डॉल्फिन : Dolphin
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Description
इस उपन्यास की कहानी की पृष्ठभूमि हिमालय की गोद में बने एक स्टेट में पनप रहे षड्यन्त्र के चक्रव्यूह की तरह रची गयी है - जिसे डॉल्फिन बनकर आपके सपनों की रानी रीमा भारती ने अपने दिमागी कम्प्यूटर और जलवा अफरोज हुस्न के हैरात अंजेग दाव-पेचों से न केवल नेस्तनाबूद किया बल्कि देशभक्ति की भी एक बुलन्दी हासिल की।
Dolphin
Reema Bharti
Ravi Pocket Books
BookMadaari
प्रस्तुत उपन्यास के सभी पात्र एवं घटनायें काल्पनिक हैं। किसी जीवित अथवा मृत व्यक्ति से इनका कतई कोई सम्बन्ध नहीं है। समानता संयोग से हो सकती है। उपन्यास का उद्देश्य मात्र मनोरंजन है। प्रस्तुत उपन्यास में दिए गए हिंसक दृश्यों, धूम्रपान, मधपान अथवा किसी अन्य मादक पदार्थों के सेवन का प्रकाशक या लेखक कत्तई समर्थन नहीं करते। इस प्रकार के दृश्य पाठकों को इन कृत्यों को प्रेरित करने के लिए नहीं बल्कि कथानक को वास्तविक रूप में दर्शाने के लिए दिए गए हैं। पाठकों से अनुरोध है की इन कृत्यों वे दुर्व्यसनों को दूर ही रखें। यह उपन्यास मात्र 18 + की आयु के लिए ही प्रकाशित किया गया है। उपन्यासब आगे पड़ने से पाठक अपनी सहमति दर्ज कर रहा है की वह 18 + है।
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डॉल्फिन
सूर्य अपना सफर तय कर समाप्ति की ओर अग्रसर था। उसकी लालिमा की रश्मियों ने वसुन्धरा का वातावरण शीतल कर सुन्दरता के आवरण से ढक रखा था। ब्यूटी क्वीन रीमा भारती अपने बैडरूम में दोपहर की नींद में आनन्दमग्न थी। रश्मियों की मध्यम रेशमी किरणें बैडरूम में लगी खिड़की के शीशों से छन-छनकर ब्यूटी क्वीन की रेशमी त्वचा का स्पन्दन कर रही थीं।
अचानक!
‘बीप....बीप....बीप!’ सिरहाने टेबल पर रखा मोबाइल घनघना उठा। स्पाई क्वीन ने कुनमुनाते हुए मुंदी-मुंदी आंखों को मला और हाथ बढ़ाकर मोबाइल स्क्रीन पर अंकित नम्बरों को देखा, स्क्रीन देखते ही चेहरे पर विस्मय के भाव उभरे। कारण स्पष्ट था, स्क्रीन पर अंकित नम्बर बिल्कुल अजनबी थे। तत्पश्चात् कुछ विचार कर उसने मोबाइल ऑन कर अपने कान से लगाया।
“हैलो! रीमा भारती स्पीकिंग।” उसने अलसाये स्वर में कहा।
“हैलो, माई डियर हनी कैसी हो?” दूसरी ओर से शहद की चटनी में लिपटी आवाज उभरी।
“फिलहाल तो ठीक ही हूं लेकिन मैं आपको पहचान नहीं रही हूं।” रीमा ने आश्चर्य से पूछा।
“वन्डरफुल! अरे भई, यह तो और भी अच्छी बात है, कम-से-कम तुमसे और उम्मीद भी क्या की जा सकती है। जरा अपने मस्तिष्क पर जोर डालो और सोचो कि इंग्लैंड में जब तुम पढ़ाई के लिये आई हुई थीं, तब तुम्हारी कोई दिलकश साथी हुआ करती थी। सोचो....सोचो कौन थी वो! क्या नाम था उसका सोचो!”
