हर गोली मौत की सहेली
गौरी पण्डित
“अब मुझे जाना चाहिए सुमित बाबू, रात के नौ बज गए हैं, मां मेरा इंतजार कर रही होगी। आपने कहा कि दफ्तर की जरूरी फाइलें निपटानी हैं, सो मैं आपके साथ आपके घर चली आई, अगर मां को बोल आती तो कोई बात नहीं थी, चाहे फिर घण्टे भर बाद चली जाती.....।”
“ऐसे कैसे जा सकती हो तुम, संगीता!” सुमित ने संगीता नामक युवती का हाथ थाम लिया और उसके उभार लिए हुए सीने को घूरते हुए बोला—“जिस असली काम के लिए मैं तुम्हें घर लाया था, वो काम तो अभी हुआ ही नहीं।”
“क्या मतलब?” वह अपना हाथ छुड़ाते हुए संदिग्ध भाव से सुमित को घूरते हुए बोली—“आपके कहने का मतलब क्या है, सुमित बाबू?”
“अब इतनी भोली भी न बनो, डार्लिंग.....।” सुमित उसे अपनी बांहों में भरकर सीने से जबरन चिपटाते हुए बोला—“हम लोग अय्याशी के लिए ही पर्सनल सेक्रेटरी रखते हैं....खूबसूरत लड़की! तुम अगर ये रिश्ता बनाकर रखोगी तो हम तुम्हें फर्म के मैनेजर से भी ज्यादा सुविधाएं देंगे। दौलत से तोल देंगे हम तुम्हें, डार्लिंग।”
“छोड़ दीजिए मेरा हाथ, सुमित बाबू.....।” वह कसमसाते हुए बोली—“आपने शायद मुझे भी उन लड़कियों में शुमार कर लिया है, जिनके लिए इज्जत से बढ़कर दौलत होती है, लेकिन मैं ऐसी नहीं हूं। मैं अपनी इज्जत को वह अनमोल खजाना समझती हूं, जिस पर सिर्फ पति का हक होता है। मैं जान तो दे सकती हूं लेकिन अपनी इज्जत नहीं।”
“तेरी जान लेने में क्या मजा आएगा, डार्लिंग....?” सुमित उसे उठाकर बिस्तर पर पटकते हुए बोला—“मजा तो तेरी इज्जत के खजाने को लूटने में आएगा। जो लड़की नखरे दिखलाती है, हम उसको जबरन हासिल कर लेते हैं। तू अगर शोर मचाना चाहे तो छूट है इसकी—यह मेरा कमरा साउंडप्रूफ है, तू अगर....वो क्या कहते हैं.....हां, लाउडस्पीकर में भी गला फाड़कर चीखेगी तो तेरी आवाज बाहर नहीं निकल पाएगी।”
वो भेड़िया बनकर टूट पड़ा उस अबला पर।
वो रोई—वह हंसा।
वो गिड़गिड़ाई—उसने ठहाका लगाया।
उसने संघर्ष किया—उसने उसे भंभोड़ डाला।
वह तड़पी—वह आनंद भरी किलकारी मारने लगा।
औरत कमजोर थी, मर्द था मजबूत।
वो लुट गई—वो जालिम लुटेरा बन गया।
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पिंग.....पिंग......पिंग।
उस हल्की-सी आवाज को सुनकर उस्मान अली चौंका, जिसके जेहन में एक ही शब्द बार-बार उभरने लगा था—“डॉन किंग! डॉन किंग! डॉन किंग!”
उसने अलमारी खोली, जिसमें ट्रांसमीटर सेट फिट किया गया था।
“मैं उस्मान अली बोल रहा हूं, डॉन किंग।” वह ट्रांसमीटर से जुड़े माइक्रोफोन से बोला—“गुड ईवनिंग, डॉन किंग साहब।”
“क्या बात है, उस्मान....?” हैडफोन के नन्हें-नन्हें स्पीकरों से भेड़िए की गुर्राहट जैसी आवाज निकाली—“तूने जो दुबई से गोल्ड मंगवाया था, उसका हिस्सा नेशनल पार्क में क्यों नहीं रखवाया है?”
“उस गोल्ड के सौदे की बात चल रही है, डॉन किंग....जैसे ही सौदा होगा.....।”
“हमें तेरे सौदे में कोई इंट्रेस्ट नहीं है, उस्मान—हमें तो अपना कमीशन चाहिए—चाहे तेरा गोल्ड बिके......ना बिके।”
“जी, ठीक है......आज रात ही आपका कमीशन भिजवा दूंगा, डॉन किंग। मैं आपसे एक रिक्वेस्ट करना चाहता हूं, डॉन किंग।”
“बोल।”
“वो....वो क्या है कि कल मेरा बर्थ-डे है—मैं एक छोटी-सी पार्टी दे रहा हूं। अगर आप भी उस पार्टी में शामिल हों तो बड़ी मेहरबानी होगी।”
“तेरे दो बर्थ-डे कैसे हो सकते हैं, उस्मान? तेरा बर्थ-डे तो उन्नीस अप्रैल को होता है।”
उस्मान अली सकपका उठा।
“साले हमीं से झूठ बोलता है तू....।” दूसरी तरफ से मानो कोई भेड़िया कुपित होकर गुर्राया था—“तूने कल अपना बर्थ-डे किस मकसद से बताया है? क्या है तेरे दिमाग में?”
