अंगारू का पुजारी
हैलन
लन्दन में लार्ड रईस होते हैं।
शराब और औरतें दो उनके जीवन का आवश्यक अंग होती हैं। बहुत कम ऐसे लार्ड मिलेंगे जो इन दोनों चीजों से दूर रहते होंगे, इनका प्रतिशत एक ही बैठेगा।
इन्हीं लार्डो में से एक लार्ड स्विटजरलैंड गये और उनके हाथ लगी एक सोने की छड़।
सोने की छड़, बहुत ही सुन्दर छड़ जिसके एक सिरे में सोने के पत्र में बने फूल में हीरे जड़े हुये थे, लार्ड को पसन्द आ गई और उन्होंने उसे खरीद लिया।
स्विटजरलैंड से वह वापस आया और रोज की तरह शहर के सबसे ऊंचे होटल में गया।
बाल डांस का शौकीन लार्ड होटल में पहुंचकर चकरा जाता था। गोरी–गोरी बांहें उसकी ओर लपक उठतीं और वह बड़ी कठिनता से उनमें से कोई चुन पाता।
आज भी हसीनों ने उसे आ घेरा।
लार्ड की नजर घूमती हुई हॉल के एक कोने में बैठी हुई नवयुवती पर पड़ी।
और नवयुवतियों की तरह वह लार्ड की ओर नहीं आई बल्कि एक नजर उठाकर भी नहीं देखाय बस सामने रखे हुये व्हिस्की के गिलास में पड़ी बर्फ की भाप में अपनी चंचल आंखें जमाये कुछ तलाश करने में व्यस्त रही।
मदमाते यौवन के प्याले छलक रहे थे मगर लार्ड की नजर तो उसी पर ठहर गई थी।
“हाय!” एक सुन्दरी लार्ड के करीब आई।
मगर उसकी नजर तो कहीं और ही थी।
“कहां खोये हुये हैं जनाब!” सुन्दरी ने टोक दिया।
“सो सॉरी।” उसने मुस्कराकर कहा।
“लार्ड!” एक सुन्दरी बोली।
“यस स्वीटी।”
“अगर आज मेरे साथ डांस का राउन्ड नहीं लिया तो मैं आत्महत्या कर लूंगी।” वह बोली।
“डोन्ट बी सिली डार्लिंग।” लार्ड ने उसका गाल थपथपाया, “जिन्दगी बड़ी खूबसूरत है।”
“मगर तुम्हारे बगैर नहीं।”
“मगर आज मैं एन्गेज हूं।” कहकर लार्ड वहां से खिसक लिये और आगे बढ़े।
वे सब मुंह ताकती रह गर्इं।
लार्ड सीधा उसी नवयुवती की टेबिल की ओर बढ़ा। वह अभी भी उसी तरह खोई हुई थी।
“क्या मैं यहां बैठ सकता हूं?” लार्ड ने उस नवयुवती की टेबिल के निकट आकर पूछा।
“ब्रिटेन का लार्ड एक मामूली लड़की से उसकी मेज पर बैठने की आज्ञा मांगे, जबकि हॉल में उसकी शाही मेज पड़ी है।” वह बैठे–ही–बैठे हंसकर बोली।
“कभी–कभी ऐसा भी होता है।”
“आप बैठ सकते हैं।”
“आप तो मुझसे परिचित हैं।” वह बैठकर बोला।
“अच्छी तरह।” वह बोली––“और यह देखकर मुझे आश्चर्य है कि आज ब्रिटेन का एक रंगीन मिजाज लार्ड किसी सुन्दरी की बांहों में नहीं है।”
“मिस...।”
“क्रिस्टीना।” वह बोल पड़ी।
“मिस क्रिस्टीना।” लार्ड ने कहा––“जो चीज सबसे अलग होती है उसमें आकर्षण होता है।”
“मैं समझी नहीं।”
“आप...।”
“मुझे तुम कहिये।” वह हंसकर बीच में ही बोल पड़ी।
“कोई फर्क नहीं पड़ता।”
“बहुत पड़ता है।” वह मुस्कराते हुये बोली––“कहां आप एक लार्ड और कहां मैं!”