स्पाई क्वीन ने अपने मस्तिष्क पर जोर दिया। और कुछ सेकण्डों के लिये वह अतीत में भ्रमण कर झट से बोली—“हां-हां, याद आ गया। तुम ‘ओलंगा’ स्टेट की निवासी ‘सिन्दरैला’ हो—मेरी प्यारी रैला।”
“अरे वाह! तुम्हारा दिमाग तो वाकई किसी कम्प्यूटर की भांति चलता है।” सिन्दरैला ने आश्चर्यचकित होकर कहा। और आगे बोली—“रीमा, तुम तो कहा करती थीं कि मैं तुमसे बहुत जल्दी मिलूंगी, तुम्हारे यहां का आतिथ्य स्वीकार करूंगी, तुम मुझे बहुत अच्छी लगती हो। क्या हुई वे सब बातें या मुझे भूल ही गईं?” रैला का लहजा शिकायत भरा था।
रीमा ने कहा—“अरे नहीं-नहीं ऐसी बात नहीं है। दरअसल अब मैं बहुत व्यस्त जिन्दगी जी रही हूं।”
सिन्दरैला उसकी बात बीच में काटते हुए बोली—“हां-हां, मैंने तुम्हारे कारनामों के विषय में काफी कुछ सुन रखा है, और जब भी कभी टी.वी. ऑन करती हूं तो अक्सर तुम्हारे सनसनीखेज कारनामों के विषय में और भी विस्तृत जानकारी प्राप्त होती है। मगर यार, कभी तो इससे तुम्हें कुछ दिनों की छुट्टी जरूर मिलती होगी। क्या तब भी मेरा ख्याल नहीं आता?” रैला की बातों में गुस्से और शिकायत का मिला-जुला पुट प्रतीत होता था।
“अरे बाबा, ऐसा नहीं है। मुझे छुट्टी भी मिलती है, और तुमसे मिलने को मेरा दिल भी करता है। मैंने तो अब की बार स्वयं ही तुम्हारे पास आने का प्रोग्राम बना रखा था। लेकिन यह भी अच्छा हुआ कि मेरे वहां पहुंचने से पूर्व ही तुम्हारा फोन आ गया।” रीमा ने प्रसन्नता प्रकट करते हुए कहा।
“झूठ—बिल्कुल झूठ—तुम्हें पता है, मुझे तुम्हारा मोबाइल नम्बर बड़ी मुश्किल से प्राप्त हुआ है। मैंने तुम्हारे पास फोन करने के लिये पहले तुम्हारे चीफ के ऑफिस में प्रयास किया, लेकिन वहां केवल बैल बजती रही। फिर तुम्हारे चीफ के मोबाइल पर बात कर बड़ी मुश्किल से तुम्हारा नम्बर प्राप्त किया।” सिन्दरैला ने अपनी परेशानी व्यक्त करते हुए कहा।
“लेकिन माई डियर स्वीट हार्ट, अब ऐसा नहीं होगा। ठीक एक सप्ताह बाद मेरी वार्षिक छुट्टियां पड़ेंगी। मैं तुम्हारे साथ ही छुट्टियों का मजा लूंगी।”
“मगर!” रैला ने उसकी बात को फिर काटा।
“अगर-मगर क्या लगा रखी है, साफ-साफ बताओ बात क्या है?” रीमा ने एक-एक शब्द को चबाकर कहा।
सिन्दरैला अपनी बात का सिलसिला आगे बढ़ाते हुए बताने लगी। जिससे उसके चेहरे पर मौत का सन्नाटा व्याप्त होता चला गया।
“नहीं रैला, ऐसा नहीं हो सकता!” रीमा ने अपने हाथों की मुट्ठियों को भींचते हुए कहा।
“रीमा, मैं बिल्कुल सही बता रही हूं और जब मैं तुम्हारे चीफ खुराना से तुम्हारे मोबाइल नम्बर की बाबत बात कर रही थी तो उन्होंने मेरी जानकारी के लिये बहुत-से सवाल किये। जब उन्हें पूर्ण रूप से विश्वास हो गया, तब कहीं जाकर मुझे तुम्हारा नम्बर दिया, और जो कुछ मैंने तुम्हें बताया है, वही सब कुछ मैं तुम्हारे चीफ से बता चुकी हूं। उन्होंने मुझे इस बात की बाबत पूर्ण आश्वासन दिया है।”
“यदि जो तुम बता रही हो वह बात सत्य है तो मैं पीछे हटने वालों में से नहीं हूं, और वैसे भी कई वर्षों पूर्व से ‘ओलंगा’ से हमारे देश के दोस्ताना सम्बन्ध रहे हैं। इस लिये हमारा और हमारे देश का परम कर्तव्य है, कि किसी पड़ौसी देश पर यदि कोई विपदा आए तो उसे हम बलपूर्वक दूर कर दें।” यह सब बताते हुए स्पाई क्वीन रीमा भारती के जबड़े परस्पर रगड़ खा रहे थे और चेहरा किसी दहकते अंगारे की भांति सुर्ख होता चला गया था। कारण—सिन्दरैला की बातें थीं। रीमा स्वयं पर काबू पाते पुनः बोली—“तुम चिन्ता मत करो, मैं जल्दी ही तुम्हारे पास पहुंच जाऊंगी।” इतना कहते ही सम्बन्ध विच्छेद कर दिया गया।
टेबल पर मोबाइल रख, अभी स्पाई क्वीन रीमा भारती ने टेबल पर रखे पानी के गिलास के ऊपर से प्लेट को छुआ ही था कि मोबाइल की बीप पुनः घनघना उठी। एक ही झटके में उसने मोबाइल ऑन कर कान से लगाया और बोली—“हां रैला, क्या हुआ?”
