Benaqab Chehra : बेनकाब चेहरा : The Joker In The Pack
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एक अपाहिज अरबपति अपनी हर्राफ़ा बीवी की असलियत को बखूबी जानता है और उसको करारा सबक सिखाने पर उतारू वह बूढ़ा खाविंद अब अपनी वसीयत में उसका ज़िक्र इसी अंदाज में करना चाहता है। अपने पति को ऐसी किसी वसीयत को लिखने से रोकने और बिखरे पड़े सूत्रों को थामने के लिए रॉल्फ हेल्गा को जरुरत है एक ऐसे साथी की जो उसकी इन जरूरतों को पूरा करने का माद्दा रखता हो।
बेनकाब चेहरा
जेम्स हेडली चेईज़
अनुवादक:- कँवल शर्मा
रवि पॉकेट बुक्स
प्रस्तुत उपन्यास के सभी पात्र एवं घटनायें काल्पनिक हैं। किसी जीवित अथवा मृत व्यक्ति से इनका कतई कोई सम्बन्ध नहीं है। समानता संयोग से हो सकती है। उपन्यास का उद्देश्य मात्र मनोरंजन है। प्रस्तुत उपन्यास में दिए गए हिंसक दृश्यों, धूम्रपान, मधपान अथवा किसी अन्य मादक पदार्थों के सेवन का प्रकाशक या लेखक कत्तई समर्थन नहीं करते। इस प्रकार के दृश्य पाठकों को इन कृत्यों को प्रेरित करने के लिए नहीं बल्कि कथानक को वास्तविक रूप में दर्शाने के लिए दिए गए हैं। पाठकों से अनुरोध है की इन कृत्यों वे दुर्व्यसनों को दूर ही रखें। यह उपन्यास मात्र 18 + की आयु के लिए ही प्रकाशित किया गया है। उपन्यासब आगे पड़ने से पाठक अपनी सहमति दर्ज कर रहा है की वह 18 + है।
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बेनकाब चेहरा
जेम्स हेड़ली चेइजं
दिन के दस बजकर पैंतालीस मिनट पर ज्यूरिच से मयामी पहुँचने वाला जम्बों विमान अपने पूर्व निर्धारित शिड्यूल पर मयामी एयरपोर्ट पर उतरा।
हैल्गा रौल्फ अगर इस वक्त अपनी जहनी उलझन का शिकार न होती तो यकीनन इस हवाई यात्रा का पूरा मजा उठा सकती थी। आखिरकार वह दुनिया भर के चुनिंदा रईसों में शुमार किए जाने वाले में से एक की अर्धांगिनी थी। अपने मौजूदा सामाजिक रुतबे के जेरेसाया उसे हर जगह वी.आई.वी. ट्रीटमेन्ट हासिल होता था। अपनी जिन्दगी में उसने तमाम किस्म के संघर्षो के बाद अब जाकर यह रसूख हासिल किया था और अपनी जिन्दगी में उन अच्छे—बुरे, लम्बे-छोटे, रास्तों पर चलकर हासिल तजुर्बे से, उसे अब एक बात बखूबी समझ आ चुकी थी कि—
पैसा ही सब कुछ है।
उसके पति के पास बेहिसाब दौलत है, दुनिया के समृध्द और उन्नत देशों में मीलों तक फैला लम्बा—चौड़ा कारोबार है और अब इसी की बदौलत दुनिया उसे भी एक धनकुबेर की भार्या के तौर पर जानती है।
हर जगह उसे वो खास रुतबा हासिल है।
बहुत ऊँचे सिरों को उसने अपने सामने झुकते देखा है।
जम्बो विमान से उतरते हुए उसके दिमाग में यही ख्याल थे। उसके उसी सामाजिक हैसियत, रसूखदार धनकुबेर की बीवी के रुतबे, के अनुरुप रिसीव करने के लिए रनवे पर खूब बड़ी कैड़ीलक कार खड़ी थी। इसी कार ने उसे मयामी से नसाऊ जाने वाले हवाई जहाज के पास पहुँचाया। उसे उस दूसरे जेट विमान में एयर होस्टेस ने रिसीव किया और आदर के साथ उसकी सीट तक एस्कॉर्ट किया।
अब यही विमान हैल्गा को नसाऊ पहुँचाने वाला था—जहाँ उसका अपाहिज, दोनों टांगो से लाचार लेकिन बेइन्तहा दौलतमंद पति उसका इंतजार कर रहा था।
जब उस दूसरे विमान में आने के बाद पैसेंजर अभी अपनी सीटें ही तलाश रहे थे, एक स्टीवर्ड़ शैम्पेन की बोतल लिए हैल्गा की सेवा में हाजिर हो भी चुका था।
हैल्गा ने शैम्पेन से इंकार नहीं किया क्योंकि उस वक्त उसे उसकी जरुरत महसूस हो रही थी।