“मैं यह फर्क नहीं मानता।”
“लेकिन मैं मानती हूं।”
“गलती करती हो।”
“मैं आपसे हर चीज में छोटी हूं।”
“तुम यहां मौजूद लड़कियों में मुझे सबसे अलग स्वभाव की नजर आ रही हो।”
“मेरा स्वभाव ही अलग है।”
“मेरे आकर्षित होने का यही कारण है।”
“आप क्या पियेंगे?” उसने बात बदली।
“जो आप पिलायें।”
उसने व्हिस्की का ऑर्डर दिया।
“तुम लन्दन में ही रहती हो?”
“हां।”
“कहां?”
“एक मामूली बस्ती में।” वह नाखून से मेज की सतह कुरेदते हुए बोली।
“क्या करती हो?”
“अभी सिर्फ जुये की रकम से खर्च चला रही हूं।” वह उसी तरह नाखून चलाते हुए बोली।
“तुम्हारे माता–पिता?”
“कभी के चल बसे।” उसने एक ठण्डी सांस ली––“इसी कारण मेरा जीवन अपराध में बीता।”
“ओह!”
“मगर न तो मैंने किसी से प्रेम किया, न अपने शरीर का सौदा किया।”
“याने वर्जिन हो?”
“हूं।”
“क्या तुम्हारी इच्छा नहीं होती?”
“होती है।”
“फिर?”
“मनपसन्द साथी नहीं मिलता।”
“कमाल है।”
“किस बात पर?”
“इतने बड़े देश में कोई अगर यह कहे कि उसे उसका मनपसन्द साथी नहीं मिला तो आश्चर्य ही है।”
“अपना–अपना ख्याल है।” वह एक गहरी सांस लेकर बोली––“मगर मैंने गलत नहीं कहा।”
“लेकिन सच भी नहीं।”
“हो सकता है।”
“कैसा साथी चाहती हो?”
“अब मैं कैसे बताऊँ?”
“क्यों?”
“मुझे किसी धनवान बूढ़े की तलाश है।”
“क्यों?”
“जल्दी मर जाएगा।” वह मुस्कराकर बोली––“उसकी सारी सम्पत्ति मेरे नाम होगी।”
लार्ड हंस दिया।
उसने भी हंसी में सहयोग दिया।
वेट्रेस ने व्हिस्की सर्व की।
“अगर तुम मामूली बस्ती के बजाये मेरे यहां रहो तो क्या हर्ज है?”
“मैं वहीं अच्छी हूं।”
“मेरे यहां क्या बुराई है?”
“कोई बुराई नहीं।”
तभी बाल डांस की घन्टी बजी।
“क्या डांस में मेरा साथ न दोगी?”
“सॉरी।”
“क्यों?”
“डांस करने में दोनों का शरीर टकरायेगा।” वह हंसकर बोली––“तबियत मचल जायेगी।”
“मैं जो हूं।”
“मैं यही तो नहीं चाहती।”
“क्यों?”