दूसरी ओर से एक मर्दाना स्वर रीमा के कान में पड़ा तो वह सतर्क हो गई। कारण—दूसरी ओर से कॉल आई.एस.सी. के ऑफिस से, चीफ मिस्टर खुराना की थी।
“क्या हुआ बेटी, सब खैरियत तो है?”
“ओह सॉरी अंकल! वो क्या है कि अभी-अभी मेरी एक दोस्त का फोन आया था, तो मुझे ऐसा लगा कि कॉल उसी ने की हो, इसी कारणवश मैंने बिना स्क्रीन चैक करे मोबाइल ऑन कर बातें करनी शुरू कर दीं।” रीमा ने अपनी हड़बड़ाहट का कारण बताया।
“अच्छा तो ये बात है। तभी मैं कहूं कि फोन क्यों नहीं मिल रहा है। मैं यहां इतनी देर से बार-बार नम्बर मिलाने की कोशिश कर रहा था। फिलहाल तो ये बताओ कि इस वक्त क्या कर रही हो?”
“फिलहाल तो आराम से फारिग हुई हूं, दोपहर की नींद में मग्न थी। आदेश करें सर।”
“तुम ऐसा करो बेटी कि यहां ऑफिस में चली आओ। एक विशेष मैटर पर डिसकस करनी है, जो केवल तुम्हारे लिए सुटेबिल है।”
“ठीक है सर, मैं पन्द्रह-बीस मिनट में आपके समक्ष उपस्थित होती हूं।”
“ओके।” सम्बन्ध विच्छेद कर दिया गया।
¶¶
ब्यूटी क्वीन ने करीब दस मिनट में स्वयं को सजा-संवारकर व्यवस्थित किया और पोर्च में पहुंचकर अपनी मनपसन्द कार आल्टो का इंजन जगाया। कुछ क्षणों पश्चात् ‘रीमा विला’ छोड़ रीमा भारती कार से करीब दस मिनट के अन्दर आई.एस.सी. के न्योन साइन बोर्ड से सुसज्जित इमारत के गेट पर थी। स्पाई क्वीन ने गाड़ी पोर्च में लगाई, तत्पश्चात् इमारत के मुख्य द्वार में प्रवेश कर दाएं हाथ वाली साईड में बनी ऊपर जाती सीढ़ियों का रुख किया।
दूसरे फ्लोर पर पहुंचते ही ठीक सामने ही आई.एस.सी. का ऑफिस था, जिसके द्वार के साईड पर लगी तख्ती पर अंकित चीफ खुराना को आई.एस.सी. के बॉस होने का आभास कराती थी।
गेट के हैंडिल को पुश कर स्पाई क्वीन रीमा भारती ने ऑफिस में प्रवेश किया। सामने बैठे चीफ को देखते ही रीमा बोली—“गुड ईवनिंग सर!”