निर्धारित वक्त पर प्लेन ने रनवे पर दौड़ लगाई और अगले कुछ मिनटों बाद वह आकाश में था। हैल्गा ने अपना सिर सीट की पुश्त से टिकाते हुए आंखें बन्द कर लीं, लेकिन उसके मन-मस्तिष्क में अभी भी बवंड़र उठ रहा था। उसके प्रेमी-जिस पर वह हाल तक तन, मन और धन से फिदा थी—ने उसके सामने खुद बीस लाख डालर की बड़ी रकम के हेर-फेर की बात कबूली थी। अब वह इस सोच में थी कि जब हर्मन, उसका पति, उसके प्रेमी, आर्चर के, इस घोटाले के बारे में सुनेगा तो क्या प्रतिक्रिया देगा? उसे यकीन था कि हर्मन फौरन न्यूयार्क में अपने वकीलों को इस बाबत आगाह कर देगा और यूँ अन्ततः आर्चर, उसके भूतपूर्व प्रेमी, का, अब इस झंझट से निकलना कतई नामुमकिन हो जाएगा। हर्मन के कानूनी सलाहकार आर्चर के चारों ओर ऐसे-ऐसे बखेड़े खड़े कर देते कि आर्चर उसमें भुंगे की मानिंद फंसकर रह जाता।
लेकिन हैल्गा को आर्चर की चिन्ता नहीं थी।
उसे तो खुद अपनी चिन्ता थी।
अगर उसके पति हर्मन को जरा-सा भी शक हुआ कि इस पूरे बखेड़े में आर्चर के साथ-साथ खुद उसका भी हाथ है—तो क्या होगा?
इन हालातों में, हर्मन का भरोसा अगर टूट गया, तो वह आगे क्या कर गुजरेगा?
यही परेशानी उसे खाये जा रही थी।
स्टीवर्ड़ ने उसका खाली हो चुका गिलास दोबारा भऱ दिया। शैम्पेन और ब्राण्ड़ी के उस पहले पैग ने उसे कुछ राहत तो पहुँचाई ही थी।
उसने अपनी आँखें बन्द कीं और उन भयावह दिनों के बारे में सोचने लगी जब वह स्विटरलैण्ड में एक अकेले बंगले में आर्चर और उस होमों लड़के के साथ थी। उस लड़के के ख्याल भऱ से ही हैल्गा के बदन में हमेशा एक आग-सी दहक उठती थी। ऐसे में उसके जेहन में किसी नौजवान का चित्र उभऱ आता था और हैल्गा अपने सुखद सपनों में खो जाती थी। तभी हैल्गा की नजर अपनी बगल की सीट पर बैठे नवयुवक पर पड़ी।
सुन्दर।
सेहतमन्द।
हैल्गा ने ऐसे ही नवयुवक पसंद आते थे।
उसने अपनी आँखें बन्द कर लीं।
तभी उसके जेहन में खतरे की घण्टी बजी।
यकीनन ऐसे पराए मर्दों के ख्याल, उसे, अब केवल, कष्ट ही पहुँचा सकते थे और खासतौर पर अब जबकि वह अपने अपाहिज पति के पास वापिस लौट रही थी।
जो उसे किसी भी किस्म के जिस्मानी ताल्लुकातों का सुख देने में नाकाबिल था।
लेकिन जो बेहद शक्की है।
"मिसेज रॉल्फ...।"
हैल्गा ने अपनी आँखें खोलीं तो एयर होस्टेस को अपनी बगल में खड़े पाया।
इन नौजवान लड़कियों के भी क्या खूब मजे हैं।
कोई चिन्ता नहीं, कोई बंधन नहीं। कभी भी, कहीं भी, अपने किसी भी दोस्त के साथ मौजमस्ती कर सकती है।
"जहाज दस मिनट में लैण्ड़ करने वाला है, आपसे अनुरोध है कि अपनी सेफ्टी बैल्ट बांध लें।"—एयर होस्टेस ने व्यवसाय सुलभ मुस्कुराहट के साथ कहा।
हैल्गा ने धीमें से गर्दन हिलाई।
अगले कुछ मिनटों बाद जब हैल्गा एयरपोर्ट के बाहर निकली तो उसने हिंकल को दो टन भारी सलेटी रंग की रॉल्स-रॉयस कार के नजदीक उसका इन्तजार करते पाया।
हिंकल रॉल्फ का शोफर, बावर्ची, सेवक, और भी न जाने क्या-क्या था।
खर, पीर, भिश्ती, बावर्ची मार्का सहयोगी।
उम्र में पचास को छूने के बावजूद हिंकल बेहद फुर्तीला था। हर्मन से शादी करने के छः महीने बात तक हैल्गा ने हिंकल की आँखों में अपने लिए एक खास किस्म की नापसंदगी के भाव देखे थे लेकिन फिर बाद में हिंकल का व्यवहार बदल गया था।
अब वह हैल्गा को पसंद करने लगा था और उसकी आँखों में अब उसके लिए नापसंदगी की जगह सम्मान और प्रसंशा के भाव नुमाईन्दा होते थे।
"मुझे उम्मीद है कि आपका सफर आरामदायक रहा होगा"—उसने कहा और साथ ही कार का पिछला दरवाजा खोलकर, सम्मान में सिर झुकाए, खड़ा हो गया।
"हूँ"—हैल्गा ने अपने शरीर का बोझ कार की सीटों पर डालते हुए पूछा—"मिस्टर रॉल्फ कैसे हैं?"