“बस नहीं जानती।”
अजीब थी वो भी।
“आज तुम्हें नाचना होगा।”
“मैं माफी चाहूंगी।”
लार्ड मुस्कराया––
“आप शायद यह समझ रहे हैं कि मैं इन्कार करके आपकी बेचैनी बढ़ा रही हूं तो ऐसी बात नहीं।” वह हंसकर बोली––“मैं नाचना नहीं चाहती।”
लार्ड कुछ नहीं बोला।
“यह नहीं हो सकता।” कुछ देर बाद उसने कहा।
वह ना करती रही, वह पीछे पड़ा रहा और अन्त में वह मान गई।
दोनों उठ खड़े हुए।
डांसिंग फ्लोर पर पहुंचते ही क्रिस्टीना की दोनों गोरी बांहें लार्ड के कन्धों पर आ गर्इं और लार्ड ने उसकी शर्ट के नीचे बलखाई कमर पर हाथ रख लिए।
सब एक–दूसरे की बांहों में बंधे नृत्य कर रहे थे, बस यही दोनों ऐसे थे जो नाच तो रहे थे मगर एक–दूसरे से अलग थे। हालांकि लार्ड बार–बार अपनी ओर खींच लेता मगर चतुर नवयुवती क्रिस्टीना अपना शरीर अलग ही रखती।
एक राउन्ड ऐसे ही पूरा हुआ और दूसरा राउन्ड शुरू होने से पहले लार्ड ने क्रिस्टीना के साथ व्हिस्की का एक दौर और पूरा किया। क्रिस्टीना का चेहरा तमतमा उठा था और आंखों में लाल डोरे तैर रहे थे जो कभी–कभी पलकों में छिप जाते।
लार्ड ने फ्लोर पर आते ही एकाएक क्रिस्टना को अपने से लिपटा लिया।
“इसकी बात नहीं हुई थी।”
“इसकी बात अपने आप होती है।” लार्ड ने कहकर उसके कन्धे पर प्रेम अंकित किया। क्रिस्टीना जानबूझ कर रुखाई प्रदर्शित करते हुए लार्ड की प्यास भड़का रही थी। वह उससे अलग होना चाहती थी मगर लार्ड भी उसे बांहों में बांधे हुए था।
लार्ड ने शर्ट में हाथ डालकर उसकी पसीने की बूंदों में नहाई हुई मांसल पीठ को सहलाते हुए क्रिस्टीना को अपने और करीब कर लिया।
“हे!” वह धीरे से बोली।
लार्ड ने उसकी ओर देखा।
वह मुस्करा रही थी।
“कहो।”
“यह क्या कर रहे हो?”
“खुद–ब–खुद हो रहा है, कहो।”
क्रिस्टीना ने फिर विरोध नहीं किया।
“मैंने कहा था न।”
“क्या?”
“तबियत मचल जाएगी।”
“क्यों? मचल गई क्या?”
“हूं। मस्ती छाने लगी है।”
क्रिस्टीना को बांहों में लेकर नाचते हुए उसने उसके अधरों का चुम्बन लिया।
क्रिस्टीना ने लार्ड की पीठ पर बांहें कस लीं।
“डार्लिंग।”
“हूं।” क्रिस्टीना सीने से लगी थी।
राऊन्ड समाप्त हुआ।
एक बार फिर व्हिस्की का दौर चला।
“मेरा ख्याल है अब चला जाए।”
“कहां?”
“मेरे यहां!”
वह हंस पड़ी।
“हंसी क्यों?”
“तुम समझ रहे हो मैं नशे मैं हूं”, वह बोली––“मगर ऐसा नहीं है, मैंने पी जरूर ज्यादा है लेकिन अभी होश नहीं खोया है और यह अच्छी तरह समझती हूं कि तुम घर ले जाकर मेरे साथ जबरदस्ती अपनी प्यास बुझाओगे।”
“मैं जबरदस्ती नहीं करूंगा।”
“इसकी क्या गारन्टी है?”
“गारन्टी मैं खुद हूं। अगर मैंने जबरदस्ती की तो जुर्माने के तौर पर एक हजार पाउन्ड दूंगा।”
वह हंसने लगी।
“मेरी हंसी उड़ा रही हो?”
“नहीं।”
“फिर?”
“मैं तुम्हारी नासमझी पर हंस रही हूं।”
“क्या मैं नासमझ हूं?”
“तभी तो मुझे शरीर बेचने वाली समझ बैठे।”
“मैंने हर्जाने की बात कही है।”
“फिर क्या करोगे?”
“बस तुम्हें बांहों में रखूंगा।” लार्ड बोला––“जब तुम खुद ही कहोगी तब...।”
“मैं समझ गयी।”
“अब क्या विचार है?”
