चंगेज़ खान
“व्हॉट!” चीन की राजधानी बीजिंग के बीचोंबीच स्थित चीनी पुरातत्व शोध विभाग के हैड ऑफिस में बैठा एच○ओ○डी○ यूं चिहुंका मानो सामने बैठे मोटे-ताजे चीनी ने उसे धरती पर यू○एफ○ओ○ के प्रकट होने की पक्की खबर दी हो। एच○ओ○डी○ लगातार उस मोटे चीनी को घूरता रहा जो उसके सामने बैठा था। सपाट चेहरा लिए।
एच○ओ○डी○ भुनभुनाया—“इस बात की खबर मुझे पहले क्यों नहीं की गई? अगर वो अपने प्रयोग में सफल हो गया तो जानते हो......।”
“सर, वो सफल हो ही गया समझो।” मोटा सुसंयत भाव से बोला—“उसका प्रयोग नब्बे परसेन्ट से भी ज्यादा सफल हो चुका है। हमारे आदमी उसी के साथ हैं। पल-पल की खबर वो हमें देते रहते हैं।”
“और तुम मुझे ये खबर अब दे रहो हो—यूं फूल।” मेज पर हाथ मारकर एच○ओ○डी○ चीखता हुआ खड़ा हो गया।
मोटा मिमियाया—“सर, हमें क्या पता था वो इस काम में सफल हो जाएगा। सारा मंगोलिया उसे पागल कहता है। उसे उसके घरवालों तक ने तंग आकर पागल करार देकर सम्पत्ति से बेदखल कर रखा है। वो इतना महान प्रयोग कामयाबी से कर सकता है—ये किसी को यकीन नहीं था।”
“बेवकूफ, तेरे दिमाग में चर्बी चढ़ गई है, मोटे।”—एच○ओ○डी○ मेज का घेरा काटकर मोटे की तरफ, मरखने साण्ड की तरह फर्श रौंदता हुआ बढ़ता हुआ बोला—“तू शायद भूल गया कि जितने भी बड़े इन्वेंटर या हुनरमन्द हुए हैं, सबको साधारण लोगों ने पागल ही कहा है। सुकरात ने जब कहा था कि सूरज धरती की परिक्रमा नहीं करता बल्कि धरती उसके चक्कर लगाती है तो उसे जहर पीना पड़ा था। जब गैलीनलियो ने इस सच को सिद्ध किया तो उसकी आंखें फोड़ दी गई। जब तेरे पास ये खबर आई थी कि वो ऐसा कुछ करने वाला है तो मुझे खबर क्यों नहीं दी।” पहलू बदलता हुआ बोला—“एक पागल मंगोल आठ सौ साल पुरानी ममी को जिन्दा करना चाहता था।”
“शटअप।” भन्नाकर गला फाड़कर एच○ओ○डी○ चीखा।
पूरा आफिस उसकी चीख से दहल उठा। मोटा तो नखशिखांत कांप गया।
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चीनी पुरातत्व शोध विभाग के एच○ओ○डी○ ने तत्काल ही दूसरे विभाग के एच○ओ○डी○ को फोन मिलाया। उसे रिपोर्ट दी। वो रिपोर्ट सीधे प्रधानमंत्री कार्यालय तत्काल ही फोन पर भेज दी गई। चीनी प्रधानमंत्री ने जब वो रिपोर्ट सुनी, उसका चेहरा पत्थर की मानिन्द कठोर होता चला गया। स्वर रेगमाल की मानिन्द खुरदरा हो गया, जब उसने आर्डर दिया—“खत्म कर दो उन्हें।”
“स......साईन्टिस्ट को?”
“नहीं। उसके आविष्कार को भी।”—प्रधानमंत्री ने कहा—“उसे उसके आविष्कार समेत खत्म कर दो। चीन के टुकड़ों पर पलने वाले देश का कोई भी नागरिक इतना बड़ा प्रयोग कर भी कैसे सकता है। वो भी ऐसा प्रयोग, जो चीनी इतिहास के काले पन्नों को खोलकर रख दे। इससे पहले कि वो पूरा सफल हो, उसे मिटा दो।”
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मंगोलिया।
चीन और रूस की सीमाओं के बीच स्थित एक छोटा-सा भीरु देश। चीन और रूस की राजनीतिक चालों की शतरंज भी कहा जाए तो गलत नहीं होगा। बिलाड़ी चीन और रूस, मोहरे थे मंगोलिया के लोग, वहां के राजनीतिज्ञ, बिजनेसमैन और मंगोलिया की हर चीज।
मंगोलिया के जंगलों में एक अंजान जगह पर स्थित एक भूमिगत स्थान। जगह क्या थी, एक प्रयोगशाला ही बना दी गई थी धरती के अन्दर।
दिन था या रात थी—पता नहीं।
प्रयोगशाला में, मात्र तीन लोग थे। एक शीशे के आदमकद जार में पट्टियों से लिपटी एक लाश रखी थी। वो पट्टियां कोई ज्यादा पुरानी प्रतीत नहीं हो रही थी। जार में असंख्य जगहों पर असंख्य नलियां लगी हुई थीं। उन नलियों में से विभिन्न वर्गों के लिक्विड्स जार में भर रहे थे, कुछ में से जार में भरे लिक्विड की निकासी हो रही थी।
आश्चर्य की बात थी—विभिन्न तरह के लिक्विड्स उस जार में प्रवेश कर रहे थे मगर जार के भीतर भरे लिक्विड का कलर क्रिस्टल की तरह चमचमाता साफ था। महीनों से उस लिक्विड में रखी रहने पर भी लाश पर फर्क पड़ना तो दूर की बात है, उस पर लिपटी हुई पट्टी तक नहीं गली थी।
