Street Fighter : स्ट्रीट फाइटर
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Description
दो पहलवान मुकाबले में आमने-सामने
एक तरफ मौत दूसरी तरफ यमराज
काला बच्चा सीरीज का अद्भुत सुपरफास्ट उपन्यास स्ट्रीट फाइटर
Street Fighter : स्ट्रीट फाइटर
Deva Thakur
Ravi Pocket Books
BookMadaari
प्रस्तुत उपन्यास के सभी पात्र एवं घटनायें काल्पनिक हैं। किसी जीवित अथवा मृत व्यक्ति से इनका कतई कोई सम्बन्ध नहीं है। समानता संयोग से हो सकती है। उपन्यास का उद्देश्य मात्र मनोरंजन है। प्रस्तुत उपन्यास में दिए गए हिंसक दृश्यों, धूम्रपान, मधपान अथवा किसी अन्य मादक पदार्थों के सेवन का प्रकाशक या लेखक कत्तई समर्थन नहीं करते। इस प्रकार के दृश्य पाठकों को इन कृत्यों को प्रेरित करने के लिए नहीं बल्कि कथानक को वास्तविक रूप में दर्शाने के लिए दिए गए हैं। पाठकों से अनुरोध है की इन कृत्यों वे दुर्व्यसनों को दूर ही रखें। यह उपन्यास मात्र 18 + की आयु के लिए ही प्रकाशित किया गया है। उपन्यासब आगे पड़ने से पाठक अपनी सहमति दर्ज कर रहा है की वह 18 + है।
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स्ट्रीट फाइटर
देवा ठाकुर
उस रात मास्टर होचिन काला बच्चा को जिमनाजियम ले आया। काला बच्चा ने पहला कत्ल किया था, यह भी एक जबरदस्त स्ट्रीट फाइटर का। जिमनाजियम में आते ही होचिन ने फोन पर महाराज को परिस्थिति से अवगत करा दिया था। उसके तकरीबन आधे घण्टे बाद मास्टर होचिन काला बच्चा और थाईवांग को लेकर वहां से रवाना हो गया। इस बन्द वैन में उनके साथ तीन आदमी और भी थे। वैन बैंकाक की सीमा से निकलकर नानधाबोरी की तरफ जाने वाली सड़क पर दौड़ने लगी।
शहर से तकरीबन बीस मील निकलने के बाद मास्टर होचिन ने वैन एक कच्ची सड़क पर मोड़ ली। इस सड़क पर पहले तो दोनों तरफ धान के खेत थे और फिर जंगल का सिलसिला शुरू हो गया। जंगल गुंजान होता जा रहा था। तकरीबन पांच मील का फासला और तय करने के बाद वैन एक खुली जगह पर रुक गयी।
काला बच्चा वैन से उतरकर हैरत से चारों तरफ देखने लगा। एक बहुत बड़ा मैदान था, जिसके चारों तरफ गुंजान जंगल था। मैदान के एक तरफ चंद झोंपड़े बने हुए थे। सिर्फ एक झोंपड़ी में मद्धिम-सी रोशनी नजर आ रही थी। जबकि बाकी झोंपड़े अन्धकार में डूबे हुए थे। वैन रुकने के चन्द सेकण्ड बाद ही एक तरफ से गुर्राती हुई आवाज सुनकर काला बच्चा चौंक गया। उस तरफ झाड़ियों में कोई आदमी छुपा हुआ था और गुर्राती आवाज में थाई जुबान में कह रहा था—
"तुम सब लोग मेरी राइफल की जद में हो, अपने हाथ ऊपर उठा लो।"
मास्टर होचिन ने उस तरफ मुड़कर देखा और वह आदमी झाड़ियों से निकलकर दौड़ता हुआ करीब आ गया और मास्टर होचिन के सामने झुक गया।
"इस वक्त तुम्हें यहां देखकर हैरत हो रही है मास्टर! ये कौन है?" उस शख्स ने कहते हुए थाईवांग और काला बच्चा की तरफ देखा।