“चला जाए।”
लार्ड ने बिल चुकाया, फिर बाहर आकर अपनी कार की पिछली सीट पर बैठा।
शोफर ने कार स्टार्ट की।
“तुम इतनी दूर क्यों रहती हो?” लार्ड ने उसकी पुष्ट बांह को सहलाते हुए कहा।
“पता नहीं क्यों,” वह लार्ड पर झुकते हुए बोली––“मुझे इस काम की इच्छा नहीं होती।”
“अगर आज हुई तो?”
“तो मैं समझूंगी मुझे मेरा मनपसन्द साथी मिल गया।” वह उसी भाव में बोली।
लार्ड की विशाल अट्टालिका के सामने गाड़ी रुकी और लार्ड उसे लिए भीतर आया।
“तुम जीवन में पहली लड़की हो जिसे मैं होटल से घर पर लाया हूं।” वह बोला।
“क्यों?”
“मैं होटल तक ही मनोरंजन सीमित रखता हूं।”
“फिर मुझे क्यों ले आए?”
“क्योंकि तुम मुझे होटल गर्ल नजर नहीं आयीं।”
“लार्डों के बारे में काफी सुना है।” वह बोली––“सुना है उनकी कोठियों में आश्चर्यजनक चीजें होती हैं।”
“क्या लार्ड ही कम आश्चर्यजनक होते हैं?” लार्ड ने मुस्कराते हुए कहा।
वह हंस पड़ी।
“याने कोठी की सैर नहीं कराएंगे?”
“क्यों नहीं! मैं तुम्हें कोठी की सैर कराऊँगा, मगर अभी नहीं, पहले यहां आओ।”
दोनों एक कमरे में आए।
कमरे में आकर लार्ड की सेविका ने उसके इशारे पर एक नया गाऊन क्रिस्टीना को पहनाया। क्रिस्टीना ने अपने आपको आईने में देखा।
गाऊन फ्रेंच फैशन का था।
वह उसकी कमर में बांह डालकर आगे बढ़ा और कोठी के विभिन्न भागों में घुमाता हुआ एक द्वार के सामने लाया जिस पर ताला पड़ा था।
“यह है मेरा संग्रहालय।”
“हूं।”
“इसमें मैंने संसार के कोने–कोने से अजीबो–गरीब वस्तुएँ लाकर रखी हैं।”
“तब तो मैं भाग्यशाली हूं।”
लार्ड ने हंसकर पहले क्रिस्टीना के कपोल का चुम्बन लिया, फिर गाउन की जेब में हाथ डाला और एक चाबी निकाल कर ताला खोला।
लार्ड ने स्वयं बत्ती ऑन की।
पूरे एक घण्टे का समय लगा।
“यह छड़ बहुत सुन्दर है।” क्रिस्टीना ने शेल्फ स्टेन्ड में फंसी छड़ उठा ली।
“यह अभी खरीदी है।”
“नाइस।” उसने छड़ देखते हुए कहा।
“मैंने इसे देखते ही पसन्द कर लिया था।” लार्ड ने कहा––“जिस दाम में मिली खरीद ली।”
“वाकई नायाब चीज है।”
लार्ड मुस्कराया।
“कहाँ से खरीदी थी?”