“गुड ईवनिंग बेटी! आओ-आओ, मैं तुम्हारे ही विषय में सोच रहा था।”
“बैठो।” अपने सामने पड़ी चेयर की ओर इशारा करते हुए चीफ ने कहा।
“थैंक्यू सर।”
“बेटी, तुम्हारी सहेली का फोन आया था, ऐसा ही कुछ नाम बताया था उसने सिन्द करके....।”
“सिन्दरैला सर!” रीमा ने तपाक से जवाब दिया।
“हां-हां, यही नाम बताया था उसने अपना। वो तो हमारे मित्र ‘ओलंगा’ स्टेट की रानी है।”
“जी सर।”
“बेटी, तुम कितने अर्से से परिचित हो उससे?”
“यही सर, कुछेक सालों से जानती हूं उसे। जिस दौरान मैं अपनी पढ़ाई पूरी करने के लिये इंग्लैंड गई थी, तभी से उससे मेरी दोस्ती है।”
चीफ खुराना ने अपनी टेबल की दराज खींची और उसमें से सिगारकेस निकाला। फिर केस से सिगार निकालकर सुलगाने में मशगूल हो गए। तत्पश्चात् सिगार के कश मारते हुए सिगारकेस को यथास्थान रख दराज बन्द की और पुनः रीमा से मुखातिब हुए—
“क्या तुम्हारी सिन्दरैला से बातचीत हुई है?” चीफ सिगार के धुएं के छल्ले छोड़ते हुए बोले।
“हां सर, वह मुझसे बात कर चुकी है।” रीमा ने नम्रतापूर्वक कहा।
“क्या बताया उसने तुम्हें?”
“वही जो आपको....।” उसने चीफ को पूरी जानकारी दी।
“क्या कभी तुम ओलंगा स्टेट गयी हो?”
“नो सर! अबकी बार वार्षिक छुट्टियों में मेरा वहां जाने का प्रोग्राम था।”
“क्यों नहीं, क्यों नहीं! तुम वहां जाओ। वहां के प्राकृतिक सौन्दर्य और वहां के वातावरण, जन सम्प्रदाय की प्राचीन सभ्यता का लुत्फ लो।” बन्द शब्दों में मिस्टर खुराना रीमा को ओलंगा भेजने का खुला निमंत्रण दे रहे थे।
लेकिन चीफ खुराना को रीमा भारती की वार्षिक छुट्टियों का भी पूर्ण आभास था, जिस कारणवश वह खुलकर किसी मसले पर आदेश देने के लिए विवश थे। एक कारण और भी था उनकी विवशता का कि रीमा की गैरहाजिरी में वह किसी अन्य को भी वह कार्य सौंप सकते थे। मगर फिर भी रीमा को शब्द-जाल में फंसाकर उसे ओलंगा स्टेट में भेजने का प्रयास कर रहे थे। मिस्टर खुराना ने एक गहरा कश लिया और बोले—
“बेटी, तुम्हारी सहेली ने मुझे कुछ विशेष तौर पर अपने यहां के घटनाक्रम के विषय में जानकारी दी है। जहां तक मेरा ख्याल है, इस बात की बाबत उसने तुम्हें अवगत करा दिया होगा।”
“हां, सर! उसने मुझे बताया था कि मैंने चीफ खुराना से मदद की गुहार की थी, जिस पर मि. खुराना ने मुझे आश्वासन ही नहीं, पूर्ण विश्वास दिलाया है कि वह मेरी मदद अवश्य करेंगे।”
“हां बेटी, उसने तुम्हें सही बताया है, अब तुम्हीं सोचो, जिस देश से हमारे दोस्ताना सम्बन्ध हों, क्या हमें उसकी मदद नहीं करनी चाहिए? न जाने कब हमें भी दूसरे देश से सहायता लेनी पड़े। और जो बातें उसने हमें बताई हैं, हो सकता है वह हमारे काम की सिद्ध हों।” खुराना एक-एक शब्द पर जोर देकर रीमा को समझा रहे थे— “क्या तुम अपनी छुट्टियां ओलंगा स्टेट में बिताना पसन्द करोगी?” सीधा-सा सवाल कार्य के मुताबिक खुराना ने रीमा के आगे पेश कर दिया।
रीमा भारती आई.एस.सी. की मानी हुई तेज-तर्रार नम्बर वन एजेन्ट थी। वह अपने चीफ मिस्टर खुराना के व्यवहार से भली-भांति परिचित थी। उसकी नजर खुराना पर टिकी हुई, उनको सिगार पीते हुए देखकर इस बात का एहसास कर रही थी, कि खुराना के सवाल पर मैं जल्दी से हां कह दूं। उसने अपने गुलाब की पंखुड़ियों की भांति होठों से एक मन्द मुस्कान छोड़ी, जिस पर खुराना उसकी निगाहों से बचने के लिये इधर-उधर देखने लगे।
इस पर रीमा ने कहा—“सर, आप चाहते क्या हैं?”
