Mere Bachche Mera Ghar : मेरे बच्चे मेरा घर (भाग-1)

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Description

एक सुहागिन पत्नी और उसके बच्चे को, पति और पिता रूपी अधिकार दिलाने के लिए विकास, रघुनाथ, और ठाकुर साहब विजय के पीछे हाथ धोकर पड़े हुए थे।  साधना अपने बच्चे के साथ ढेरों प्रमाण लिए विजय को अपना पति और अपने बच्चे का पिता साबित करने को आगे बढ़ रही थी।  विजय लगातार अपने कदम पीछे सरका रहा था।  सच्चाई क्या थी? 

मेरे बच्चे मेरा घर (भाग-1)

No.- 111

आज का रावण (भाग-2)

No.- 112

वेद प्रकाश शर्मा

प्रस्तुत उपन्यास के सभी पात्र एवं घटनायें काल्पनिक हैं। किसी जीवित अथवा मृत व्यक्ति से इनका कतई कोई सम्बन्ध नहीं है। समानता संयोग से हो सकती है। उपन्यास का उद्देश्य मात्र मनोरंजन है। प्रस्तुत उपन्यास में दिए गए हिंसक दृश्यों, धूम्रपान, मधपान अथवा किसी अन्य मादक पदार्थों के सेवन का प्रकाशक या लेखक कतई समर्थन नहीं करते। इस प्रकार के दृश्य पाठकों को इन कृत्यों को प्रेरित करने के लिए नहीं बल्कि कथानक को वास्तविक रूप में दर्शाने के लिए दिए गए हैं।  पाठकों से अनुरोध है की इन कृत्यों व दुर्व्यसनों से दूर ही रहें। यह उपन्यास 18 + की आयु के लिए ही प्रकाशित किया गया है। उपन्यास आगे पढ़ने से पाठक अपनी सहमति दर्ज कर रहा है की वह 18 + है।  प्रूफ संशोधन कार्य को पूर्ण योग्यता व सावधानीपूर्वक किया गया है, लेकिन मानवीय त्रुटि रह सकती है, अत: किसी भी तथ्य सम्बन्धी त्रुटि के लिए लेखक, प्रकाशक व मुद्रक उत्तरदायी नहीं होंगे।

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Additional information

Book Title

Mere Bachche Mera Ghar : मेरे बच्चे मेरा घर (भाग-1)

Isbn No

No of Pages

256

Country Of Orign

India

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Ravi Pocket Books

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