“स्विटजरलैंड से।”
“बहुत खूबसूरत है।”
“मुझे भी पसन्द है।”
क्रिस्टीना काफी देर तक छड़ को देखती रही, फिर उसी स्टैंड में टाँग दिया।
“अब मैं शानदार चीज पिलाता हूं और एक फिल्म दिखाता हूं।” लार्ड अलमारी की ओर बढ़ता हुआ बोला––“पुर्तगाली शराब जो लन्दन में तिगुने–चौगुने दाम से मिलती है, मेरे पास बोतल है।
“तब तो आनन्द आएगा।”
“पीकर देखो।”
लार्ड ने बोतल निकाल कर दो गिलास बनाए, फिर क्रिस्टीना को पहलू में बैठाकर अपने हाथों से पिलाई। पुरानी पुर्तगाली तेज शराब ने क्रिस्टीना को एकदम सर से पैर तक झनझना कर रख दिया।
“किकिंग।” वह झूम उठी।
लार्ड ने छोटा-सा एक चैकोर डिब्बा हाथ में लिया––“अब डार्लिंग स्क्रीन की ओर देखो।”
लार्ड ने डिब्बे को झटका दिया।
डब्बे में से किरणें निकलीं और स्क्रीन पर रोशनी हुर्इं, फिर चित्र उभरने लगे।
माहौल रंगीन हो उठा।
एक लड़की अपने वस्त्र उतार रही थी। उसने वस्त्र् उतारकर एक अंगड़ाई ली, तभी पीछे से एक आदमी ने उसे बांहों में भर लिया और उनके पूरे शरीर पर अनगिनत प्यार की छाप छोड़ दी। फिर युवती पलटी और अपने पीछे खड़े आदमी के गले में बांहें डाल दीं।
ब्लू फिल्म सात मिनट की थी।
पेट में शराब और पर्दे पर रंगीन दृश्यों ने क्रिस्टीना की भावनाओं को सुलगा दिया था।
उसने लार्ड की ओर देखा।
वह मुस्करा रहा था।
क्रिस्टीना उठी और लार्ड की ओर हाथ बढ़ा दिया।
तभी उसकी नजर पर्दे पर चली गई।
वो ही क्या जो भी उस दृश्य को देखता अपने मन पर नियन्त्र्ण नहीं रख पाता।
पहली बार उसने अपने काँपते हाथों से लार्ड का चेहरा थाम कर प्यार किया।
इस मुलाकात के लम्बे क्षणों में क्रिस्टीना की ओर से यह पहला इशारा था।
फिर वे शयन कक्ष में आए।
लार्ड ने उसका गाउन उतार दिया और फिर स्वयं ही वैसा होने के बाद नशे में झूमती क्रिस्टीना की ओर बढ़ा और बांहों में ले लिया।
उसने अधखुली आंखों से देखा।
प्रेम में उन्मत नारी–पुरुष का आलिंगन एक ऐसी अग्नि का सृजन कर देता है, जिसका सहन करना असम्भव होता है।
लार्ड ने उसे सोफे पर लिटा दिया।
क्रिस्टीना ने प्यार से काँपते हुए हाथों से लार्ड के बालों में कंघी की।
लार्ड उसे प्यार से भर देना चाहता था।
वह दीवानी होती जा रही थी।
“डार––––डार्लिंग।” क्रिस्टीना की नशे में डूबी आवाज आई।
लार्ड ने चेहरा उठाया।
“कम।”
वह मचल उठी
लार्ड अपनी विजय पर मुस्करा दिया। मगर वह यह नहीं जानता था कि वह उसकी विजय नहीं हार है। उसने क्रिस्टीना को जाल में फंसाया नहीं बल्कि क्रिस्टीना ने रुखाई का सहारा लेकर उसे फंसा लिया और लार्ड को मजबूर कर दिया कि वह उसे भी घर ले जाए।
लार्ड ने अपनी बांहों में क्रिस्टीना के कोमल शरीर को समेट कर प्यार किया।
“डार्लिंग।”
“हूं।”
“अब सहा नहीं जाता।”
“तुम तो नहीं चाहती थीं।”
“तब नहीं चाहती थी।” क्रिस्टीना ने अपनी काँपती हुई उंगलियों से उसकी गर्दन गिरफ्त में लिए हुए कहा था––“पर अब तो मैं तुम्हें बेहद चाहती हूं, बेहद।”
“मैं तो पहली ही नजर में मर–मिटा था।”
“तो अब क्यों सता रहे हो?”
“अभी जल्दी क्या है?”