"आप चल ही रही हैं...खुद ही देख लेंगी।"—हिंकल ने ड्राइविंग सीट संभालते हए कहा।
तभी हैल्गा की निगाह खिड़की से होती हुई एयरपोर्ट टर्मिनल के एग्जिट गेट पर गई।
वही नौजवान गेट से बाहर निकल रहा था जिसे उसने विमान में बैठे देखा था। तुरन्त हैल्गा के बदन में भावनाओं का ज्वार उमड़ पड़ा जिसे उसने बड़ी कठिनाई से काबू में किया।
लम्बे अर्से से यही आग उसे परेशान किए हुए थी और अब वह अपनी इसी आग को दबाने को विवश थी।
हिंकल ने कार स्टार्ट की तो हैल्गा ने गहरी सांस ली और उस नौजवान पर से, सप्रयास, अपनी आँखे हटाई।
"क्या उनकी तबीयत ठीक हैं?" हैल्गा ने पूछा।
"लम्बे सफर और उससे उपजी थकान। ऊपर से काम का बोझा। बस शायद यही वजह है कि साहब की तबीयत कुछ गड़बड़ हो गई हैं। वैसे ड़ॉक्टर लेवी अलसुबह यहाँ पहुँचे हुए हैं और साये की तरह साहब की देखभाल में लगे हुए हैं।"
"क्या तबीयत बहुत खराब है?"—हैल्गा ने कांपते स्वर में पूछा।
"जी..."—हिंकल ने गंभीर स्वर में कहा—"बेहद खराब।"
"ओह"—हैल्गा ने गहरी सांस भरी।
"साहब को स्विट्जरलैण्ड़ का अपना प्रोग्राम स्थगित करके यकायक यहाँ आना पड़ा और ऊपर से यहाँ नासाऊ में साहब के ठहरने के लायक कोई विला नहीं मिली और यूं फिर उन्हें होटल में टिकना पड़ा।"—कहते हुए हिंकल स्वर में निराशा झलक उठी।
वैसे हैल्गा हिंकल की इस निराशा की वजह बखूबी जानती थी। होटल की जिन्दगी हिंकल को बस इसी वजह से पसंद नहीं थी कि वहाँ उसे न तो खाना बनाने का मौका हासिल होता न ही अपने साहब की भरपूर सेवा करने का मौका।
और यही दोनों चीजें हिंकल की कमजोरी थीं।
"होटल में कब तक ठहरने का इरादा है?"
"यह तो डॉक्टर लेवी पर निर्भर करता है और वही इस बाबत कुछ बता सकेंगे।"
रोल्स रॉयस होटल 'डायमण्ड़ बीच' के नजदीक आ चुकी थी। ‘डायमण्ड बीच’ का अपना खुद का टेनिस कोर्ट, खुद का गोल्फ कोर्स और एक निजी समुद्री तट था। साथ ही शानदार और खूब बड़ा स्विमिंग पूल भी।
कार लॉबी में आकर रुकी जहाँ होटल का मैनेजर उसके स्वागत के लिए तैयार खड़ा था।
हैल्गा अपने लम्बे सफर से थकान तो महसूस कर ही रही थी, ऊपर से उसे अब गर्मी भी लग रही थी। वहाँ उसके बदन पर मौजूद लिबास भी इस मौसम के अनुकूल न था।
कहाँ ज्यूरिच का बर्फीला सर्द मौसम और कहाँ वैस्ट इण्ड़ीज की यह गर्मी।
होटल का मैनेजर उसे लिफ्ट से उस होटल में मौजूद सबसे ऊपरी मंजिल में बने एक बेहद शानदार सुईट तक छोड़ गया। मैनेजर ने खुद हैल्गा के चेहरे पर थकान के लक्षण देखे थे और यही वजह थी कि वह फटाफट लंच वगैरह की पूछताछ कर वहाँ से चलता बना।
जाते-जाते वह अपने पीछे दरवाजा बन्द करना नहीं भूला था।
हैल्गा ने अपने बदन पर मौजूद लिबास को तिलांजली दी और बाथरुम में घुस गई। वहाँ पानी में भीगते हुए उसकी निगाह अपने तैंतालीस बसंत देख चुके जिस्म पर पड़ी।
अभी भी उसका शरीर सांचे में ढला हुआ था।
छरहरा बदन।
पतली कमर।
उन्न्त वक्ष।
और सुन्दर नैन-नक्श।
उसने मानो अपनी उम्र पर काबू पा लिया था।
वह आज भी ज्यादा से ज्यादा तीस साल की लगती थी।
नहाने के कर्म से निवृत्त हो हैल्गा ने मौसम अनुकूल कपड़े पहने और फोन पर रूम सर्विस से मार्टिनी का डबल पैग लाने का हुक्म दिया।