उल्टा सवाल स्वयं पर पड़ते ही खुराना चौंक पड़े।
“म....मैं....मैं तो यह चाहता हूं बेटी कि तुम अपनी वार्षिक छुट्टियों का आनन्द अपनी सहेली सिन्दरैला के साथ ‘ओलंगा स्टेट’ में लो। वहां की सभ्यता को देखो, वहां घूमो, वहां के शीतल वातावरण का आनन्द लो। आखिर एक देश के रक्षक को सभी चीजों का आनन्द उठाना चाहिए, लेकिन देश के सिपाही होने के नाते अपने देश की शानो-शौकत, मान-मर्यादा का उल्लंघन करने वालों को भी देखना अति आवश्यक है, इसमें चाहे हमारा देश हो या मित्र देश।” कुछ क्षण रुककर पुनः खुराना साहब ने कुछ बताना शुरू किया—“एक काम की बात और है बेटी, जो इस विषय में अहम दर्जा रखती है मगर....!”
“मगर क्या अंकल?” रीमा ने उत्सुकतावश पूछा।
“मगर बेटी, अब तुम काम करोगी या छुट्टियों का मजा लोगी।” खुराना ने निराशाजनक लहजे में कहा।
“ये क्या कह रहे हैं सर, आपने अभी तो स्वयं ही कहा है, कि एक सिपाही को पहले अपने देश के बारे में सोचना चाहिए, फिर उसके बाद कुछ और!”
रीमा के प्रति देश-भावना व्यक्त कर चीफ ने उसे काम पूछने पर विवश कर दिया।
“शाबास मेरी गुड़िया! तो सबसे पहले वह बात सुनो जो तुम्हारे फायदे की है। वो ये कि यदि तुम ‘ओलंगा स्टेट’ पहुँच जाती हो तो तुम्हारी छुट्टियां भी वहां बीत जाएंगी और तुम सतर्कतापूर्वक अपने शिकार पर भी निगाह जमाए रखने में कामयाब रहोगी।”
“शिकार सर? मेरी कुछ समझ में नहीं आ रहा।”
“बेटी, कुछ दिन पहले की बात है—खुफिया विभाग की रिपोर्ट में बताया गया था कि ‘ओलंगा स्टेट’ में कुछ सन्दिग्ध व्यक्तियों को देखा गया है। जिन पर नाना प्रकार की शंकाएं व्यक्त की जा रही हैं।”
“क्या कोई विशेष मसला है सर?”
