मौत की मंजिल
हैलन
मेरे जबड़े भिंच गये।
उस छोटे से कमरे में मुझे छत से लटका दिया था और मैं मजबूर हो गई थी। मेरी दोनों कलाइयों में रस्सियां बंधी हुई थीं और मेरे नाजुक, सुडौल हाथ मेरे पूरे शरीर का भार सम्भाले हुए कुछ देर तक तो सहन करते रहे, फिर कलाइयों में तकलीफ होने लगी। मैंने रस्सियों को पकड़ लिया जिसकी वजह से कलाइयों को तो राहत मिली गई मगर बाहों और उनके जोड़ों में बेहद तकलीफ होने लगी जो बढ़ती गई।
मेरे जबड़े भिंच गये।
मैं उन दिनों काहिरा में थी।
पूरे एक सप्ताह तक स्विटजर लैंड में तफरीह करने के बाद जब मैं लंदन पहुंची तो एयरपोर्ट पर ही सेक्स इंटरनेशनल के चीफ की प्राइवेट सेक्रेटरी का मुखौटा देख कर मुझे ऐसा लगा जैसे मैने जुबान पर कुनैन रख ली हो।
स्विटजर लैंड से यहां तक मैं उन बीते हुए सात दिनों की सुखद यादों में खोई हुई आई थी मगर एयरपोर्ट पर पी.एस. के दर्शन होते ही गुदगुदाहट खत्म हो गई।
वह मेरी ओर देख कर हाथ हिला रही थी।
अगर मेरे बस में होता तो उसकी सूरत देखते ही मैं वापस प्लेन में सवार हो जाती और किसी अन्य शहर में पहुंचकर छुट्टी का टेलीग्राम दे देती।
मगर मैं मजबूर थी।
प्लेन यहीं तक आता था।
मैंने बेमन से हाथ हिलाया फिर एयर पोर्ट से बाहर आकर उससे हाथ मिलाया, फिर उसके साथ चलकर मैं सेक्स की एयरकन्डीशन्ड कार में पिछली सीट पर बैठी और पोर्टर ने मेरा सामान कार की डिकी में रख दिया।
कार चल पड़ी।
“यात्रा कैसी रही?”
“यात्रा तो बड़ी आनन्ददायक थी।” मैंने सीट की पुश्त से पीठ टिका कर कहा—“मगर अब लगता है कि उस सुहाने सप्ताह की यादें मिट जायेंगी।”
“क्यों?”
“तुम्हारे दर्शन जो हो गये।”
“क्या मेरी सूरत इतनी खराब है।” प्राइवेट सेक्रेटरी जूली ने कहा—“कि मुहूर्त ही बिगड़ गया?”
“तुम्हारी सूरत तो प्यारी है।” मैंने सिगरेट जलाई—“मगर तुम उस सूखे सट्ट खूसट चेहरे की प्रतिनिधि बन कर आई हो जिसे मै मनहूस मानती हूं।”
वह हंसने लगी।
“मगर तुम आ कैसे गई?” मैंने पूछा—“क्या तुम्हें पता नहीं कि मैं प्लेन से आ रही हूं?”
“सुबह तुम्हारे होटल फोन किया गया था।” उसने बताया—“वहीं से जब पता चला कि तुम रवाना हो गई हो तो हमने अन्दाजा लगाया कि इसी प्लेन से आ रही हो।”
“ओह!”
“लेकिन आज सर्विस लेट हो गई है।”
“कुछ गडबड़ हो गई थी।”
“ऐसा?”
“मगर बात क्या है?”
“कोई केस ही होगा।”
तब तक सेक्स इंटरनेशनल की शानदार इमारत आ गई थी अतः हमारी बातचीत वहीं खत्म हो गयी और मैं फ्रेश होने के बाद सीधे थाम्पसन के ही चैम्बर में पहुंची।
मैंने अभिवादन किया।
“हाय डार्लिंग”—उसने मुझे सर से पैर तक घूरा—“स्विटजरलैंड से लौट कर खिली-खिली नजर आ रही हो, लगता है एक सप्ताह की छुट्टी बड़े मजे से बीती है।”
“क्या मैं बैठ सकती हूं।”
“क्यों नहीं डार्लिंग!”—“उसने अपना पाइप उठाया—“मैंने इसलिये तो यहां बुलवाया है।”
मैंने एक कुर्सी खींच ली।
“तुम सोच तो रही होगी कि मैंने सीधे एयरपोर्ट से यहां क्यों बुलवा लिया है।” वह बोला।
“आप कभी सिगार पीते हैं कभी पाइप।” मैंने उसके हाथ में दबे पाइप की ओर इशारा किया।
“मूड की बात है।” उसने सूखे होंठों पर मुस्कुराहट लाकर कहा—“हां तो तुमने बताया नहीं।”
“कोई केस ही होगा।”
“राइट।” उसने अपना सूखा चेहरा हिलाकर कहा—“तुमने एलविन ब्रदर्स का नाम सुना है?”