वह टहलती हुई टैरेस पर पहुँची जहाँ उसने नीचे समुद्र तट पर निगाहे डाली। आदमी, औरतें, नौजवान युवतियाँ रेत पर धूप का आनंद उठा रहे थे, जहाँ समुद्र का खारा पानी तट को भिगोते हुए आगे पीछे हो रहा था।
भीगी रेत पर नौजवान युवतियों के पीछे अठखेलियाँ करते उनके नौजवान साथी...।
हैल्गा का मन भारी होने लगा।
आज उसके पास सब कुछ था।
धन-दौलत।
मान-सम्मान।
लेकिन सब कुछ होते हुए भी उसकी जिन्दगी में एक चीज की नितांत कमी थी।
आजादी।
स्वतंत्रता।
इंडिपेन्डेन्स।
वह-जो वहाँ नीचे बीच पर भागते-दौड़ते नौजवानों के पास थी लेकिन उसके पास नहीं थी।
वह इस आजादी से बीच पर नहीं भाग सकती थी।
कोई नौजवान इस तरह खुले में उसका पीछा नहीं कर सकता था।
अपनी जिन्दगी में हासिल तमाम ऐश के संसाधनों पर काबिज हो चुकने के बाद अब जाकर उसे यह एहसास हो रहा था कि अपनी निजी स्वतंत्रता के अभाव में यह सारी धन-दौलत किस कदर बेकार है।
दौलत वह सुख नहीं खरीद सकती जिसकी चाह इंसान के मन की भावनाओं से जन्म लेती है।
और हैल्गा के मन में यही चाह नश्तर की तरह चुभ रही थी।
वह उदास हो उठी तो मुड़कर वापिस कमरे में लौट आई। वातानुकूलित कमरा अब एयरकंड़ीशनिंग की वजह से भले ही ठण्ड़ा हो रहा था लेकिन उसकी इच्छाओं, उसकी भावनाओं में तो तपिश थी, उसे शान्त करने की क्षमता उस ठण्ड़े कमरे में भी नहीं थी।
उसने फोन उठाया और रिसेप्शन पर डॉक्टर लेवी की बाबत पूछताछ की।
"अगर वो होटल में है तो उन्हें ऊपर मेरे पास भेज दिया जाए।"—उसने कहा।
दस मिनट बाद जब डॉक्टर लेवी उसके सुईट में उसके सामने हाजिर हुआ तब हैल्गा मार्टिनी चुसक रही थीं।
अभिवादनों का आदान-प्रदान हुआ।
"कुछ पियेंगे डॉक्टर....?" हैल्गा ने पूछा।
“नहीं शुक्रिया, आप पीयें।” डॉक्टर ने सामने बैठते हुए कहा।
हैल्गा ने उसे गौर से देखा।
"मैं दरअसल अपने पति की सेहत की बाबत जानना चाहती हूँ।"...उसने धीरे से पूछा।
"मिस्टर रॉल्फ की उम्र अड़सठ साल है।"—डॉक्टर ने कहना आरंभ किया—"इस उम्र में आदमी को आराम की जरुरत होती है लेकिन मिस्टर रॉल्फ जैसे पत्थर के बने हुए हैं। या कम-से-कम वे अपने आप को यही जताते हैं जबकि ऐसा है नहीं। हाड़-मांस का आदमी एक खास समय तक ही अपने आप को काम में उलझाये रख सकता है। उम्र के साथ शरीर ढीला हो जाता है। तब उसे पहले जितना काम नहीं करना चाहिए और यही सलाह मैंने आपके पति को भी दी थी। मुझे अफसोस के साथ कहना पड़ता है उन्होंने डॉक्टर की सलाह को बिल्कुल भी गंभीरता से नहीं लिया। मुझे पता चला है, वे अपने आपको काम में बेहद उलझाये रहे है, कार में लगातार घूमते रहे हैं, जबकि उन्हें पूरे आराम की जरुरत थी। लगातार तीन हफ्ते वे बेहद व्यस्त रहे। नार्मल आदमी भी अगर इस कदर काम करे तब वह भी बीमार पड़ सकता है, मिस्टर रॉल्फ तो फिर नार्मल भी नहीं हैं। इसी हालत में उन्होंने न्यूयार्क से नसाऊ तक का हवाई सफर भी तय किया है।"—डाक्टर लेवी एक क्षण के लिए रुका, फिर कहना शुरु किया—"हकीकत यह है मिसेज रॉल्फ, आपके पति का स्वास्थ्य बेहद गिर चुका है फिर भी वे इस बात को मानने के लिए कतई तैयार नहीं हैं। मैंने उन्हें फौरन वापिस लौटने की सलाह दी और साथ ही यह चेतावनी भी कि तीन माह तक वे किसी भी काम को हाथ तलक न लगायें। उन्हें सख्त आराम करना चाहिए। दिमाग पर छाया काम का भूत उनके लिए बेहद नुकसानंदेह साबित हो सकता हैं।"
