Description
आज हमारे समाज में भ्रष्टाचार और हिंसा का इस कदर बोलबाला है कि किसी भी शरीफ आदमी का जीना मुश्किल हो गया है। आए दिन अखबारों में आतंकी वारदातें, लूटमार, डकैती, बलात्कार, रिश्वतखोरी की घटनाएं थोक के भाव में पढ़ने को मिलती हैं और इन सबके बावजूद भी जो रही–सही कसर है, वो हमारे समाज के तथाकथित ठेकेदार और देश के रहनुमा कहे जाने वाले सफेदपोश पूरी कर देते हैं। अब सवाल ये उठता है कि एक आम आदमी कहां जाए? क्या वो शराफत का कफन ओढ़े, बेबसी की चिता पर लेटा यूं ही उम्र भर लाचारी की लकड़ियों में जलता रहेगा और भ्रष्टाचार का दानव उसकी मजबूरियों पर अट्टहास करता रहेगा?
एक तो आम भारतीय पहले से ही आतंकवादी घटनाओं और सामाजिक कुव्यवस्था से त्रस्त था, ऊपर से इस कमरतोड़ मंहगाई ने जनता को बुरी तरह थर्रा कर रख दिया है... हर आदमी के होठों पर यही सवाल थिरक रहा है कि अचनक ही इतनी मंहगाई कैसे आ गई कि जो चीज चालीस रुपये किलो थी वह रातों–रात अस्सी रुपये किलो कैसे हो गई? कहीं ऐसा तो नहीं कि यह सब भी सियासती खलीफाओं द्वारा गरीब जनता को लूटने का कोई नया तरीका ईजाद किया गया हो?
वास्तविकता चाहे कुछ भी हो, लेकिन इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि हिन्दुस्तानी जनता भ्रष्ट राजनीतिज्ञों से इतनी आजिज आ चुकी है कि अब उसने और उसकी आत्मा ने भेड़ की खाल में छुपे उन खूंखार भेड़ियों का शिकार बनने की बजाए, उनकी हकीकतों को उजागर करना शुरू कर दिया है और जनता के इसी बदले हुए रुख का प्रमाण है यह प्रस्तुत उपन्यास ‘भेड़ की खाल में भेड़िया’।
प्रस्तुत उपन्यास के सभी पात्र एवं घटनायें काल्पनिक हैं। किसी जीवित अथवा मृत व्यक्ति से इनका कतई कोई सम्बन्ध नहीं है। समानता संयोग से हो सकती है। उपन्यास का उद्देश्य मात्र मनोरंजन है। प्रस्तुत उपन्यास में दिए गए हिंसक दृश्यों, धूम्रपान, मधपान अथवा किसी अन्य मादक पदार्थों के सेवन का प्रकाशक या लेखक कत्तई समर्थन नहीं करते। इस प्रकार के दृश्य पाठकों को इन कृत्यों को प्रेरित करने के लिए नहीं बल्कि कथानक को वास्तविक रूप में दर्शाने के लिए दिए गए हैं। पाठकों से अनुरोध है की इन कृत्यों वे दुर्व्यसनों को दूर ही रखें। यह उपन्यास मात्र 18 + की आयु के लिए ही प्रकाशित किया गया है। उपन्यासब आगे पड़ने से पाठक अपनी सहमति दर्ज कर रहा है की वह 18 + है।
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Additional information
Book Title | Bhed Ki Khal Me Bhediya : भेड़ की खाल में भेड़िया |
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Isbn No | |
No of Pages | 278 |
Country Of Orign | India |
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Publisher Name | Ravi Pocket Books |
admin –
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