कफन तेरे बेटे का
ब्रिटिश सीक्रेट सर्विस के गुप्त ऑफिस में बैठा जेम्स बॉण्ड सीक्रेट सर्विस के चीफ मिस्टर एम से अत्यधिक उत्साहित स्वर में कह रहा था—"मैंने कोहिनूर में दिलचस्पी लेने वालों का पता लगा लिया हैं, सर!"
"वैरी गुड!" एम का चेहरा चमक उठा—"कौन हैं वे लोग?"
"वे उसी देश के जासूस हैं, सर जिस देश से हमारे बुजुर्ग कोहिनूर को यहां ले आए थे।"
"य...यानि भारतीय?" मिस्टर एम उछल पड़े।
"जी हां।" बॉण्ड ने गर्वीली मुस्कान के साथ कहा—"वे भारतीय जासूस ही हैं—विजय, विकास, अशरफ, विक्रम और आशा—ये सब मेकअप में, नाम बदलकर लंदन में सक्रिय हैं—ब्यूटी नामक जिस लड़की हवाला आपने मुझे दिया था, वह ब्यूटी नहीं बल्कि भारतीय सीक्रेट सर्विस की जासूस आशा हैं।"
"ओह गॉड!"
"इस वक्त आशा मेरी कैद में है और बाकी चारों को भी आप मेरी गिरफ्त में ही समझें।"
"क्या मतलब?"
"मैं आपके पास यह गुजारिश लेकर आया हूं कि इसी वक्त आदेश जारी करके स्मिथ स्ट्रीट पर स्थित पीटर हाउस नामक इमारत को
सशस्त्र सैनिकों से घिरवाकर उन्हें गिरफ्तार करा लीजिए।"
"क्या वे चारों इसी इमारत में हैं?"
"यस सर, उनके साथ ब्यूटी बनी हमारी एक जासूस भी है।"
"हम समझ नहीं पा रहे हैं बॉण्ड कि आखिर तुम कह क्या रहे हो, सबसे पहले संक्षेप में तुम हमें अपनी पूरी रिपोर्ट दो, हमारी कौन-सी जासूस ब्यूटी बनकर उनके बीच कैसे पहुंच गई?"
जेम्स बॉण्ड ने एक क्षण भी गंवाना उचित नहीं समझा और शुरू हो गया। मिस्टर एम उसके मुंह से निकलने वाले एक—एक शब्द बहुत ध्यान से सुनते रहे।
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अलफांसे के शब्दों में दुनिया एक जंगल हैं, इंसानी जानवरों से खचाखच भरा जंगल है और इस जंगल के बादशाह यानि शेर का नाम है, अलफांसे—जानने वाले यह भी अच्छी तरह जानते हैं कि इस अन्तर्राष्ट्रीय मुजरिम के पैरो में चक्कर है, यानि एक मुल्क से दूसरे मुल्क घूमते रहना इसकी हॉबी है और अपनी उसी हॉबी के मुताबिक इस बार अलफांसे लंदन पहुंच गया।
संयोग से उन दिनों लंदन में बोगान नामक गुंडे का डंका बज रहा था, इस हद तक कि लंदन की पुलिस बोगान पर तो दूर, उसके किसी चमचे तक पर हाथ डालने से कतराती थी।
परन्तु किसी ने सच कहा है कि झूठ की हांड़ी रोज नहीं चढ़ती—बोगान के लिए वह दिन दुर्दिन ही कहा जाएगा, जब उसके तीन गुर्गे उसकी खिदमत के लिए इर्विन नाम की एक युवा और सौंदर्य का प्रतिबिंब-सी नजर आने वाली लड़की को किड़नैप करके ले जा रहे थे—बोगान के भाग्य को शायद राहु-केतु ने टेढ़ी आंख से देखा था, तभी तो वे गुर्गे बेचारे अलफांसे से टकरा गए।
अलफांसे ने न केवल इर्विन को उनके चंगुल से मुक्त किया, बल्कि बोगान के गुर्गों की काया का भूगोल भी बदल ड़ाला—इस घटना की बोगान पर क्या प्रतिक्रिया हुई, यह तो हम बाद में लिखेंगे, यहां यह बताना परम आवश्यक है कि इर्विन नाम की यह लड़की अलफांसे की खूबसूरती और बहादुरी पर आसक्त हो गई—कम-से-कम अलफांसे के लिए यह कोई विशेष बात नहीं थीं, इर्विन से पहले भी उस पर बहुत-सी लड़कियां आसक्त हो चुकी थीं, परन्तु उस पर कभी कोई असर नहीं होता था, क्योंकि