"लेकिन उन्हें काम करने से कोई नहीं रोक सकता।" हैल्गा ने सैंड़विच उठाते हुए कहा—और सैंडविच को दाँतों के कोनों से कुतरने लगी।
डॉक्टर लेवी ने सहमति में गर्दन हिलाते हुए कहा—"आप ठीक कहती हैं और इसलिए आज दोपहर को मैं जा रहा हूँ क्योंकि अच्छी तरह से जानता हूँ...मेरी सलाह नहीं मानी जायेगी। मुझे वापिस जाकर और मरीजो को देखना है, जो और कुछ नहीं, कम-से-कम मेरी सलाह तो मानते हैं। मिसेज रॉल्फ, मैं निहायत संजीदगी से कह रहा हूँ कि अगर आपके पति इसी तरह अपने आपको काम में उलझाये रहे, कोई बड़ी बात नहीं, कि मौत उन्हें गले लगा ले...। ऐसी स्थिति में जबकि वे पहले ही चलने-फिरने से लाचार हैं।"
"डॉक्टर...उनकी पत्नी होने के नाते, मैं सब कुछ साफ—साफ जानना चाहती हूँ।" हैल्गा ने फीके स्वर में प्रश्न किया।
"आप सच सुनना चाहती हैं?"
"बिल्कुल सच।"
"सहन कर सकेंगी...?"
"मैं सच को सहन कर सकती हूँ...।"
"आल राइट।"—डॉक्टर लेवी ने गहरी साँस लेते हुए कहा—"आपके पति की हालत ऐसी है कि वे कभी भी मौत की नींद सो सकते हैं और हो सकता है यह मनहूस खबर आपको कल ही सुननी पड़े। उनकी मौजूदा हालत हो देखते हुए मैं यह कह सकता हूँ कि वे छह महीनें से ज्यादा नहीं जी सकेंगे और यह भी उस हालत में ही मुमकिन है, कि अगर वे मुकम्मल आराम करें।"
"इस वक्त तो उन्होंने काम से तौबा कर रखी होगी। वे आराम ही कर रहे होंगे।"
"यही तो मुसीबत हैं। अफसोस है कि मौजूदा हालात में भी वे आराम करने को तैयार नहीं। वे लगातार टेलीफोन से चिपके हुए हैं और टेलीग्राम, टेलेक्स और केबल्स उन तक पहुँच रहे हैं। वैसे भी उनका काम तो कहाँ-कहाँ नहीं फैला हुआ। वे सभी जगह अपने मातहतों को निर्देश दे रहे हैं।"
"उन्हें काम से रोकना मुमकिन ही नहीं।" कहते हुए हैल्गा ने गहरी साँस ली।
"इसीलिए तो मै वापिस लौट रहा हूँ। मेरी वार्निंग की उन्हें जरा भी चिन्ता नहीं है।" डॉक्टर लेवी ने कहने के बाद सिर झुका लिया।
हैल्गा चुप रही।
कहने-पूछने के लिए और कुछ नहीं था। थोड़ी देर बाद डॉ. लेवी विदा लेकर चला गया।
हैल्गा ने ख्यालों में डूबे ही सैंड़विच खत्म किया और अपने लिए मार्टिनी का नया पैग तैयार किया। धीरे-धीरे चुस्कियां भरते हुए उसने गौर किया कि जल्द ही करोड़ो डालर की स्वामिनी वही होने वाली थी और इसी दौलत के साथ उसे एक चीज और मिलने वाली थी।
अपनी आजादी।
जिसके लिए वह बरसों से एक घुटना भरी जिन्दगी में सिसक रही थी।
हर्मन के न रहने पर उसे रोकने-टोकने वाला कोई नहीं था।
वह कहीं भी किसी भी मनपसन्द पुरूष के साथ कुछ भी कर सकती थी।
लेकिन यह तभी मुमकिन था जब हर्मन के जिस्म से उसकी सांसों का रिश्ता टूट जाये।
वोदका के तीन पैगों से वह हल्का-सा नशा महसूस कर रही थी। उसके मन के किसी कोने में यह विश्वास भी जन्म ले चुका था कि अपनी निजी आजादी से अब वह ज्यादा दूर नहीं है। सिर को हल्का-सा झटका देते हुए उसने हिंकल को फोन किया।
दूसरा ओर से हिंकल का स्वर उभरने पर हैल्गा ने पूछा—
"साहब को मेरे पहुंचने की जानकारी मिल चुकी होगी?"