“वह तो नहीं जो वायुयान के व्हील बनाते हैं?” मैंने दिमाग पर जोर डाल कर कहा।
“केस उसी फर्म के एक पार्टनर का है।”—उसने पाइप जलाकर कहा—“बड़ी पार्टी है।”
“मुझे लोकल केसेज में आनन्द नहीं आता है।” मैंने मेज पर कोहनियां रख कर कहा।
“फील्ड लोकल नहीं है।” उसने मुस्कुराकर कहा—“तुम्हें इस केस में काहिरा जाना है।”
“काहिरा।” मेरे अधर भीग गये।
काहिरा का नाम ही दिल गुदगुदा गया था। वहां पता कई बार जाने के बाद भी मुझे हमेशा नयापन पन आता था। वहां के होटल, क्लब, ऐशगाह आंखों में नाच गई थीं मगर तुरन्त ही मैं संयत हो गई और चीफ की ओर देखा।
“ठीक है ना?” उसने टोका।
“काम क्या है?”
“उनका लड़का गुम हो गया है।”
“हो गई बोरियत।”
“अभी तुमने पूरी बात कहां सुनी है।”
“सुनाइये।”
“कॉफी लो।” उसने सेविका की ओर देख कर कहा जो एक ट्रे लेकर अन्दर आई थी।
कॉफी की मुझे भी जरूरत थी।
“वो लड़का पुरातत्व में बहुत रुचि रखता था और एक माह से काहिरा में था।” उसने बताया—“मगर अचानक उस होस्टल से गायब हो गया जिसमें वो रहता था, यह घटना एक सप्ताह पहले घटी और अब तक उसका पता नहीं चला।”
“हूं।” मैंने कॉफी का घूंट भरा।
“यह कोई सीधा मामला नहीं है।” उसने कहा—“बहुत ही टेढ़ा और दिलचस्प बन गया है।”
“कैसे?”
“गायब होने के एक दिन पहले उसने अपने पिता से टेलीफोन पर बात की थी और बताया था कि उसे एकाएक ऐसी चीज हाथ लग गई जो करोड़ों की दौलत बिखेर देगी।”
“तो यह दौलत का चक्कर है।”
“ये चक्कर बड़ा दिलचस्प है।”
“तो मुझे कब रवाना होना है?”
“आज शाम की फलाइट से।”
“इतनी जल्दी?”—मैंने आश्चर्य से घड़ी देखी—“अभी तो मैं प्लेन से ही उतरी हूँ।”
“काम की नजाकत तो देखो डार्लिंग।” उसने कहा—“सवाल एक करोड़पति के लड़के का है।”
“पर….।”
“उसकी जान खतरे में है।” उसने मुझे बीच में रोक कर कहा—
“तुम आज ही चलो जाओ।”
“ठीक है।”
“दोपहर में लंच तुम मिस्टर नेल्सन के साथ डिगारा में लोगी।” उसने कहा—“लंच के दौरान तुम उससे बात कर सकती हो, समझ रही हो न मेरी बात?”
“मैं फ्रैश होना चाहती हूं।”
“अभी एक-डेढ घंटे का समय है।” वह बोला—“तुम डिगारा नेल्सन का नाम बता देना, बस तुम्हें उसके पास पहुंचा दिया जायेगा, किसी तरह की दिक्कत नहीं होगी।”
“ओके।” मैं उठी।
“ये लिफाफा लो।” उसने एक बड़ा सा लिफाफा मेरी ओर बढ़ाकर कहा—“इसमें उस लड़के का फोटो, उसकी टीम के फोटो और होस्टल के पते वगैरह हैं।”
मैंने लिफाफा ले लिया।
“विश यू बेस्ट आफ लक।”
“थैंक्स।” मैंने लिफाफा सम्भालकर कहा—“लेकिन मेरा टिकट और पेपर्स वगैरह भी इसी मैं हैं क्या?”
“नहीं।” उसने कहा—“वो सब एयरपोर्ट पर मिल जायेंगे, नम्बर सेवन्टी कार्यवाही कर रहा है।”
“ओके।” मैं उठ खड़ी हुई।
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