ईट का जवाब पत्थर
He Won’t Need it Now
James Hadley Chase as James L Docherty
खण्ड एक
वह बहुत उदास था। चेहरे पर खुशी की कोई रेखा नहीं थी।
उसका दिल चाहता था कि किसी रेस्तरं में या होटल के किसी कोने में जाकर बैठ जाये और व्हिस्की के पैग पर पैग उड़ाता जाये।
अचानक एक खूबसूरत लड़की उसके रास्ते में आ गई।
“ऐ हीरो, कहीं चलना है क्या?”
वह एक पेशेवर कॉलगर्ल थी। ऐसी लड़कियाँ अक्सर उसे राह चलते मिल जाती थी।
“आज नहीं।” वह बोला—“और मुझे हीरो मत कहो। डफी...विलियम डफी कह सकती हो।”
वह लड़की उदास-सी होकर आगे बढ़ गई।
विलियम डफी प्रिन्सेस होटल की ओर बढ़ गया।
¶¶
प्रिन्सेस होटल का लाउन्ज डिनर का वक्त होने के इन्तजार में खड़े लोगों से भरा हुआ था। रेस्टोरेन्ट का दरवाजा खुला था और वेटर ग्राहकों के इन्तजार में बेसब्री से पहलू बदल रहे थे। तब केवल सात बजे थे। काफी शोरगुल का माहौल था।
विलियम डफी एक कोने में बैठा बकाडीं क्रस्टा की चुस्कियां लगा रहा था। उसके सामने मेज पर कई बोतलें मौजूद थीं। बॉरमैन उसका दोस्त था, इसलिए वह उसे अपनी कॉकटेल खुद बनाने की इजाजत दे देता था। उसके चेहरे पर वितृष्णा के भाव थे। वह उन्हीं भावों को बरकरार रखे पी रहा था और धूम्रपान कर रहा था। तभी उसे अपने समीप से ट्रिब्यून का साम मैक्गायर गुजरता दिखाई दिया। डफी ने हाथ बढ़ाकर साम की आस्तीन छुई। साम फौरन रुक गया।
“हे भगवान!” वह बोला, “क्या मैं अन्धा हुआ जा रहा हूं?”
“कोशिश तो सरासर मुनासिब कर रहे हो।” डफी बोला-“अभी पूरी तरह अन्धे तो नहीं हुए हो, लेकिन तरक्की की राह पर हो।”
मैक्गायर एक कुर्सी पर बैठ गया।
“आज क्या टुन्न हो जाने का इरादा है?” उसने मेज पर पड़ी बोतलों पर निगाह दौड़ाते हुए पूछा।
डफी ने बॉर टेण्डर से एक और गिलास मंगवाया।
“कोई बखेड़े का आलम मत पैदा करना दोस्त।” वह सशंक स्वर में बोला।
“चिन्ता मत करा।” डफी आश्वासनपूर्ण स्वर में बोला। वह रम की एक बोतल उठाकर उसकी कॉकटेल तैयार करने लगा।
बॉर टेण्डर वापस अपने काउन्टर पर चला गया।
“जरा तगड़ा जाम तैयार करना भई।” साम आह भरकर बोला—“आज मेरा खाना खराब हुआ जा रहा है। अगर कभी मैं टै बोल जाऊं तो हैरान न हो जाना।”
¶¶
डफी कॉकटेल बनाने में जुटा रहा।
मैक्गायर ने एक सिगरेट सुलगा लिया और अपना हैट अपनी नाक पर झुका लिया। उसने गौर से डफी की तरफ देखा। डफी ने उससे निगाह मिलाई और हंसा—“बोलो, बोलो ! मुझे मालूम है तुम क्या कहने जा रहे हो।”
“अच्छा बोलो, जो मैंने सुना है, सच नहीं है न?”
डफी ने कॉकटेल से दो गिलास भरे और सहमति में सिर हिलाया कि सच है भाई सच है। मैक्गायर ने लम्बी सांस लेते हुए एक गिलास उठा लिया। फिर बोला—
“हे भगवान! क्या वाकई उस बूढ़े बकरे ने तुम्हारी छुट्टी कर दी है?”