“हां बेटी, खुफिया तंत्र की रिपोर्ट के मुताबिक मुझे ऐसा प्रतीत होता है, जैसे ‘ओलंगा स्टेट’ में कोई आतंकवादी संगठन अपनी कार्यशैली में सक्रिय हो रहा है।” चीफ ने बड़े ध्यान से अपनी बात को रीमा के जहन में बिठाया।
“लेकिन सर, जहां तक मेरी सोच है, ओलंगा स्टेट पहुंचने के लिए तो सिवाय समुद्री जहाज या नाव आदि के कोई अन्य साधन भी नहीं है।” रीमा ने आश्चर्यविभोर होकर कहा।
“हां बेटी, तुम्हारा सोचना बिल्कुल सत्य है। समुद्री साधन के अलावा वहां पहुंचने का और कोई रास्ता नहीं है, या फिर कोई हवाई साधन होना जरूरी है, लेकिन रिपोर्ट के मुताबिक वहां ऐसा कुछ नहीं देखा गया। मगर वहां संदिग्ध व्यक्ति नजर आते हैं।”
“ऐसा भी तो हो सकता है, सर, कि वहां इराक से भागे हुए रिपब्लिकन गार्ड शरणार्थी के रूप में छुपे हुए हों।” रीमा ने संदिग्ध व्यक्तियों के प्रति अपनी आशंका व्यक्त की।
“हां, ऐसा भी हो सकता है, रिपोर्ट में इस विषय को लेकर भी इन्डीकेट किया गया है।”
“सर, वहां लोकतांत्रिक व्यवस्था नहीं है?” रीमा ने गहरे कुतूहल से पूछा।
“नहीं, वहां राजशाही व्यवस्था है....।” चीफ खुराना ने बताया—“और वह भी रानी द्वारा सत्ता सम्भालने का रिवाज है। दरअसल वहां आदिवासी सभ्यता की प्रधानता है। पुरानी परम्पराओं और रीतियों को वहां के लोग छोड़ नहीं पाये हैं। कबीलाई लोग रानी को देवी का अवतार समझते हैं। चूंकि सैकड़ों सालों से राजशाही परिवार के लोग गोरे-सुन्दर और सम्पन्नता में पले-बढ़े होते हैं, इसलिये उनके रक्त को शुद्ध माना जाता है। वहां की व्यवस्था के बारे में कुछ-कुछ उदाहरण इंग्लैण्ड का लिया जा सकता है। जहां डेमाक्रेसी होते हुए सारा राज--काज महारानी के नाम पर चलता है। उस कबीलाई राज्य में रानी की होने वाली सन्तान यदि कोई पुत्री है तो मौजूदा रानी के बाद वही राजगद्दी पर बैठती है। यदि पुत्रियों की संख्या एक से अधिक है तो ज्येष्ठ पुत्री को यह अधिकार मिलता है, उसके बाद दूसरी पुत्री का नंबर आता है। राज्य करने की प्रथा के लिए वहां बाकायदा कानून बना हुआ है। राज्य के अन्य क्षेत्रों, कार्यों में भी राजवंश के लोगों को ही प्रधानता दी जाती है। जैसे कि सेना का प्रधान राजघराने का ही होगा। राजपुरोहित भी वंश परम्परा से चलता है। रानी के बाद सबसे महत्वपूर्ण दूसरा पद राजपुरोहित का ही होता है। उसका आदेश देवता के आदेश के रूप में माना जाता है।”
चीफ की बातें, मंत्रमुग्ध सी होकर रीमा सुन रही थी। उनके बात पूरी करने पर उसने पूछा—
“वहां संदिग्ध लोगों को देखे जाने की वजह क्या हो सकती है?”
“अच्छा सवाल है।” चीफ ने कहा—“एक प्रमुख वजह वहां शाही घरानों में मौजूद करोड़ों-अरबों डालर के हीरे-जवाहरात हैं। वहां मौजूद एक विलक्षण हीरा, जो सिन्दूरी रंगत का है, उसका वजन चार सौ ग्राम से कुछ अधिक है, दुनिया का नायाब हीरा है। वह हीरा वहां के प्राचीन देवता के माथे में जड़ा हुआ है।”
रीमा जैसे ख्वाबों में खो गयी।
चीफ ने पूछा—“कहां खो गईं रीमा बेटी?”
“कुछ नहीं सर, वो क्या है कि मैं उस सिन्दूरी हीरे के बारे में सोच रही थी कि जब आपकी बातें सुनकर इतना आश्चर्य हो रहा है, तो वहां पहुंचूंगी तब कितना आश्चर्य होगा।” रीमा ने विस्मयभरे शब्दों में कहा।
“ठीक है बेटी! ये नीले रंग की फाइल है, इसमें तुम्हारी सहायता के लिए हमारे खुफिया तंत्र की रिपोर्ट है। इसका तसल्लीबख्श अध्ययन करके मुझसे सम्पर्क स्थापित कर लेना।” चीफ ने फाइल को रीमा की ओर बढ़ाया और सिगार में कश लगाने लगे।
“ठीक है सर! मैं इसका अध्ययन कर लूंगी और आपसे सम्पर्क स्थापित कर लूंगी।” रीमा ने फाइल को हाथ में थामा और कुर्सी छोड़ दी।
“अच्छा अंकल, अब मुझे इजाजत दें।”
“ओके बेटी, बैस्ट ऑफ लक।”
रीमा खुराना से विदा लेकर ऑफिस से बाहर निकल गई।
¶¶
और अगले दिन—
“हैलो! मिस्टर खुराना स्पीकिंग।”
“हैलो सर, मैं रीमा भारती बोल रही हूं।”
“कहो बेटी! कैसी हो?”
