आज का रावण
छोटे से अलाव की तरह जलती मशाल विकास और मोन्टो से सिर्फ तीन गज दूर गिरी और वे दोनों उससे निकलने वाले प्रकाश से
नहा गए—आग की रोशनी में धनुषटंकार का भभकता चेहरा साफ देखा जा सकता था ।
हाथ में रिवॉल्वर।
नजदीक ही, जमीन पर पड़े जख्मी विकास के हलक से रह-रहकर कराहें निकल रही थीं—कंधे पर मौजूद जख्म से लगातार खून
बह रहा था—मशाल के पार खड़े थे—सशस्त्र, क्रुद्ध, एव उन्मादी ग्रामीण।
"व...वे रहे।" उनमें से कोई चीखा—"मारो सालों को।"
धांय! मोन्टो के हाथ में दबें रिवॉल्वर ने शोला उगला।
हुजूम में से किसी की चीख उभरी।
फायर करने के साथ ही मोन्टो ने बिजली की-सी फुर्ती से न सिर्फ तीन गज दूर पड़ी मशाल पर जंप लगाई, बल्कि उसे उठाकर वापस हुजूम की तरफ फेंककर विकास के नजदीक लौटा।
"सब पोजीशन ले लो।" कोई चीखा—"बंदर के पास रिवॉल्वर है।"
अंधरे में सनसनाते हुए कई बल्लम विकास और मोन्टो के इर्द-गिर्द गिरे—इसे शायद उनका प्रबल भाग्य ही कहा जाएगा कि कोई बल्लम उनके जिस्म में पैवस्त नहीं हुआ—हालांकि ग्रामीणों ने बल्लम इसी मंशा से फेंके थे।
अंधेरे का लाभ उठाकर मोन्टो जख्मी विकास को खींचकर एक विशाल पत्थर की बैक में पहुंचने का प्रयत्न कर रहा था, जबकि कराहों के बीच विकास लगभग चीख पड़ा—"ये क्या कर रहे हो मोन्टो, तुम जाओ यहां से।"
बेचारा मोन्टो!
बोलने से लाचार!
एक यही तो बात थी जो उसके वश में न थी—अगर वह बोल सकता तो जाने कब का चीखकर ग्रामीणों के हुजूम को चेतावनी दे चुका होता कि जिसने भी उसके 'जख्मी गुरु' की तरफ बढ़ने की कोशिश की, वह उसके परखच्चे उड़ा देगा।
और ग्रामीणों को रोकने के लिए इस वक्त ऐसी चेतावनी कारगर साबित होती, मगर बंदर के जिस्म वाला यह व्यक्ति बोल नहीं सकता था। फिर भी दो फायर करके उसने ग्रामीणों को अपना इरादा समझाने की भरसक चेष्टा की और वह इरादा यह था कि वह किसी भी कीमत पर गांववालों को विकास तक नहीं पहुंचने देगा।
विकास के विरोध पर कोई ध्यान दिए बिना अपने इरादे पर दृढ़ मोन्टो ने उसे खींचकर पत्थर के पीछे डाल दिया—स्वयं भी पत्थर के पीछे छुपकर उस दिशा में देखने का प्रयास किया जिधर उनके खून के प्यासे ग्रामीणों का हुजूम था।
कई पत्थरों के पीछे से मशालों की रोशनी झांक रही थी।
जाहिर था कि वे लोग पोजीशन ले चुके था।
अचानक उधर से चेतावनीयुक्त स्वर उभरा—"अगर जिंदा रहना चाहते हो तो खुद को हमारे हवाले कर दो, वरना मार दिए जाओगे।"
मोन्टो कसमसाकर रह गया।
काश, वह बोल सकता।
उधर से उभरने वाली चेतावनी आसपास के पहाड़ों से टकराकर रह गई—विकास के समीप पोजीशन लिए बैठा मोन्टो आंखें फाड़-फाड़कर अंधेरे को घूर रहा था, किसी भी व्यक्ति को इधर बढ़ता देखते ही फायर कर देने के लिए दृढ़-प्रतिज्ञ।
"म...मोन्टो।" विकास ने उसे पुकारा।
धनुषटंकार उसकी ओर मुखातिब हुआ।
"त...तुम मुझे मेरे हाल पर छोड़कर यहां से निकल जाओ।"
मोन्टो ने दृढ़तापूर्वक इंकार में गरदन हिलाई।
"यह बेवकूफी होगी मोन्टो जानता हूं दोस्त कि तुम मुझे कितना चाहते हो मगर ये वक्त भावुकता में फंसने का नहीं—हम दोनों की ही नहीं, बल्कि गांव की झोंपड़ी में फंसे ठाकुर नाना, नानी, मम्मी, पापा और गुरु आदि की जान भी इस समय खतरे में है—अगर समय रहते उन्हें पुलिस की मदद न मिली तो कोई जिंदा न बचेगा—प्रतिशोध की आग में सुलगते गुमटी के ये हिंसक और उन्मादी ग्रामीण हम सबकी लाशें बिछा देंगे—तुम जाओ और जितना जल्दी हो सके, डिक्की से पुलिस फोर्स लेकर गुमटी पहुंचो।"
मोन्टो की गरदन इंकार से हिली।