"जी हां, मादाम। वे आपकी ही प्रतीक्षा कर रहे हैं। अपने अपार्टमेंट से निकलकर बाईं ओर के तीसरे दरवाजे पर आ जाइये।"
"ओ.के.।" हैल्गा ने कहा और रिसीवर क्रेड़ल पर रख दिया।
वह उठी और शीशे के सामने पहुँची।
बढ़िया।
वह बेहद आकर्षक लग रही थी। हर्मन के सामने जाते हुए अपने आपको हमेशा आकर्षक बनाने की कोशिश की थी।
हर्मन भी यही चाहता था।
हैल्गा सन्तुष्टि से गर्दन हिलाते हुए शीशे के सामने से हटी। उसने चमड़े की फाईल उठाई, जिसमें पूरा हिसाब-किताब था और वह बाहर निकल आई। हर्मन रॉल्फ को उसने अपार्टमेन्ट की टैरेस पर पाया।
हमेशा की तरह अपनी पहियों वाली कुर्सी पर धूप सेंकते हुए।
टैरेस के एक कोने में ही बार था। धूप से बचने के लिए रंग-बिरंगी छतरियाँ सजी हुई थीं। बड़े-बड़े गमलों में विचित्र किस्मों के फूल सजे हुए। होटल मैनेजमेंट जानती थी कि हर्मन कितना दौलतमंद और प्रभावशाली है और इसी वजह से उसके लिए टैरेस को भी बेहद खूबसूरती से सजाया संवारा गया था।
"सफर कैसा रहा...?" हर्मन ने हमेशा की तरह उसका स्वागत ठण्ड़ेपन से ही किया।
उससे किसी गर्मजोशी की उम्मीद हैल्गा कर भी नहीं सकी थी।
"फर्स्ट क्लास।"—हैल्गा ने उत्तर दिया। हर्मन को देखते हुए सोच वह कुछ और ही सोच रही थी।
दुबला-पतला शरीर, खोपड़ी बालों से नदारद, पिचके हुए गालों के मध्य छोटी-सी नाक, बेहद बारीक होंठ।
यही लगता था कि मानो किसी कंकाल को शानदार कपड़े पहना दिये गये हों।
"बैठ जाओ।" हर्मन का स्वर ठण्ड़ा था।
हैल्गा बैठ गई। थोड़ी देर तक इधर-उधऱ की बातें होती रहीं। हैल्गा ने उसकी सेहत का हाल जानना चाहा तो हर्मन ने वितृष्णा भरे स्वर में कहा—
"ठीक हूँ मैं। मुझे क्या हुआ हैं? डाक्टर लेवी है कि खामाखाह राई का पहाड़ बना देता है। हाँ...तुम कहो। मुझसे कोई खास बात करनी थी तुम्हें?"