जार में जुड़ीं नलियां हाल में रखीं विभिन्न तरह की बड़ी-बड़ी मशीनों से जुड़ी थीं।
जार में रखी लाश की अंगुलियां हिलने लगी थीं।
“यस।”—प्रयोगशाला में उपस्थित तीन लोगों में से जो सबसे बूढ़ा और कमजोर था, बदन क्या था जैसे कंकाल पर खाल मढ़ दी गई थी बाल सन की तरह सफेद, बिखरे हुए। निस्तेज-सी छोटी-छोटी आंखें थी उसकी, मगर वो जब बोला तो उसकी आवाज में गजब का जोश भरा था—“जागो मेरे देवता, जागो। हे महान चंगेज खान! अब वक्त आ गया है कि तुम इतिहास की कब्र फाड़कर बीसवीं सदी की दुनिया के मंच पर फिर से प्रकट होओ और बताओ तुम कितने महान थे। चीन और रूस ने जिस बरबरता के साथ तुम्हारी तमाम निशानियों को मिटाया है, उसका भण्डाफोड़ करो। दुनिया को अपनी खुद की जुबान से अपनी उपलब्धियों के बारे में बताओ।”
“गुरूदेव।”—एक मंगोल नस्ल का युवक जो कि उस बूढ़े के दाहिने तरफ खड़ा था, मंत्र मुग्ध सा बोला—“इसके पैरों की अंगुलियां भी हिल रही हैं।”
“हां, तान।” बूढ़ा बोला जोश में—“समझ लो, मेरी वर्षों की तपस्या का सिला हमें मिलेगा। इस प्रयोग के लिए मैंने सब कुछ गंवा दिया अपना। अपनी सारी जवानी इसी काम में बिता दी। एक पल तक एंज्वाय न कर सका। बीवी के पास भी होता था तो दिमाग में मेरा प्रयोग ही चलता रहता था। भला हो मेरी बीवी का जिसने मेरे प्रयोग की महानता को समझा और कभी शिकायत नहीं की। कोई डिमाण्ड नहीं की। मैं पूरी तरह अपनी साधना में लीन रहा और वो बेहद खामोशी से मेरा साथ निभाती रही। मगर मेरी औलाद—कम्बख्तों ने जवान होते ही मुझे पागल करार देकर तमाम सम्पत्ति पर अपना कब्जा जमा लिया। यहां भी महान चंगेज खान ही मेरे काम आया और इनके मकबरे में छिपा एक संदूक मेरे हाथ लग गया, जिसमें अरबों रुपयों के जवाहरात मिले। उस दौलत से मैंने अपना प्रयोग जारी रखा। और आज वो दिन आ गया है, जब मेरी साधना सफल हो गई।”
“तो क्या ये आज जी उठेगा?”—बूढ़े के बाएं खड़ा मंगोल नस्ल का युवक बोला।
चटाक—।
बूढ़े ने जोर से उसकी गुद्दी पर थप्पड़ मारा। युवक यूं बौखला उठा जैसे उसकी गुद्दी पर पांच बेंतें एक साथ पड़ी हों।
“इज्जत से बोल नामुराद।”—बूढ़े ने उसे डांटा—“महान चंगेज खान को सब सुनाई पड़ रहा है। वो सब सुन रहे हैं। चल माफी मांग।”
जहर का-सा घूंट पीकर युवक ने अपना सिर झुकाकर घुटनों के बल बैठकर माफी मांगी—“हे महान खान, मेरी खता माफ करो।”
सचमुच।
युवक के कहने पर पट्टियों से ढका चेहरा हिला। एक बेहद बारीक मूवमेन्ट हुआ था वहां, जिसे तीनों में से किसी ने नोटिस नहीं किया था।
हां।
वो सचमुच जाग रहा था।
शैतान जाग रहा था। उसकी चेतना मानो किसी गहरी अंधी सुरंग से बाहर निकलने की कोशिश कर रही थी।
वो गहरी अंधी सुरंग जिसमें वो आठ सौ साल पहले समाया। वो पता नहीं कौन-सी पराशक्ति थी जो उसे वहां खींचकर ले गई थी।
आठ सौ साल पहले......।
हां।
आठ सौ साल पहले।
12 वीं सदी के उत्तरार्ध का तूफानी समय। चमचमाती तलवारों, भालों और तीरों की सनसनाहट का भैरव संगीत। घोड़ों की टापों का नटराज नृत्य। लोगों की चीखों की तान के बीच चंगेज खान नामक तूफान की गर्जना।
खून की लाली से रंगी धरती।
और साथ में......।
बोतोई की मादक आहें।
बोतोई—।
चंगेज खान उर्फ तेमुची की पत्नी और बचपन की प्रेमिका।
बोतोई की नाक में पड़ी, उसके सुर्ख लंबों की पहरेदार-सी, गोल नथ। तेमुची के द्वारा रथ का 'बेरियर' हटाकर होठों के चूमे जाने पर बोतोईं का हया से लाल पड़ जाना। तेमुची के उस जुल्म किए जाने पर मादक किलकारियों से गूंजता खाल का तम्बू।
बालसख जमूखा था मोहब्बत भरा चेहरा।
पिता समान चाचा तुगरिक और पिता येसुगाई का वात्सल्य भरा चेहरा।
और......।
येकोचिरादु और मकीत के नफरत से भरे चेहरे।
उनकी सनसनाती तलवारें।
हर तरफ मांस के लोथड़ों से भरी धरती। खून से सनी तलवारें।
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