“आग–सी लग रही है।”
“इसी आग में जलने में मजा है।”
“नो डियर।”
मगर लार्ड ने जानबूझकर आग नहीं बुझाई।
क्रिस्टीन के लिए जब असह्य हो गया तो उसने लार्ड को धकेल दिया और फिर क्रुद्ध शेरनी की तरह झपटकर उसके सीने पर घूंसे मारने लगी। लार्ड पूर्ववत् मुस्करा रहा था। क्रिस्टीना लार्ड के शरीर पर निरन्तर वार कर रही थी।
लार्ड मुस्कराया।
वह और भी क्रुद्ध हो उठी।
मगर बांहों में सिमट आयी।
लार्ड की पलकें मुंदने लगीं।
कुछ देर बाद ही वह सो गया।
जब क्रिस्टीना ने देखा कि वह सो गया तो उठी और गाउन पहनकर एक कमरे में पहुंची।
इस वक्त वह एकदम चुस्त थी।
यहाँ फोन था।
क्रिस्टीना ने पहले आस–पास का निरीक्षण किया, फिर फोन उठाकर नम्बर डायल किए।
कुछ देर तक घंटी बजती रही, फिर फोन उठा लिया गया––“हैलो ब्रामिन स्पीकिंग।”
“मैं क्रिस्टीना।”
“क्या रहा?”
“यहीं है।”
“कहां है?”
“ताले में।”
“ताला कैसा है?”
“स्पेशल कटर।”
“चाबी है?”
“है।”
“तुम्हारे पर्स में सेफ टेप है, उस पर चाबी का प्रिंट ले लो और सुबह से पहले मत निकलो।” दूसरी ओर से ब्रमिन ने आदेश दिया––“सुबह मेरे पास आना।”
“ओ. के.।”
ब्रामिन ने फोन रख दिया।
क्रिस्टीना शयन कक्ष में आयी फिर अपने पर्स से सेफ टेप निकाला और लार्ड के गाउन में हाथ डालकर संग्रहालय की चाबी निकाली, फिर टेप पर चाबी रखकर दोनों अंगूठों से दबाया और चाबी उठा ली। टेप पर चाबी का प्रिंट आया था।
उसने चाबी उलट कर टेप उल्टा और उस तरफ चाबी के दूसरे भाग का प्रिंट लिया।
सेफ टेप उसने पर्स में रखा और चाबी गाउन की जेब में डालकर उसने एक सिगरेट सुलगाई और गहरी नींद में डूबे लॉर्ड की ओर देखा।
“सिली।” वह बड़बड़ाई।
मगर लार्ड क्या सुनता।
वह तो नींद में गाफिल था।
क्रिस्टीना की आँखों में नींद न थी, वह पलंग की मसहरी से टिकी हुई सिगरेट के कशों के बीच पास ही बेसुध पड़े लार्ड पर हंस रही थी।
शायद उसे अमीरों से नफरत थी जो उसके चेहरे के भावों से साफ जाहिर हो रही थी।
सिगरेट एशट्रे में दबा कर वह उठी और पूरी कोठी का राउन्ड लेकर उसके भूगोल का अध्ययन किया और लार्ड की राइटिंग टेबिल पर बैठ कर नक्शा बनाया। फिर उठी और बाकी बची पुर्तगाली शराब हलक से नीचे उतार कर झूमती हुई पलंग तक आई और गिर पड़ी।
कुछ देर बाद वह सो चुकी थी।
(यह है भूमिका–“अंगारू के पुजारी” की जो आपको चुम्बन–आलिंगन की दुनिया में अपराध के दर्शन कराएगी––“हैलन”)
admin –
Aliquam fringilla euismod risus ac bibendum. Sed sit amet sem varius ante feugiat lacinia. Nunc ipsum nulla, vulputate ut venenatis vitae, malesuada ut mi. Quisque iaculis, dui congue placerat pretium, augue erat accumsan lacus