सर्वविख्यात है कि अलफांसे लड़कियों में कोई दिलचस्पी नहीं रखता—मानवता के नाते ही वह इर्विन को अपनी कार में बिठाकर उसने निवास—स्थान पर छोड़ने आया था, परन्तु उस वक्त अलफांसे की आंखें हीरों की तरह चमकने लगीं, जब उसे पता लगा कि इर्विन गार्डनर की इकलौती पुत्री है—गार्ड़नर का परिचय केवल इतना ही था कि वे सिक्योरिटी विभाग के कोई बहुत बड़े अफसर हैं—जाने क्या बात थी कि उसी क्षण ऐसा महसूस होने लगा कि अलफांसे भी इर्विन से मुहब्बत करने लगा हैं—प्यार की पींगें बढ़ने लगीं, अलफांसे और इर्विन के बीच मुलाकातों का सिलसिला लंबा होता चला गया और इन मुलाकातों में यह मुहब्बत परवान चढ़ने लगीं—इसी बीच अलफांसे का टकराव बोगान से भी हुआ।
नतीजे का अनुमान तो आप लगा ही सकते हैं—यानि लंदन से बोगान का आतंक खत्म।
उपरोक्त घटनाओं के तीन महीने बाद सिंगही, वतन, विकास आदि को कार्ड़ मिले—इन कार्ड़स के मुताबिक अलफांसे इर्विन से शादी कर रहा था, शादी के कार्ड़स के साथ अलफांसे ने पत्र से सम्बन्धित व्यक्ति को सूचित किया था कि अपने अपराधी जीवन से अब वह ऊब चुका था और इर्विन के साथ घर बसाकर शेष जीवन शांति से गुजारना चाहता है, यह अनुरोध भी किया था कि शादी के समारोह में कार्यक्रमानुसार उपस्थिति होने की कृपा करें।
राजनगर में अलफांसे ने सभी को कार्ड़ भेजे थे, परन्तु विजय क नाम का कोई कार्ड़ नहीं था और अलफांसे की यह हरकत जहां विकास, रैना, रघुनाथ, मोण्टो, ब्लैक ब्वॉय, अशरफ, विक्रम, नाहर और परवेज आदि को अपमानजनक लगी, वहीं विजय यह सोचने पर बाध्य हो गया कि आखिर अलफांसे ने उसी को कार्ड़ क्यों नहीं भेजा है?
वैसे तो यह सूचना ही उसे चौंका देने के लिए काफी थी कि अलफांसे शादी कर रहा था। ऊपर से उसके नाम का कार्ड़ न होने ने भी उसे चौंका दिया और उस शादी के प्रति विजय संदिग्ध हो उठा—अलफांसे की नस-नस से वाकिफ विजय को लगा कि वह शादी नहीं कोई षड़्यन्त्र था और वह षड़्यन्त्र क्या था, यही जानने के लिए विजय तुरंत जेम्स ऐलिन बनकर लंदन पहुंच गया।
अब शुरू हुई अलफांसे की शादी के पीछे छुपे रहस्य तक पहुंचने के लिए विजय की इनवेस्टिगेशन—अलफांसे एलिजाबेथ होटल के रूम सेवण्टी वन में ठहरा हुआ था। जेम्स ऐलिन बना विजय भी इसी होटल में जा ठहरा—सबसे पहले उसने एक वेटर से अलफांसे की पिछले दिनों की गतिविधियों की जानकारी एकत्रित की—अलफांसे के बोगान से टकराव, इर्विन से हुई मुहब्बत का विवरण जानने के अलावा उसने यह भी जान लिया कि अलफांसे ने ब्रिटिश नागरिकता प्राप्त कर ली थी।
अब वह एक गुण्डे के रूप में पहले बोगान के गुर्गों और फिर उनके माध्यम से बोगान तक पहुंचा, परन्तु अपने असली मकसद में कामयाब न हो सका—बसंत स्वामी बनकर टोह लेने के लिए वह जेम्स बॉण्ड से भी मिला, किन्तु परिणाम वही रहा, यानि ढाक के तीन पात।
अतः शादी को होने से वह न रोक सका।
शादी निश्चित तारीख में ही हुई और यदि सच कहा जाए तो यह शादी नहीं अच्छा-खासा हुल्लड़ था, क्योंकि सारी दुनिया के मशहूर अपराधी और जासूस इसमें शामिल हुए थे—सिंगही, जैक्सन, टुम्बकटू, जैकी, माइक, हैरी, जूलिया, बागारोफ, नुसरत-तुगलक, रहमान, वतन, अपोलो, ठाकुर साहब, रघुनाथ, रैना, विकास, धनुषटंकार, विजय, ब्लैक ब्वॉय, अशरफ, विक्रम, नाहर, परवेज और आशा आदि।