"मेहमान हैं।" मास्टर होचिन ने जवाब दिया—"हांगसो को जगाओ, मैं ज्यादा देर यहां नहीं रुकूंगा।"
वह शख्स एक झोंपड़े की तरफ दौड़ गया और फिर चन्द मिनट में ही झोंपड़े में सोये हुए सब लोग जाग गये। वहां एक बड़े झोंपड़े में आ गये, जिसके फर्श पर चटाई बिछी हुई थी।
मास्टर होचिन हांगसो को काला बच्चा के बारे में बता रहा था और हांगसो इस तरह बार-बार गर्दन हिला रहा था जैसे सारी बातें उसकी समझ में आ रही हों। वह बार-बार काला बच्चा की तरफ देख भी रहा था।
मास्टर होचिन अपने आदमियों को लेकर सुबह होने से पहले-पहले वापस चला गया। हांगसो उन दोनों को एक छोटे झोंपड़े में ले आया। यहां भी चटाई बिछी हुई थी। उसने थाईवांग से कुछ कहा और बाहर चला गया।
"रात खत्म होने वाली है।" थाईवांग ने चटाई पर बैठते हुए कहा—"सो जाओ, बातें सुबह होंगी।"
काला बच्चा भी उससे जरा हटकर चटाई पर लेट गया। तकिए की जगह पत्थर थे, जिन पर पुआल या उसी से मिलती-जुलती किसी पौधे की बहुत बारीक शाखें लिपटी हुई थीं। पूरी रात भागदौड़ में गुजर गयी थी। नींद की तीव्रता से आंखों में जलन-सी हो रही थी लेकिन खुरदुरी चटाई पर देर रात तक उन्हें नींद नहीं आ सकी और जब आंख लगी तो फिर कुछ होश ही नहीं रहा।
काला बच्चा दोपहर तक सोता रहा। थाईवांग उससे पहले जाग गयी थी, लेकिन वह भी झोंपड़े ही में बैठी हुई थी। काला बच्चा उठकर झोंपड़े से बाहर आ गया।
काला बच्चा को सब कुछ अजीब-सा लगा। दस बारह झोंपड़े थे। उनके सामने खुला मैदान, जहां बीस-बाईस आदमी विभिन्न किस्म की एक्सरसाइज में व्यस्त थे। काला बच्चा को यह समझने में देर नहीं लगी कि यह भी एक ट्रेनिंग कैम्प था, जहां भिक्षुओं को मोयेथाई की ट्रेनिंग दी जाती थी।
एक भिक्षु काला बच्चा को देखते ही उस तरफ आ गया। काला बच्चा गंजे सर वाले भिक्षुओं को मर्द ही समझता था, लेकिन जब वह करीब आया तो पता चला कि वह मर्द नहीं औरत थी। उसने पहले काला बच्चा की तरफ देखा फिर झोंपड़े में भागते हुए थाईवांग से कुछ कहा। थाईवांग भी बाहर आ गयी। वे उस औरत के साथ एक और झोंपड़े में आ गये।
खाने में उन्हें चावलों का वही मसाले वाला दलिया दिया गया, जो वह पहाड़ों वाले पैगोडा में भी खा चुका था।
वह दिन काला बच्चा की आजादी का दिन था। वह इधर-उधर घूमता रहा। झोंपड़ियों के पिछली तरफ तकरीबन तीस गज के फासले पर जंगल में एक नहर भी बह रही थी। जिसका फाट आठ-दस फुट से कम नहीं था। नहर पर एक जगह दरख्त का तना रखा हुआ था, जो पुल का काम दे रहा था।
इस दिन काला बच्चा आजादी से इधर-उधर घूमता रहा। यह जगह यद्यपि बहुत सुरक्षित थी, लेकिन उसने जंगल में दो भिन्न-भिन्न जगहों पर दो ऐसे आदमियों को भी देखा, जो आटोमेटिक रायफलें उठाए हुए थे।