“ऐ.....ऐसी तो कोई बात नहीं है डॉन किंग....।” वह पसीने-पसीने होते हुए बोला—“मैं आपके दर्शन करने का ख्वाहिशमन्द था—इसलिए झूठ बोल गया था। माफी चाहता हूं।”
“नहीं उस्मान....नहीं। तू हमारे दर्शन का नहीं....हमारी मौत का ख्वाहिशमन्द है।”
उस्मान अली के दिमाग में धमाके से होने लगे। अन्जानी शक्ति मानो उसकी कनपटियों पर घूंसे-पर-घूंसे मारने लगी थी।
“अब तू झूठ ना बोलना उस्मान, हमें सारी बातें मालूम हो जाती हैं। हमें मालूम है कि तू थोड़ी देर पहले अपने सिपहसालार से क्या बात कर रहा था.....।”
उस्मान की हालत रो देने वाली हो गई थी।
समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करे? क्या बोलकर अपनी जान बचाए?
“लेकिन कौव्वों के कोसने से जानवर मरा नहीं करते। तू अगर हमारी मौत का ख्वाहिशमन्द है तो होता रहे—हम पर कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है। हां, तेरे को थोड़ी-सी सजा भुगतनी होगी। हमें बुलाकर मारने की सलाह मुन्ना ने दी थी—तू उसे फौरन ही गोली मारेगा। नहीं मारेगा तो तुझे हम मार देंगे—तेरी सारी कम्पनी को तबाह कर डालेंगे हम।”
“न......नहीं, डॉन किंग......।” उस्मान अली के छक्के छूट चले, वह गिड़गिड़ाते हुए बोला—“मुन्ना मेरी कम्पनी का सिपहसालार है, डॉन किंग—उसी ने मेरे बिजनेस को सम्भाला है। अगर मैंने उसे मार दिया तो मेरा सत्यानाश हो जाएगा—मुझ पर रहम कीजिए, डॉन किंग—मैंने आपके बारे में ऐसा सोच कर पाप किया है। माफी चाहता हूं आपसे। आप मुन्ना को मारने का हुक्म ना दीजिए।”
“तो फिर ठीक है......तेरा दुबई से जितना भी सोना आया है, वो तू हमें दे दे।”
“ले......लेकिन......।”
“बकवास नहीं उस्मान—तूने या तो मुन्ना को जान से मारना होगा या हमें सारा गोल्ड देना होगा—जल्दी से बोल कि तू क्या चाहता है?”
“जी....जी मैं गोल्ड ही दे दूंगा।”
“गुड! आइंदा तेरे दिमाग में ऐसी कोई बात आई तो हम तेरी जान ले लेंगे। इससे कम में सौदा नहीं होगा। रिमेम्बर?”
इसी के साथ दूसरी तरफ से कनेक्शन कट गया।
उस्मान अली दोनों हाथों से सिर को थाम कर बैठ गया।
“क्या हुआ उस्मान भाई?”
उसने चौंककर मुन्ना को देखा।
“आप काफी परेशान नजर आ रहे हैं?”
“डॉन किंग से बात चल रही थी मुन्ना....।” वह ठण्डी आह भरते हुए बोला—“उस साले को बात मालूम हो गई थी कि हम उससे छुटकारा पाने के लिए उसे मारने की सोच रहे थे।”
“व्हाट.....?” मुन्ना चिहुंकते हुए बोला—“लेकिन डॉन किंग को भला यह बात कैसे मालूम हो गयी?”
“मालूम नहीं। उसने हमसे सजा के तौर पर तुम्हारी जान या दुबई से आया सारा गोल्ड मांगा है।”
“वो सोना कम्पनी के लिए बहुत फायदेमंद होगा—उससे हथियार खरीदे जाएंगे—अगर वह सोना चला गया तो कम्पनी को नुकसान होगा। आप मुझे मार....।”
“हम तेरी वफादारी की कद्र करते हैं, मुन्ना—वो सोना तेरे से ज्यादा कीमती थोड़े ही है। आज रात ही वह सारा सोना नेशनल पार्क में भिजवा देना। अपने आदमियों से बोलना कि वह वहां रुकें नहीं। हमारे जो भी आदमी वहां यह देखने के लिए रुके कि कौन माल लेने आता है, उनकी लाशें ही मिली हैं हमें।”
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