।
स्पष्ट था....रात के वक्त मेरे सामने कोई नयी बात आनी थी। इसके अलावा मेरे साथ कोई भी घट सकती थी।
रात के वक्त क्या होनो वाला था.....मेरे मन में ये जानने की उत्सुकता तो थी, किन्तु घबराहट बिल्कुल भी न थी। मेरे मेहरबान दोस्त जानते हैं कि किसी भी परिस्थिति में घबराना और साहस खोना मैंन कभी नहीं सीखा।
अंधकार इतना था कि उसकी वजह से सम्पूर्ण द्वीप ही अंधकार का एक अंश नजर आ रहा था और इसलिये मेरे लिये नीचे का कुछ भी देख पाना सम्भव न था। फिर भी मैंने दिशा बदल दी।
अनुमान के अनुसार मेरा गुब्बार अब मैदान के ऊपर था। एक बार सोचा....कुछ देर के लिए लैण्ड कर लूं और फिर उड़ान भरूं, लेकिन अपने चीफ खुराना की सलाह मुझे याद थी। खुराना ने मुझसे कहा थी कि मै सुरक्षा की दृष्टी से आकाश में ही रहूं।
मगर सुरक्षित तो मैं यहां भी न थी।
नीचे खड़ा कोई भी व्यक्ति रायफल से गोली चलाकर मेरे गुब्बारे के चिथड़े उड़ा सकता था।
ये सोचकर मै सावधान हो गयी।
धीरे-धीरे एक घंटा बीत गया।
मैंने फिर दिशा बदल दी। गुब्बारा पहाड़ी की दिशा में बढ़ने लगा। तभी अचानक एक धमाका हुआ और अगले ही क्षण पहाड़ी की दिशा से उठा आग का एक गोला बिजली जैसी तेजी से मेरे गुब्बारे की ओर बढ़ने लगा।
मैंने फुर्ती से दिशा बदल दी और आग का गोला मेरे निकट से होकर झील की दिशा में चला गया। यदि में ऐसा न करती तो गुब्बारे के साथ-साथ मेरी जीवन-लीला भी समाप्त हो जाती।
स्पष्ट था.....पहाड़ी पर पहले से ही कुछ लोग मौजूद थे और उन्हें मेरे विषय में पूरी जानकारी थी। अब मुझे मेरा मिश्न भी समझ में आ गया था। साफ जाहिर था....जो लोग यहां मौजूद थे.....वो लोग मेरे देश के दुश्मन थे और खुराना नें मुझे यहां उन्हें खत्म करने के लिए भेजा था।
सोच रही थी मैं।
तभी एक धमाका और हुआ।
मैंने फिर दिशा बदल दी और पहाडी से उठने वाला आग का गोला फिर मेरे पास से गुजर गया। लेकिन अब मेरा आकाश में रहना खतरे से खाली न था। दुश्मन की नजरों मुझ पर थी और वो मुझे मिटाने का हर सम्भव प्रयास कर रहा था। ये सोचकर मैंने गुब्बार नीचे उतार लिया।
¶¶
मैदान और झील के बीच में ऊंची-ऊंची झाड़ियां थीं......जिनका सिलसिला दूर तक चला गया था। मैंने गुब्बारे को झाड़ियों के पीछे छुपाया और स्वयं भी झाड़ियों के पीछे छुपकर बैठ गयी।
चारों ओर देखा.....दूर तक सन्नाटा था और इस स्न्नाटे को केवल जंगली जानवरों की आवाज भंग कर रही थी। मुझे दूर तक कोई व्यक्ति भी नजर नहीं आया।
अचानक ट्रासमीटर पर सिग्नल मिला।
मैंने ट्रांसमीटर ऑन किया तो दूरसी ओर से खुराना की आवाज सुनाई पड़ी। मैंने उत्तर दिया—“हैलो....इट इज अटैण्डिंग रीमा फ्रॉम क्राइम लैण्ड.....।”
“रीमा....क्या तुम उड़ान पर हो.....?”
“नो सर....मैंने अभी-अभी लैण्ड किया है।”
“कोई विशेष बात.....?”
“यस सर!” मैंने कहा—“अभी कुछ देर पहले मेरे गुब्बारे पर दो गोले दागे गये थे। अतः सुरक्षा की दृष्टी से मुझे नीचे आना पड़ा।”
“ये तुमने अच्छा किया रीमा।” ट्रांसमीटर पर खुराना की आवाज आयी—“और सबसे अच्छी बात तो ये है कि आई.एस.सी. को क्राइम लैण्ड को विषय में सूचना प्राप्त हुई हैं....वो पूरी तरह से सही है।”
“इसका मतलब है सर....क्राइम लैण्ड आज भी अण्डरवर्ल्ड के लोगों की पनाहगाह बना हुआ है।”
“नो रीमा.....क्राइमलैण्ड अण्डरवर्ल्ड को लोंगो की पनाहगाह तो अब नहीं हैं, मगर वो एक सुरक्षित स्थान है....जहां से हमारे देश को सीधा निशाना बनाया जा सकता है।”
“ओह!” मैंने कहा—“लेकिन सर.....क्या आप बतायेंगे कि मेरे गुब्बारे पर गोले दागने वाले वो लोग कौन हैं.......?”
“नहीं रीमा....आई.एस.सी. को इस बारे में कोई जानकारी नहीं हैं। वो लोगं कौन हैं....इसकी जानकारी तुम्हें स्वयं हासिल करना पड़ेगी। पूरी जानकारी प्राप्त करो तत्काल सूचना दो।”
“ओ.के. सर......!”
“ओवर एण्ड ऑल। खुराना ने कहा।
मैंने ट्रांसमीटर ऑफ कर दिया।
उठकर चारों ओर देखा....दूर तक अब भी कोई न था। मैंने रिवाल्वर हाथ में ली और सावधानी से उसी पहाड़ी की ओर बढ़ने लगी। खुराना के विषय में मैं अब भी ये सोच रही थी। मेरे विचारानुसार खुराना को यहां मौजूद लोगों के विषय में पूरी जानकारी थी। कहीं ऐसा तो नहीं कि वो मेरे साहस और मेरी बुध्दीमानी की परीक्षा ले रहा हो, मगर खुराना से ऐसी उम्मीद मुझे बिल्कुल न थी।
फिर वो मुझे इस मिशन की पूरी जानकरी क्यों नहीं दे रहा था? सोचते हुए मैं आगे बढ़ रही थी।
अचानक चौंकी।
पहाड़ी की दिशा से फिर एक धमाका और फिर आकाश का सीना चीरता आग का गोला, लेकिन मेरे कदम फिर भी न रुके और मैं निरन्तर पहाड़ी को ओर बढ़ती रही।
पहाड़ी तक पहुंचने में लगभग दस मिनट का समय लगा।
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