शाम से पहले खाना खाकर कुछ भिक्षु तो अपने-अपने झोंपड़ों में चले गये और कुछ मैदान में एक दायरे की सूरत में बैठकर बातें करने लगे। काला बच्चा थाईवांग के साथ झोंपड़े के सामने बैठा हुआ था कि हांगसो भी आ गया और उनके सामने आलथी-पालथी मारकर बैठ गया।
हांगसो की बातों से अन्दाजा हुआ कि आबादी से दूर इस जंगल में रहते हुए भी वह बहुत बाखबर आदमी था। शहर के हालात की उसे पूरी तरह वाकफियत थी। उसकी बातों से यह सनसनीखेज रहस्योद्घाटन भी हुआ कि मास्टर फू के कत्ल के बाद अगले रोज महाराज ने शहर में टाइगर के कई ठिकानों पर हमले किए थे और उन हमलों में टाइगर के कम से कम तीन आदमी मारे गये थे। टाइगर और महाराज के आदमियों में बाकायदा जंग छिड़ गयी थी। जिसकी वजह से पूरे शहर में आतंक फैल गया था। आम शहरी खौफजदा थे। दो-तीन दिन के अन्दर-अन्दर शहर के नाइट क्लब वीरान हो गये थे, क्योंकि हर हंगामे की शुरुआत किसी न किसी नाइट क्लब से होती थी। लोगों ने नाइट क्लबों में जाना छोड़ दिया था। शहर का प्रशासन बिल्कुल बेबस होकर रह गया था। पुलिस कमिश्नर दोनों पार्टियों में राजीनामा कराने की कोशिश कर रहा था और महाराज ने मांग की थी कि मास्टर फू के कातिलों को उसके हवाले कर दिया जाए तो वह टाइगर को माफ कर देगा, लेकिन टाइगर उसके लिए तैयार नहीं था।
"पिछली रात तुम्हारे हाथों जो आदमी मारे गये थे, जानते हो वे कौन थे।" हांगसो ने काला बच्चा की तरफ देखते हुए कहा फिर जवाब का इंतजार किए बगैर बात जारी रखते हुए बोला—"वे टाइगर के गिरोह के थे। उनमें से शांग टाइगर का खास आदमी था जिसे तुमने मार डाला।" उसने उंगली से काला बच्चा की तरफ इशारा किया—"किसी को भी तुमसे इस काम की आशा नहीं थी। शांग के बारे में कहा जाता है कि वह टाइगर के गिरोह का सबसे खतरनाक आदमी था। महाराज तुम्हारे इस कारनामें से बहुत खुश हैं। शांग की मौत के बाद टाइगर तूफान खड़ा कर देगा। शहर में तुम्हारे लिए खतरे हो सकते हैं, इसलिए तुम्हें यहां भेज दिया गया है ताकि तुम्हारी हिफाजत के साथ-साथ कम से कम वक्त में तुम्हारा प्रशिक्षण पूरा किया जाए और तुम्हारी इन बाहों में फौलाद भर दिया जाए।" उसने काला बच्चा के दोनों बाजू पकड़ कर मसल्स दबाये—"तुम खुशकिस्मत हो कि महाराज तुम पर इस कदर मेहरबान हैं। हम जैसे लोग तो उनके करीब जाने का तसव्वुर भी नहीं कर सकते।"
"यह तुम्हें कैसे मालूम हुआ कि पिछली रात दो आदमी हमारे हाथों मारे गये हैं।" काला बच्चा ने सवालिया निगाहों से उसकी तरफ देखा।
"मुझे मास्टर होचिन ने सब कुछ बता दिया था।" हांगसो ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया—"दो मर्तबा तुम्हारी ट्रेनिंग शुरू हो गयी और दोनों मर्तबा अधूरी रह गयी लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। यह हमारा सबसे सुरक्षित कैम्प है, किसी खतरे का अन्देशा नहीं है। कल से मैं खुद तुम्हारी ट्रेनिंग शुरू कर दूंगा। महाराज का हुक्म है कि तीन महीने के अन्दर-अन्दर तुम्हें पूरी तरह तैयार कर दिया जाए।"