इन सबने मिलकर लंदन में ऐसा हंगामा मचाया कि जिसे लंदनवासी हमेशा याद रखेंगे—सिंगही, जैक्सन और टुम्बकटू अपने नायब तारीकों के साथ शादी में शरीक हुए थे—सिंगही के आगमन से पूर्व उस वक्त सभी लाइटें गुल हो गई थीं। जब विजय ने किन्हीं दो व्यक्तियों की बातचीत सुनी और उस बातचीत में कोहिनूर हीरे का नाम आया।
शीघ्र ही विजय ने यह पता लगा लिया कि वह वार्ता ग्राड़वे नामक एक व्यक्ति और इर्विन के पिता गार्डनर के मध्य हुई थी—उसके बाद सनसनी रात के तीन बजे फैली, तब जबकि फेरे खत्म ही हुए थे—गार्ड़नर की कोठी के एक अंधेरे लॉन में ग्राड़वे की लाश पड़ी मिली—सभी चौंक पड़े, काफी कोशिश के बाद भी कोई यह नहीं जान सका कि ग्राड़वे का कत्ल किसने, किस मकसद से किया था?
शादी के बाद सभी मेहमान लौट गए।
भारत में आकर विजय ने विकास और ब्लैक ब्वॉय को बताया कि ग्राड़वे का कत्ल दरअसल उसी ने किया था।
एक साथ दोनों ने चौंककर पूछा—"क्यों?"
तब विजय ने बताया कि ग्राड़वे को मारने से पहले उसने टॉर्चर किया था कि इस टॉर्चर के कारण ही ग्राड़वे ने बताया था कि कोहिनूर क्योंकि दुनिया का सबसे ज्यादा मूल्यवान, नायाब और गौरवमयी हीरा है, इसीलिए ब्रिटेन सरकार ने उसकी सुरक्षा के कड़े प्रबन्ध किए हैं, ये सारे प्रबन्ध के○एस○एस○ नामक संस्था की देखरेख में हैं और के.एस.एस. का डायरेक्टर खुद इर्विन का पिता गार्डनर हैं। ग्राड़वे स्वयं भी के○एस○एस○ का सदस्य था और इसी वजह से वह विजय को बता सका था कि—पृथ्वी के चारों तरफ घूमता हुआ एक उपग्रह कोहिनूर पर नजर रखता है। उस उपग्रह का सम्बन्ध एक कंट्रोल रूप में हैं, यानि यदि कोहिनूर को कोई खतरा हुआ तो उपग्रह तुरंत ही कंट्रोल रूम को सूचना भेज देगा और यह कंट्रोल रूम अन्य कही नहीं, गार्ड़नर की कोठी के तहखाने में था।
इतना सब कुछ पता लग जाने के बाद विजय के लिए यह समझ जाना सामान्य-सी बात थी कि इर्विन से शादी का ढ़ोंग रचाकर अलफांसे कोहिनूर तक पहुंचने की स्कीम पर काम कर रहा था। यह संभावना विकास और ब्लैक ब्वॉय को भी जंची।
अब ये लोग अलफांसे की योजना को नाकाम करने तथा कोहिनूर को हासिल करने की योजना सोचने लगे—प्लान यह बना कि अलफांसे जैसे ही कोहिनूर को प्राप्त करेगा, ये उसे दबोच लेंगे—मगर ऐसा करने के लिए, कोहिनूर तक पहुंचने की अलफांसे की संपूर्ण योजना जानना जरूरी था और योजना जानने के लिए लंदन जाना।
अपनी असली सूरत और नाम से वे लंदन जा नहीं सकते थे—अलफांसे, बॉण्ड या लंदन की पुलिस की नजरों में वे कभी भी आ सकते थे, अतः विजय, विकास, अशरफ, विक्रम, और आशा क्रमशः बशीर, मार्गरेट, डिसूजा, चक्रम और ब्यूटी नामों से लंदन पहुंचे—विजय ने खुद सभी के चेहरों पर ऐसा मेकअप किया था, जो किसी भी रसायन से छूटना नहीं था।
लंदन में इस पांचों जासूसो की स्थिति मुजरिमों जैसी थी और सचमुच इन्होंने मुजरमों के एक संगठित गिरोह की तरह ही बड़ी तेजी से काम शुरू किया।