“हां।”
“लेकिन...।”
“सुनो।” डफी बोला—“शुरू से ही मुझे और आर्कराइट को एक-दूसरे की जात से नफरत रही है। मैंने आज तक उसे अपने पर हावी होने का मौका नहीं दिया था। लेकिन आज ऐसी नौबत आ गई है। वह तो ऐसे मौके की तलाश में ही था। वह उस मौके पर यूं झपटा जैसे भूखा आदमी भोजन की थाली पर झपटता है। कितना खुश हो रहा होगा आज वह, साला। उसने यूं आनन-फानन मुझे धक्का दिया कि मैं सम्भल ही नहीं पाया हूं।”
“लेकिन क्यों?”
“में बच्चा हूं...वह बुजुर्ग है। मुझसे चूक हो गई, साम।”
“क्या चूक हो गई थी तुमसे?”
“तुम मुझे जानते हो। मैं चूकने वाला शख्स नहीं। अगर कभी चूक भी जाऊं तो भी मैं अपनी गलती किसी को मालूम नहीं होने देता। पर इस बार मुझे फांसा गया था। वह हरामजादा आर्कराइट कई हफ्तों से बर्नस्टीन से इण्टरव्यू हासिल करने की फिराक में था। आखिरकार वह अपनी कोशिश में कामयाब हो गया। तुम जानते हो कि बर्नस्टीन कितना फसादी आदमी साबित हो सकता है। वह ऐसे इण्टरव्यू के हक में कतई नहीं था। लेकिन आर्कराइट ने किसी तरह फांस ही लिया उसे। मैं साथ में तस्वीर खींचने के लिए भेजा गया था। अपनी निगाह में मैंने वहां बहुत तस्वीरें खींचीं, लेकिन जब मैंने उन्हें डेवलप किया तो मेरी ऐसी-तैसी फिर गई। सारे के सारे नेगेटिव धुलकर खराब हुए थे। यह शर्तिया किसी की शरारत थी। किसी साले ने पहले ही मेरी नेगेटिव को प्लेंटे खराब कर दी थीं। जो प्लेटे इस्तेमाल से रह गई थीं, मैंने उन्हें टेस्ट किया तो उन्हें धुंधलाया हुआ पाया।” वह एक घूंट पीने के लिए ठिठका। साम खामोश बैठा था, लेकिन वह जानता था कि उसे गुस्सा चढ़ रहा था, “ मैंने बूढ़े बकरे को हकीकत समझाने की कोशिश की लेकिन साले को मेरी बात पर विश्वास ही नहीं हुआ। मुझे गुस्सा आ गया। फिर तू-तू मैं-मैं हो गई। और फिर मेरी छुट्टी।”
“तुम तो बखेड़े में पड़ जाओगे।” साम सोचता हुआ बोला—“वह हरामजादा तो नगर के सारे आर्ट एडीटरों से घुला-मिला हुआ है।”
“मुझे मालूम है। वह सबको कह देगा कि मैं एक गैरजिम्मेदार आदमी हूं। मुझ पर भरोसा नहीं किया जा सकता।”
“लेकिन...!” साम ने कुछ कहना चाहा।
“भाड़ में जाएं सब।” डफी अपना गिलास खाली करता हुआ बोला—“आओ... आज खाना मेरे साथ खाओ।”
साम उठ खड़ा हुआ। वह चिन्तित दिखाई दे रहा था।
आज नहीं। अभी मैंने काम पर वापस जाना है। सुबह मिलना। ऐलिस को बहुत बुरा लगेगा वह खबर सुनकर।”
डफी ने हामी भरी—“मैं आऊंगा। ऐलिस को कहना चिन्ता की कोई बात नहीं है। मैं कोई जुगाड़ कर लूंगा।”
“अच्छा।”
¶¶
admin –
Aliquam fringilla euismod risus ac bibendum. Sed sit amet sem varius ante feugiat lacinia. Nunc ipsum nulla, vulputate ut venenatis vitae, malesuada ut mi. Quisque iaculis, dui congue placerat pretium, augue erat accumsan lacus