"और मुझे क्या करना होगा?" थाईवांग ने पूछा।
"तुम्हें भी हिफाजत के लिए यहां भेजा है।" हांगसो ने जवाब दिया—"अगर चाहो तो तुम भी ट्रेनिंग ले सकती हो। वैसे तुम पर कोई पाबन्दी नहीं है। तुम चाहो तो खाना पकाने में नीशा और चांगी का हाथ बटा सकती हो। अब तुम लोग आराम करो सुबह मुलाकात होगी।"
हांगसो चला गया और वे दोनों देर तक वहां बैठे बातें करते रहे। बातों के लिए उनकी जुबानें तो चल ही रही थीं, उनके दोनों हाथ भी निरन्तर हरकत कर रहे थे। मच्छरों की इस कदर बहुतायत थी कि उन्हें मारने के लिए दोनों हाथों को निरंतर हरकत में रखना जरूरी था।
इन मच्छरों की वजह से रात को नींद भी बड़ी मुश्किल से आस सकी थी। सुबह छह बजे काला बच्चा को जगा दिया गया। यह गनीमत थी कि उसे पहले की तरह भिक्षु जैसा लबादा नहीं पहनाया गया था बल्कि एक निकर दे दी गयी थी और फिर उसकी ट्रेनिंग का नया दौर शुरू हो गया।
यह ट्रेनिंग पहले से ज्यादा सख्त थी और लगता था कि हांगसो वाकई तीन महीने में उसे तैयार कर देगा। जॉगिंग, एयरोबिक्स, योगा, स्ट्रीचिंग, किकिंग, पंचिंग उसकी शुरुआती ट्रेनिंग का हिस्सा था। यहां कोई जिमनाजियम नहीं था, न ही यहां एक्सरसाइज के लिए आधुनिक मशीनें थीं लेकिन ट्रेनिंग का मैयार किसी तरह भी आधुनिक जिमनाजियम से कम नहीं था। एक्सरसाइज मशीनों का काम जंगल के दरख्तों से लिया जा रहा था—पंचिंग बैड्ज भी दरख्तों की मोटी शाखों से लटके हुए थे और किकिंग के लिए भी दरख्तों से ही काम लिया जाता था।
एक महीना गुजर गया। सुबह से शाम तक की मशक्कत उसे बुरी तरह थका देती थी। रात का खाना खाते ही वह इस तरह सो जाता कि सुबह से पहले उसे कोई होश ही नहीं रहता। मोटे-मोटे मच्छर रात भर उसका खून चूसते रहते, मगर उसे पता ही न चलता।
थाईवांग भी कभी भिक्षुओं के साथ योगा, एयरोबिक्स और स्ट्रीचिंग वगैरह में शामिल हो जाती लेकिन उसमें कोई बाकायदगी नहीं थी। उसका ज्यादा वक्त नीशा और चांगी के साथ खाना वगैरह तैयार करने में गुजरता था। खाना वही चावल का दलिया, जो जायकेदार बनाने के लिए विभिन्न तरीकों से तैयार किया जाता था। जिस तरह की वे मशक्कत कर रहे थे, उसके पेशनजर यह खाना बिल्कुल ना काफी था, लेकिन हैरत की बात थी जिस्म का तारतम्य बहाल रखने के लिए चावल का यह दलिया तमाम आवश्यकतायें पूरी कर रहा था। इस दलिए के अलावा रात को सोने से पहले उसे एक गिलास शर्बत भी पीने को दिया जाता था। गाढ़ा-सा यह शर्बत बहुत जायकेदार था और काला बच्चा का ख्याल था कि जड़ी-बूटियों से तैयार किए हुए इस शर्बत में ऐसी कोई बात थी, जो जिस्म का सन्तुलन बरकरार रखे हुए थी और कदाचित दलिए में जो मसाले डाले जाते थे, उनमें भी ऐसी कोई चीज शामिल जरूरी होती थी।