सबसे पहले ब्यूटी बनी आशा कोहिनूर देखने उस म्यूजियम में गई, जहां वह रखा था और यहां उससे कुछ ऐसी भूलें हो गई कि म्यूजियम की सिक्योरिटी के जासूस उसके पीछे लग गए, इधर विजय, विकास, अशरफ, और विक्रम की कारगुजारियों से लंदन की पुलिस के साथ ही सीक्रेट सर्विस विभाग भी चौंक पड़ा—मिस्टर एम ने जेम्स बॉण्ड को अपने ऑफिस में बुलाकर यह भेद बताया कि मिस्टर गार्डनर के.एस.एस. के चीफ हैं और कुछ लोग कोहिनूर में दिलचस्पी लेते दिखाई दे रहे हैं। इस प्रकार इस केस में बॉण्ड सक्रिय हो उठा।
उधर अलफांसे इर्विन के साथ गार्ड़नर की कोठी में ही रहने लगा था।
विजय, विकास, अशरफ और विक्रम ने जब यह महसूस किया कि आशा को ब्रिटिश जासूस वाच कर रहे थे तो उन्होंने आशा से सारे संपर्क तोड़ दिए।
अपनी आपराधिक गतिविधियां बिना किसी बाधा के चलाए रखने के लिए उन्हें किसी स्थान की तलाश थी।
विजय आदि ने पीटर हाउस को चुना—इमारत की बैक साइड़ में, दूसरे माले पर एक खिड़की थी, जिसे उन्होंने मुख्य गेट बनाया—वे रात अंधेरे में आकर पीटर हाउस का इस्तेमाल करते और सूरज निकलने से पहले ही निकल जाते।
इनवेस्टिगेशन करते हुए विजय आदि ने चैम्बूर नामक एक ऐसे व्यक्ति का पता लगा लिया, जो के.एस.एस. का सदस्य ही नहीं, बल्कि गार्ड़नर का दायां हाथ था—चैम्बूर का व्यक्तित्व रहस्यमय था, क्योंकि विकास ने उसे अकेले में अलफांसे से मिलते देखा था—विजय ने अनुमान लगाया कि चैम्बूर अलफांसे से मिला हुआ हो सकता था।
कोहिनूर के चारों तरफ की गई मुकम्मल सुरक्षा व्यवस्था और अलफांसे की पूरी योजना जानने के लिए चैम्बूर पर हाथ डालने का निश्चय हुआ।
उधर, जेम्स बॉण्ड यह तो नहीं जान पाया था कि जो लोग कोहिनूर में दिलचस्पी ले रहे थे वे भारतीय जासूस थे, मगर यह भांप गया था कि वे जो भी थे, चैम्बूर पर जरूर हाथ ड़ालेंगे, अतः बॉण्ड स्वयं चैम्बूर की निगरानी कर रहा था।
जब विजय आदि ने चैंम्बूर पर हाथ ड़ाला तो उनका टकराव बॉण्ड से हो गया। चैम्बूर को किड़नैप कर लाने में वे सफल तो हो गए, परन्तु इस टकराव के बाद बॉण्ड यह जान गया कि वे विजय आदि थे। अतः उसने उसी रात होटल के कमरे से आशा को गिरफ्तार कर लिया।
इधर, चैम्बूर को लेकर वे पीटर हाउस पहुंचे—रहस्य उगलवाने के लिए उसे टॉर्चर किया—चैम्बूर टूट गया, उसने कोहिनूर के चारों तरफ की गई सम्पूर्ण व्यवस्था उन्हें बता दी। चैम्बूर के बताने पर ही उन्हें पता लगा कि म्यूजियम में जो कोहिनूर रखा नजर आता है, वह कोहिनूर नहीं, कोहिनूर का प्रतिबिंब मात्र है—असल कोहिनूर कहां और किन सुरक्षाओं के बीच रखा है, यह सुनकर तो विजय जैसे व्यक्ति को भी मानना पड़ा कि कोहिनूर को चुराना असंभव की सीमा तक कठिन है।
उन्होंने चैम्बूर से कोहिनूर तक पहुंचने की अलफांसे की योजना पूछी—योजना चैम्बूर ने बताई भी किन्तु विजय के ख्याल से योजना सशक्त नहीं थी, सुरक्षा व्यवस्था को देखते हुए उसमें कई खामियां थीं।
सब कुछ उगलवाने के बाद इन्होनें चैम्बूर को मार डाला।
