कब सूरज निकलेगा : Kab Suraj Niklega

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Description

थ्रिल, क्राइम, इन्वेस्टिगेशन, सस्पेंस, रोमांस, कॉमेडी, हॉरर, डिटेक्टिव, रिवेंज व सेंटीमेंट्स से लबालब कथानक।

'कब सूरज निकलेगा?' जी नहीं। ये समस्या बरसात के मौसम की कतई नहीं है। न ही धुंध भरी सर्दी की ही है कि किसी को सूरज के निकलने की प्रतीक्षा है।

फिर 'कब सूरज निकलेगा?' किसके दिल की आवाज...किसके मन की बेचैनी है? जी हां, ये आवाज...ये बेचैनी है उस शख्स की, जिसका नाम तो मैं नहीं बता सकता, कथानक का अन्तिम पन्ना ही उसका नाम खोलेगा। मैं तो उसका परिचय दे सकता हूं और उसका परिचय है—'इंसाफ का सूरज'। 

इंसाफ का सूरज—जो दुश्मन है उन लोगों का, जो कानून को अपने बाप की प्रॉपर्टी समझकर अपराध पर अपराध किए जाते हैं, जिन्हें या तो कानून पकड़ ही नहीं पाता, पकड़ भी लेता है तो सबूत व गवाही के अभाव में दोषमुक्त कर देता है। ऐसे अपराधियों से इंसाफ के सूरज को सख्त घृणा है। वो उन्हें सजा देना अपना परम कर्तव्य समझता है।

जी नहीं—'इंसाफ का सूरज' ऐसे ही गोली नहीं मार देता। वो पहले चैलेंज करता है तथा हत्या की मियाद या सीमा भी तय करता है। ये वादा करता है कि यदि शिकार फलां टाइम के बाद भी स्वयं को जीवित बचा ले गया तो वो उसे क्षमा कर देगा। तब शिकार अपनी जान बचाने के लिए सौ जतन करता है, अपनी समझ में 'पाताल' में जा छिपता है, या फिर ऐसा बन्दोबस्त करता है कि इंसाफ का सूरज तो क्या...स्वयं यमराज भी उस तक नहीं पहुंच सके।

परन्तु 'इंसाफ का सूरज' अपना चैलेंज पूरा करता है। हर बार हत्या का नया तरीका इस्तेमाल करता है। लाश के पास इस बात के प्रमाण भी रख छोड़ता है कि वो अपराधी था।

आखिर कब तक इंसाफ का सूरज ऐसा करता रहेगा? इसका उत्तर है कि जब तक कानून का सूरज नहीं निकल जाता। उसका मानना है कि कानून का सूरज डूबा हुआ है। अपराधियों की अन्धेरे में चांदी कट रही है।

अब तो आपके मन में भी इंसाफ के सूरज का चेहरा देखने की उत्सुकता जाग पड़ी होगी। तो 'कब सूरज निकलेगा' को पढ़ना प्रारम्भ कर दीजिए। नकाब उलटने से पहले इंसाफ के सूरज को पकड़ने की चेष्टा कीजिए। मैं गरीब लेखक दावा तो नहीं करता, परन्तु मुझे विश्वास है कि आप सस्पेंस खुलने से पहले इंसाफ के सूरज को नहीं पकड़ पाएंगे। यदि आप पकड़ लेते हैं तो निःसंदेह बधाई के पात्र हैं।

Kab Suraj Niklega

Sunil Prabhakar सुनील प्रभाकर

 

प्रस्तुत उपन्यास के सभी पात्र एवं घटनायें काल्पनिक हैं। किसी जीवित अथवा मृत व्यक्ति से इनका कतई कोई सम्बन्ध नहीं है। समानता संयोग से हो सकती है। उपन्यास का उद्देश्य मात्र मनोरंजन है। प्रस्तुत उपन्यास में दिए गए हिंसक दृश्योंधूम्रपानमधपान अथवा किसी अन्य मादक पदार्थों के सेवन का प्रकाशक या लेखक कत्तई समर्थन नहीं करते। इस प्रकार के दृश्य पाठकों को इन कृत्यों को प्रेरित करने के लिए नहीं बल्कि कथानक को वास्तविक रूप में दर्शाने के लिए दिए गए हैं।  पाठकों से अनुरोध है की इन कृत्यों वे दुर्व्यसनों को दूर ही रखें। यह उपन्यास मात्र 18 + की आयु के लिए ही प्रकाशित किया गया है। उपन्यासब आगे पड़ने से पाठक अपनी सहमति दर्ज कर रहा है की वह 18 + है।

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Book Title

कब सूरज निकलेगा : Kab Suraj Niklega

Isbn No

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232

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India

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Ravi Pocket Books

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