एक महीने बाद काला बच्चा की ट्रेनिंग का नया पड़ाव शुरू हुआ। रेत का एक बहुत बड़ा ढेर था। हांगसो ने उसे हुक्म दिया कि वह उस ढेर पर उस वक्त तक पंचिंग करता रहे जब तक उसे रुकने को न कहा जाए। काला बच्चा ने बड़ी खुशी से उस ढेर पर पहला पंच मारा। उसका बाजू कुहनी तक अन्दर धंसता चला गया। लेकिन इसके साथ ही उसे यों लगा जैसे उसने अपना हाथ दहकती हुई भट्टी में दाखिल कर दिया हो। रेत बहुत गरम थी। उसने हांगसो की तरफ देखा। उसने मुस्कराते हुए सिर हिला दिया, इसका मतलब था प्रैक्टिस जारी रखी जाए। इंकार की इजाजत नहीं थी। काला बच्चा ने दूसरे हाथ का पंच मारा।
शुरू के दो-चार पंच मारने से उसे उंगलियों की पोरों से लेकर कुहनी तक जलन महसूस हुई। लगता था जैसे खाल झुलस रही हो लेकिन उसके बाद तो गोया उस पर जुनून-सा सवार हो गया। वह रेत के ढेर पर पंच मारता रहा। उसका जिस्म पसीने से सराबोर हो रहा था। लगता था जैसे रेत की तपिश उसके पूरे जिस्म में समा रही हो।
दस मिनट बाद हांगसो ने उसे हाथ रोक लेने का हुक्म दिया और फिर वह काला बच्चा के दोनों हाथ और बाजू देखने लगा। उसके होठों पर हल्की-सी मुस्कुराहट आ गयी।
काला बच्चा को उस रात नींद नहीं आ सकी। दोनों हाथ और बाजू जैसे सुलग रहे थे। शाम को जब थाईवांग ने उसके हाथ और बाजू देखे तो वो दहल गयी थी।
"क्या यह तुम्हारे साथ जुल्म नहीं हो रहा?" वह काला बच्चा के बाजू सहलाती हुई बोली।
"नहीं।" काला बच्चा ने मुस्कराकर जवाब दिया—"यह तो मेहनत है, अगर मैं मेहनत नहीं करूंगा तो यह फन कैसे सीखूंगा? दुश्मन का मुकाबला कैसे करूंगा? मेरे मां-बाप मेरी आंखों के सामने सिंगापुर में मारे गये, दारा और उसके साथियों ने उन्हें कत्ल किया था—मैं देखता रहा और उन्हें बचा न सका—मैं बुजदिलों की तरह भाग गया, छुप गया और फिर वे लोग मुझे खत्म करने के लिए हमले दर हमले करने लगे। चाचा प्रताप सिंह अपनी जान पर खेलकर मुझे बचाता रहा फिर वह भी मारा गया, वह मुझे बचाने के लिए क्वालालम्पुर लाया, तो वहां भी दारा ने पीछा नहीं छोड़ा फिर बैंकाक में दारा के आदमी पीछे लग गये। मैं बुजदिलों की तरह भागता रहा और मेरी हिफाजत करने वाले मारे जाते रहे, अगर मैं यह फन जानता होता, अगर मैं भी कोई स्ट्रीट फाइटर होता तो मैं उनका मुकाबला करता और यों उनसे छुपता न फिरता।"
"तुम्हारी उम्र उस वक्त बारह साल थी और अब भी कोई ऐसी उम्र नहीं, जो ऐसे लोगों से मुकाबला कर सको।"
"यह न भूलो कि हमने मिलकर दो आदमी तो उनके मार ही डाले, अब मैं पूरी तैयारी चाहता हूं।"
"ठीक कहते हो।" थाईवांग ने कहा—"कामयाबी मेहनत के बाद ही हासिल होती है।"
तपती हुई रेत पर उसकी प्रैक्टिस कई रोज तक जारी रही और उसके बाद एक और मरहला आया जो उससे ज्यादा खतरनाक था। अब उसे कांच के टुकड़ों पर पंचिंग करनी थी। शीशे के छोटे-छोटे टुकड़ों का ढेर गरम रेत से ज्यादा कष्टदायक था। हांगसो उसके करीब खड़ा था। उसने काला बच्चा को समझाया कि कांच के इस ढेर पर पंच किस तरह मारा जाए। गलत पंच हाथ को नुकसान पहुंचा सकता है।