“ठीक हूं सर, वो मैंने नीली फाइल का अध्ययन कर लिया है, मगर उसमें एक समस्या है।” रीमा ने परेशान भाव में कहा।
“वो क्या बेटी?”
“अंकल, उस फाइल में मुझे वहां की भौगोलिक स्थिति का पता नहीं लग रहा है। जो पता होना बहुत जरूरी है।” उसने अपनी समस्या का कारण बताया।
“तुम उसकी चिन्ता मत करो। यदि हो सके तो यहीं ऑफिस चली आओ, मैं तुम्हें कुछ आवश्यक जानकारी वहां के विषय में बता दूंगा।”
“ठीक है सर, मैं पहुंचती हूं।” इतना कहकर सम्बन्ध विच्छेद कर दिया गया।
रीमा चीफ से मिलने ऑफिस के लिए चल दी।
करीब बीस मिनट के अन्दर स्पाई क्वीन चीफ मिस्टर खुराना के समक्ष कुर्सी में समाई हुई थी। और खुराना उंगलियों में सिगार फंसाये उसका कश लगाकर आनन्द ले रहे थे।
चीफ ने अपनी टेबल की दराज से एक मैप निकाला और उसे खोलकर टेबल पर किसी दस्तरखान की तरह बिछा दिया और पतली सी स्टिक मैप पर लगे चिन्हों पर रखते हुए रीमा भारती को समझाना प्रारम्भ किया। रीमा की आंखों में चमक पैदा हुई और वह इन्डीकेट करते स्टिक पाइंट को गौर से देखने लगी।
मिस्टर खुराना बीच में रुकते हुए बोले—
“देखो बेटी! पर्वतराज हिमालय की गोद में बसा ओलंगा स्टेट भारत के सुन्दरतम् राज्यों में से एक है। संविधान संशोधन द्वारा भारत संघ में राज्य के रूप में शामिल होने से पूर्व ओलंगा स्टेट एक स्वतंत्र राज्य था, और उसे आज भी स्वतंत्र स्टेट का ही दर्जा प्राप्त है।
यह नन्हां-सा पहाड़ी राज्य विविधताओं का खजाना है, यहां का मनोरम वातावरण खूबसूरत दृश्यावली, पर्वत ऋंखलाएं, शीतल झरने, घाटियां, हरे-भरे मैदान तथा यहां की परंपरागत संस्कृति बेहद आकर्षित करती है।”
स्पाई क्वीन रीमा भारती अपने दिमागी कम्प्यूटर का स्विच ऑन कर मिस्टर खुराना की एक-एक बात फीड कर रही थी। इसी बीच एक पल के लिये उसने अपने चीफ को टोका—
“अंकल, क्या जैसा आप मुझे बता रहे हैं, बिल्कुल वैसा ही दृश्य मुझे वहां देखने को मिलेगा?” रीमा ने अपनी उत्सुकता जताई।
“हां, बेटी, ये बिल्कुल सत्य है। और यहां तक कि फूलों एवं पत्तियों की सर्वाधिक किस्में ओलंगा में ही पाई जाती हैं। आर्किड की विश्व भर में पाई जाने वाली हजारों प्रजातियों में से अकेले ओलंगा में सर्वाधिक प्रजातियां पाई जाती हैं। ओलंगा के मूल निवासी नेप्चा और कूरिया हैं, लेकिन यहां बड़ी तादाद में कबीलाई रहते हैं। अधिकांश लोग प्राचीन सभ्यता के कारणवश देवी-देवताओं तथा अपनी रानी एवं बौद्ध धर्म को मानने वाले हैं। ओलंगा उन कुछेक स्टेटों में से है, जहां रेल यातायात की सुविधा नहीं है। इसी ओलंगा स्टेट की राजधानी है ‘इफलांग’, वहां के स्थानीय लोग इसे ‘फलांग’ या ‘हफलांग’ कहते हैं। यह ओलंगा स्टेट देश का एक बेहद खूबसूरत हिल स्टेशन भी है, इसको अगर ‘म्यूजियम’ में रखने लायक शहर कहा जाए तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। ओेलंगा समुद्रतल से कई सौ फुट की