जख्म से उठती दर्द की लहरों को पीते हुए विकास ने कसमसाकर कहा— "अपनी इस जज्बाती जिद से आखिर तुम कर क्या सकोगे—जरा सोच मोन्टो, तुम्हारे रिवॉल्वर में अब सिर्फ चार गोलियां बची हैं—ज्यादा-से-ज्यादा तुम उनके इस्तेमाल तक उन लोगों को यहां पहुंचने से रोके रखोगे—उन पर खून सवार है, वे अपने सैकड़ों साथी गंवाकर भी यहां पहुंचकर रहेंगे—अगर तुम भी उनके चंगुल में फंस गए तो कोई न बच सकेगा।"
यह वाक्य सीधा मोन्टो के जेहन से टकराया।
विकास कहता चला गया—"मैं अकेला यदि उनके चंगुल में फंस भी गया तो वे मुझे मारेंगे नहीं। जरा गौर करो—वे मुझसे यह जानने की कोशिश करेंगे कि हमारे बाकी साथी कहां हैं, तुम कहां हो—जब तक उनके सवाल का जवाब नहीं दूंगा, तब तक वे मुझे मार नहीं सकते और टॉर्चर सहने की मुझे आदत है—इससे पहले कि जवाब न मिलने पर झुंझलाकर वे मुझे कत्ल कर दें, तुम पुलिस की मदद से मुझे आजाद कर लोगे।"
मोन्टो को बात जमी।
उसकी गरदन इंकार में न हिलती देखकर विकास को लगा कि मोन्टो के दिमाग पर उसके शब्दों का प्रभाव पड़ रहा है। अतः दृढ़तापूर्वक बोला— "इसके विपरीत खुद मैं चल नहीं सकता और तुम्हारे पास इतना बड़ा शरीर नहीं है दोस्त कि कंधे पर लादकर कहीं ले जा सको—सिर्फ चार गोलियों के बूते पर उन्हें हमेशा के लिए यहां पहुंचने से नहीं रोका जा सकता और यदि तुम भी उनके चंगुल में फंस गए तो हमारी मदद के लिए कोई नहीं पहुंच सकेगा।"
धनुषटंकार को बात जम रही थी, किंतु दिल गवाही न दे रहा था कि अपने गुरु को ऐसी हालत में दुश्मनों से घिरा छोड़कर चला जाए।
अपनी बेबसी पर मोन्टो की आंखें भर आईं।
जमीन पर पड़े जख्मी विकास के चेहरे पर चुंबनों की झड़ी लगा दी उसने। यही समय था जब एक साथ तीन मशालें सामने की तरफ से उस पत्थर के नजदीक फेंकी गईं।
आसपास प्रकाश फैल गया।
सामने से पुनः चेतावनी उभरी—"उस पत्थर के पीछे खुद को महफूज मत समझो—हम फिर कहते हैं, अगर जिंदा रहना चाहते हो तो हथियार फेंककर सामने आ जाओ।"
मोन्टो की दीवानगी देखकर विकास तड़प-सा उठा। अपने एकमात्र बाजू से उसे सीने में भींचकर बोला—"अब ज्यादा समय गंवाना मुनासिब नहीं है मोन्टो, मेरी फिक्र छोड़कर तुम निकल जाओ।"
और फिर।
एक हल्की-सी छलांग के साथ मोन्टो अंधेरे में गुम हो गया।
ग्रामीणों की तरफ से लगातार चेतावनियां दी जा रही थीं—पांच मिनट बाद विकास घिसटता हुआ पत्थर के पीछे से निकला, बोला—"मैं अपने आपको आप लोगों के हवाले करता हूं।"
उधर सन्नाटा छा गया।
पत्थर के इर्द-गिर्द पड़ी सुलग रही मशालों के प्रकाश में उसने पत्थर का सहारा लेकर खड़ा होने का प्रयास किया, तभी सामने से एक आवाज उभरी—"तेरा वो बंदर साथी कहां है?"
"हरेक को अपनी जान प्यारी होती है, मुझे फंसा देखकर वह भाग गया।"
सामने पैना सन्नाटा ज्यादा हो गया।
कुछ देर बाद एक आवाज उभरी—"यह इनकी चाल भी तो हो सकती है। जैसे ही हम अपने स्थानों से निकलकर इसकी तरफ बढ़े, अंधेरे में कहीं छुपा बंदर गोलियां...।"
"ऐसा कुछ नहीं होगा।" विकास बड़ी मुश्किल से बोल सका—"वह उस वक्त तक मेरे साथ रहा जब तक कि महसूस किया कि खुद उसकी जान को कोई खतरा नहीं है, मगर जब उसने अपनी जान का खतरा महसूस किया तो मुझे इस हाल में छोड़कर भाग गया।"
गांववाले फिर भी कुछ देर डरे रहे।
अंत में सब अपने-अपने छुप स्थानों से बाहर निकले—कहीं से कोई गोली न चली तो लगभग सभी ने दौड़कर विकास को घेर लिया—अब विकास उनकी गिरफ्त में था और एक वृक्ष की डाल पर बैठा मोन्टो सबकुछ देख रहा था।
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