"हाँ...।" हैल्गा सतर्क स्वर में बोली—"बात जैक आर्चर की बाबत है।"
"कहो...।"
"वह धोखेबाज और जालसाज निकला...।"—कहते हुए हैल्गा की निगाहे रॉल्फ के चेहरे पर ही टिकी थी। उसे पूरी उम्मीद थी, यह बात सुनकर हर्मन के चेहरे पर भूचाल के भाव उभरेंगे लेकिन उसे हैरान होना पड़ा क्योंकि हर्मन का चेहरा निर्विकार और भावशून्य रहा। उसने कोई प्रतिक्रिया नहीं देखी तो हैल्गा को अपना दिल डूबता हुआ महसूस हुआ।
"मैं जानता हूँ...।" हर्मन ने मुँह खोला तो उसके स्वर में हल्की-सी तल्खी थी—"उसने बीस लाख डालर का घोटाला किया हैं।"
भय की ठंड़ी लहर हैल्गा के शरीर को सिहराती चली गई।
"तुम...तुम..कैसे जानते हो?" हैल्गा का स्वर मुश्किल से फूट सका था।
"कैसे जानता हूँ...।" हर्मन के चेहरे पर अजीब-सी मुस्कुराहट थी—"हर बात की खबर रखना मेरा काम है, डियर। बड़ी सफाई से की हैं। मैं आर्चर की इस करतूत के बाद ही जान सका हूँ कि जालसाजी भी किस हुनरमंदी से अंजाम दी जा सकती है।"
हैल्गा चुप रही।
वह सोच रही थी आर्चर उसे ब्लैकमेल करते समय यही कह रहा था—हर्मन रॉल्फ का कारोबार बड़ा विस्तृत है, इतना कि उसके लिए चालीस लाख डालर की चोरी को पकड़ना मुमकिन नहीं होगा। उसका लेन-देन करोड़ों डॉलरों में है सो जो कुछ मैंने चुराया है, वह तो गहरे सागर में से एक सीप चुराने के समान है ऐसे में हर्मन को इस चोरी की भनक भी नहीं लगेगी। वह कभी नहीं जान सकेगा कि मैंने कौन से शेयर, कौन से बाण्ड़ चुराये है।
हैल्गा को अपनी गोद में पड़ी फाईल अब एकदम बेकार बोझ लग रहा था क्योंकि जो कुछ वह हर्मन को बताना चाहती थी, हर्मन पहले से ही जानता था।
"क्या सोच रही हो?"—हर्मन ने कहा तो वह चौंक उठी।
"कुछ नहीं।"—वह संभल कर बोली।
"तो तुम मुझे यही बताना चाहती थीं कि आर्चर ने जालसाजी की है। कभी-कभी ऐसा हो जाता है। आर्चर के मामले में धोखा खा गया हूँ। उसने तुम्हारे नकली दस्तखत करके जालसाजी करने की कोशिश की थी ना?"
"हाँ...।"—हैल्गा का स्वर लगभग पराजित—सा था।
"इस किस्म की संभावना के बारे में मुझे पहले ही सोच लेना चाहिए था। खैर, जिन्दगी में धोखे खाने से भी तजुर्बा हासिल होता हैं और मेरे लिए भी यह एक नया और अनोखा तजुर्बा है।"
हैल्गा उसे फटी-सी निगाह से देखते हुए हैरानी भरे स्वर में बोली—"तुम उसे सजा नहीं दिलवाओगे...?"
हर्मन ने उसकी ओर देखा।
उसकी आँखों में कैसे भाव थे, हैल्गा नहीं जान सकती थी क्योंकि उसकी आँखों पर काला चश्मा था।
"हैल्गा।—बीस लाख डालर एक मोटी रकम होती हैं। लेकिन खुशकिस्मती से मेरे लिए यह रकम बेहद मामूली है। आर्चर को सजा जरुर मिलेगी लेकिन पुलिस और कानून से नहीं। उसे सजा देने का इंतजाम मैंने अपने ढंग से कर लिया है। उसे अब कहीं भी किसी किस्म की कोई नौकरी नहीं मिल सकेगी। जेल में तो फिर भी टाइम बहुत आराम से कटता है, मैं उसे बेसहारा, बिना नौकरी के, एक-एक रोटी के लिए परेशान, भटकते देखना चाहता हूँ। आज के बाद वह अपनी ही उलझनों के बोझ में डूबा एक-एक सांस लेने को तरसेगा और कोई भी उसकी मदद के लिए हाथ आगे नहीं बढ़ा सकेगा और मैं ऐसे इन्तजामात कर चुका हूँ...।"
हैल्गा बुत बनी बैठी रही। उसके दिल की धड़कन बढ़ गई थी। हर्मन के बेरहम अल्फाजों में साफ था कि वह जो कुछ कह रहा था, उस पर अमल करना उसके लिए बेहद मामूली बात थी।
वह यही कह पाई—"मुझे पूरी उम्मीद थी, तुम उसे कानूनन सजा दिलाओगे।"
"हैल्गा! उसे कानूनन सजा दिलवाने में मुझे एक परसेंट भी हिचक न होती, लेकिन एक वजह है जो मुझे रोके हुए है।"
"कौन-सी वजह?"