ऊंचाई पर बसा हुआ है। कई किलोमीटर की दूरी पर अन्य शहर भी इससे जुड़े हैं। सिलीगुड़ी से बस रवाना होने के लगभग पचास मिनट बाद हल्की चढ़ाई प्रारम्भ हो जाती है। हरियाली के आवरण में लिपटे ऊंचे-ऊंचे पर्वतों एवं उसके आर-पार तैरते बादलों का अचानक प्रकट होना विस्मित कर देता है। ऐसा प्रतीत होता है मानो सपनों की दुनिया में आ गए हों। और नीचे खाइयों में प्रवाहित होती खूबसूरत और अंचला पीस्ता नदी भी दिखाई देने लगती है, यह नदी ओलंगा की जीवन रेखा कही जाती है। लगभग साढ़े चार घंटे का सफर तय करने के पश्चात् बस अंगपो शहर में स्टॉप लेती है, जहां खाने-पीने तथा ठहरने की सभी सुख-सुविधाएं उपलब्ध हैं। अंगपो शहर में लगभग 15 मिनट रुकने के पश्चात् बस पुनः गंतव्य की ओर प्रस्थान करती है। तकरीबन दो घण्टे का सफर तय करने के बाद बस ओलंगा की राजधानी हफलांग शहर में प्रवेश कर जाती है। पहाड़ की वादियों का मनोरम दृश्य देखते-देखते 5-6 घण्टे कैसे बीत जाते हैं, इसका जरा भी एहसास नहीं होता।”
“एहसास होगा भी कैसे अंकल, क्योंकि यह सब प्रकृति की लीला है, जिसे कोई झुठला नहीं सकता।” रीमा भारती ने प्रसन्नतापूर्वक कहा।
“बेटी! तुम आई.एस.सी. की मानी हुई तेज-तर्रार स्पाई हो, जिस पर संस्था के ही नहीं, हिन्दुस्तान के हर नागरिक को गर्व है। अब ये मिशन ‘ओलंगा’ तुम्हारे हाथ में सौंपा जा रहा है, इस पर तुम्हें विजय प्राप्त कर वापस लौटना है।”
“ठीक है सर! आपकी भारत मां की लाडली ने अपने दुश्मनों के हमेशा छक्के छुड़ाये हैं और अब भी मैं पीछे मुड़कर देखने वालों में से नहीं हूं।” रीमा भारती ने अपनी मुट्ठियां भींचकर दृढ़तापूर्वक कहा।
“बेटी रीमा! इतना तो मुझे भी एहसास है कि एक जासूस को अपनी जान हथेली पर रखकर अपने गंतव्य की ओर बढ़ना पड़ता है। मगर तुम अपना ख्याल रखना। मेरा आशीर्वाद सदैव तुम्हारे साथ रहेगा।” मिस्टर खुराना जुदाईभरे लहजे में बोले।
“मगर अंकल, आप तो भली-भांति जानते हैं कि मैं सदैव मौत की आगोश में जीती हूं। और मेरा मानना है कि जिन्दगी का मजा वही शख्स ले सकता है जो हर दिन को जिन्दगी का आखिरी दिन समझे। खैर, सर, आप मुझे इजाजत दीजिए।” रीमा ने खुराना से विदाई चाही।
“ठीक है बेटी! मैंने तुम्हारे ‘ओलंगा स्टेट’ की राजधानी हफलांग तक पहुंचने का प्रबन्ध गुप्त रूप से कर दिया है। तुम दो दिन और आराम कर सकती हो, उसके पश्चात् अगले दिन तुम्हें अपना सफर तय करना है।”
“ओके सर!” ब्यूटी क्वीन ने दृढ़तापूर्वक कहा।
¶¶
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Additional information
Book Title | डॉल्फिन : Dolphin |
---|---|
Isbn No | |
No of Pages | 318 |
Country Of Orign | India |
Year of Publication | |
Language | |
Genres | |
Author | |
Age | |
Publisher Name | Ravi Pocket Books |
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