उधर, बॉण्ड आशा से यह उगलवाने के लिए कि वह आशा थी, उसे बुरी तरह टॉर्चर कर रहा था—वह सब कुछ सहती रही, मगर एक बार भी उसने आशा होना स्वीकार नहीं किया। अतः बॉण्ड ने अपनी एक जासूस को ब्यूटी बनाकर होटल के उस कमरे में रख छोड़ा जहां से वह ब्यूटी के रूप में रह रही आशा को गिरफ्तार करके लाया था।
पीटर हाउस में मौजूद विजय आदि से अचानक ही किसी रहस्यमय आदमी ने फोन पर सम्बन्ध स्थापित किया और कहा कि वह उनके एक-एक रहस्य से वाकिफ था। अपनी बातों से उसने साबित कर दिया कि वह सच बोल रहा था, वह उनके असली नाम भी जानता था और यह भी उन्होंने चैम्बूर को मार डाला था—अपना परिचय गुप्त रखते हुए उसने कोहिनूर की लूट में से हिस्से की मांग की।
सोचने के लिए समय देकर उनसे सम्बन्ध विच्छेद भी कर दिया।
विजय आदि की हालत—आखिर हो कौन सकता था। चैम्बूर की लाश को आने वाली रात के अंधेरे में ठिकाने लगाने के निश्चय करके वे सावधानी के साथ खिड़की रूपी अपने मुख्य गेट से निकल गए।
रात के वक्त इर्विन के पास बेड़ पर सोया अलफांसे उठा, चोरों की तरह कमरे से बाहर निकला—उसका ख्याल था कि ऐसा करते इर्विन ने नहीं देखा था, किन्तु उसका ऐसा सोचना बिल्कुल गलत था, दरअसल इर्विन ने उसकी प्रत्येक हरकत नोट की थी।
प्रत्येक रात की तरह इस रात भी विजय आदि पीटर हाउस में इक्ट्ठे हुए—योजना के मुताबिक अब वे आशा को भी यहां ले आए थे, मगर बेचारे यह नहीं जानते थे कि अब ब्यूटी के मेकअप में वह आशा नहीं, बल्कि बॉण्ड की जासूसी थी।
उस वक्त वे हक्के-बक्के रह गए जब उन्होंने चैम्बूर की लाश को पीटर हाउस के उस कमरे से गायब पाया, जहां उन्होने रखी थी—तभी, रहस्यमय व्यक्ति ने फोन पर कहा कि लाश उसने पीटर हाउस में ही कहीं ऐसे स्थान स्थान पर छुपा रखी थी, जहां से उन्हें लाख
तलाश करने के बाद भी वह नहीं मिलेगी, लाश का पता वह तभी बताएगा जब वे उसे हिस्सा देना कबूल करेंगे—विजय ने कहा कि वह सामने आकर सौदा करे।
उसने अगली रात को पीटर हाउस में आने का वादा कर लिया।
अभी ये लोग उसी रहस्यमय व्यक्ति के बारे में बातें कर रहे थे कि अलफांसे पहुंच गया, अलफांसे को यहां देखकर उन सबका चौंक पड़ना स्वाभाविक ही था—उनसे विजय से फिर कहा कि वह कोहिनूर के चक्कर में नहीं था, बल्कि सचमुच इर्विन के साथ घर बसाकर अपना शेष जीवन शांत से गुजारना चाहता था। यहीं उसने यह भी कहा कि इर्विन उसके बच्चे की मां बनने वाली था—अलफांसे ने उनसे प्रार्थना की कि वे लोग लंदन से चले जाएं, वरना इर्विन भी उसके बारे में वही सोचने लगेगी, जो वे सोच रहे था—विजय आदि के न मानने पर वह यह धमकी देकर चला गया कि यदि उनकी वजह से उसकी फैमिली लाइफ बिगड़ी तो वह एक-एक से गिन-गिनकर बदले लेगा।
रात के उस वक्त भी बॉण्ड आशा को टॉर्चर कर रहा था, जब ब्यूटी बनी उसकी जासूस ने ट्रांसमीटर पर सूचना दी कि विजय, विकास, अशरफ और विक्रम इस वक्त पीटर हाउस में मौजूद थे—पीटर हाउस को इसी वक्त घेरकर इन्हें गिरफ्तार कर लेना उचित था—बॉण्ड ने ओ○के○ कहकर ट्रांसमीटर ऑफ किया और तेज कदमों के साथ टॉर्चर रूम से बाहर निकल गया।
बस, अलफांसे की शादी में आपने इसी दृश्य तक का कथानक पढ़ा था, इससे आगे का कथानक लेकर आया हैं—'कफन तेरे बेटे का'!
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