"मुझे पता चला है हम दोनों की शादी से पहले आर्चर के साथ तुम्हारे गहरे सम्बन्ध थे और यूँ अब अगर मैं आर्चर को अदालत में घसीटता हूँ तो वह तुम्हारे बारे में भौंक सकता है और मैं यह नहीं चाहता।"
हैल्गा का मस्तिष्क अतीत में उलझ गया। उससे शादी करने से पहले हर्मन ने उससे कहा था—"क्या सैक्स तुम्हारे जीवन में सबसे अधिक महत्व रखता है? देखो हैल्गा...मैं अपाहिज और लाचार आदमी हूँ। सैक्स के मामले में किसी तरह की उम्मीद मुझसे तो मत रखना। मुझे अपनाने के लिए लाजमी है तुम्हें सैक्स को भूल जाना होगा। हमारी शादी से पहले जो कुछ हुआ, वह तुम्हारी निजी जिन्दगी थी। उससे मुझे कोई सरोकार नहीं लेकिन शादी के बाद तुम्हारे जीवन में किसी गैर मर्द की परछाई भी नहीं पड़नी चाहिए और अगर तुमने मुझे धोखा देने की जरा-सी भी कोशिश की तो तुम्हें मेरी सम्पत्ति में से एक पाई भी नहीं मिलने वाली। हाँ, तुम्हें तलाक मिल सकता है। दूसरी सूरत में अगर तुमने मुझे विश्वास दिया, तब जीवन भर तुम्हें किसी किस्म की परेशानी का सामना नहीं करना पडेगा। तुम्हें तुम्हारी उम्मीद से बहुत ज्यादा मिलने वाला हैं। सैक्स के अलावा सुखी जीवन बिताने के लिए जितने साधन हैं...वे सब तुम्हें मुहैय्या कर दिए जाएंगे। अगर तुम इस शर्त को मानने के लिए तैयार हो, तभी यह शादी हो सकती है...।"
और हैल्गा ने यह शर्त मान ली थी।
उसने तब यही समझा था कि जो सुख एक बेहद दौलतमंद इन्सान की पत्नी बनने में है, वह सैक्स में कहां!
लेकिन यह सपना, बहुत जल्द टूट गया था। उसे मानना पड़ा कि भावनाओं को दबा पाना असंभव है।
दौलत ही जीने का सबसे बड़ा सहारा नहीं है।
मर्द की मजबूत बाँहों में कैद होकर ही जिन्दगी बितायी जा सकती है।
"हैल्गा...।" हर्मन रॉल्फ कह रहा था—"जो बीत गया, उसे भूल जाओ। मुझे तुसमें कोई शिकायत नहीं। जो होना था, हो गया। अब मैं तुम्हें अपने बिजनेस अफेयर्स से मुक्त करता हूँ। मेरी धन-सम्पत्ति के बजाय तुम अब सिर्फ मेरी देखभाल करो। मेरी दौलत के बूते मेरी वफादार पत्नी बन कर रहो। सिर्फ हिसाब-किताब की देखभाल का जिम्मा मैं विन्वर्न को सौंपने जा रहा हूँ।" कहने के बाद हर्मन ने अपनी बारीक, मांस रहित उंगली से बगल में रखी पुशबैल को दबा दिया।
हैल्गा के समूचे अस्तित्व को एक झटका-सा लगा। वह काँपते स्वर में यही कह सकी—"इसका मतलब यही है कि तुम्हें अब मुझ पर यकीन नहीं रहा।”
“इसमें यकीन करने या ना करने जैसी कोई बात नहीं।” हर्मन का स्वर कड़ा हो गया।
“मैंने तुम पर किसी किस्म का इल्जाम नहीं लगाया है। आर्चर को मैंने चुना था, यह दोष मैं अपने ऊपर लेता हूँ। तुमने जो किया ठीक किया। मैं सन्तुष्ट हूँ लेकिन मैंने यहीं ठीक समझा है कि तुम्हें फिलहाल हिसाब-किताब जैसे पचड़ो से दूर ही रखा जाए...।"
हिंकल घण्टी बजने पर भीतर प्रविष्ट हुआ था। अभी वह उस स्थान से दूर था, जहाँ दोनों बैठे हुए थे।
हैल्गा का स्वर क्रोध से भरता चला गया था।
"तो अब मेरी हैसियत गिरा दी गई है जबकि गलती तुम्हारी थी।"—वह बोली।
फौरन हर्मन के काले चश्मे का रुख सीधा हैल्गा के चेहरे पर टिक गया।
"तट पर जाकर लहरों का लुत्फ उठाओ हैल्गा और हाँ, एक बात कान खोलकर सुनती जाओ—मुझसे बात करते समय अपने स्वर का ध्यान रखना। मैं किसी की गलती पर कम ही खफा होता हूँ लेकिन जब होता हूँ तो...।"
रॉल्फ ने अपने शब्द अधूरे छोड़ दिये थे लेकिन उन अधूरें शब्दों में भी धमकी के पूरे भाव थे। हर्मन ने दूर खड़े हिंकल को संकेत से पास बुलाया।
हैल्गा उठी, फाईल को कुर्सी पर पटकने के बाद, वह गुस्से और अपमान के भाव लिये बाहर निकलती चली गई।
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Additional information
Book Title | Benaqab Chehra : बेनकाब चेहरा : The Joker In The Pack |
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Isbn No | 9788177895957 |
No of Pages | 240 |
Country Of Orign | India |
Year of Publication | |
Language | |
Genres | |
Author | |
Age | |
Publisher Name | Ravi Pocket Books |
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