मार-धाड़ में ज्यादा अहमियत पंचिंग और किकिंग को दी जाती है, इसलिए इन दोनों चीजों की प्रैक्टिस पर भी ज्यादा जोर दिया जाता। इस प्रैक्टिस से यह बात भी काला बच्चा की समझ में आ रही थी कि किस तरह कम से कम ताकत इस्तेमाल करके प्रतिद्वंद्वी को ज्यादा से ज्यादा नुकसान पहुंचाया जा सकता है।
मोयेथाई के अलावा उसे मार्शल आर्ट्स के कुछ दूसरे स्टायल्ज के भी कुछ दांवपेंच सिखाये जा रहे थे। हर हफ्ते किसी न किसी भिक्षु के साथ फाइट भी करवाई जाती, जिसमें उसे बताया जाता कि प्रतिद्वंद्वी पर किस तरह हमलावर होना चाहिए और प्रतिद्वंद्वी के हमले से किस तरह बचा जा सकता है। उसे यह भी बताया गया कि इंसानी जिस्म में कितने और कौन-कौन से नाजुक प्वाईंटस होते हैं और किस प्वाईंट पर किस तरह वार करके क्या परिणाम निकाला जा सकता है।
हांगसो ने उसे यह भी समझाया कि अगर खाली हाथ किसी प्रतिद्वंद्वी से आमाना-सामना हो जाए तो वहां किसी भी ऐसी चीज को हथियार या ताकत के सरचश्म के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है जिसे उठाना भी सम्भव न हो। मसलन आस-पास मौजूद कोई दरख्त या दीवार। उसे अगर प्रतिद्वंद्वी पर प्लाइंग किक लगानी है और वह उसे इसका मौका नहीं दे रहा है तो ऐसे मौके पर उसे चाहिए कि वह दौड़ता हुआ दीवार की तरफ जाए और फ्लाइंग किक के अन्दाज से कम से कम चार फुट ऊपर दोनों पैर दीवार से लगाये। और दीवार को पूरी कुव्वत के साथ धकेले और पलटकर अपने प्रतिद्वंद्वी पर फ्लाइंग किक लगा दे, इस टैक्नीक से उसके हमला करने की क्षमता दुगनी हो जायेगी और प्रतिद्वंद्वी को ऐसी करारी चोट लगेगी कि उसके लिए उठना मुश्किल रहेगा।
उस रोज वह दिन भर यही प्रैक्टिस करता रहा लेकिन उसे कोई विशेष सफलता नहीं मिल सकी।
उस रात वह गहरी नींद सो रहा था कि उसे यों लगा जैसे उसे कोई कन्धे से पकड़कर जगा रहा हो। उसने बड़बड़ाते हुए करवट बदली लेकिन दूसरे ही लम्हे फिर किसी ने उसे कन्धे से पकड़कर हिला दिया। उसने ओखें खोल दीं लेकिन अन्धकार में कुछ नजर नहीं आया, अलबत्ता हल्की-हल्की कराहों ने उसे चौंका दिया। उसने अपने कन्धे पर रखा हुआ हाथ टटोलकर महसूस कर लिया कि वह थाईवांग थी, जो धीरे-धीरे कराह रही थी।
"क्या हुआ थाई—तुम्हारी तबियत तो ठीक है ना।" उसने मद्धिम स्वर में पूछा।
"मेरी हालत बिगड़ रही है।" वह कांपी—"मैं कई रोज से बर्दाश्त कर रही हूं लेकिन अब बर्दाश्त करने की शक्ति जवाब देती जा रही है।"
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Additional information
Book Title | Street Fighter : स्ट्रीट फाइटर |
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Isbn No | |
No of Pages | 270 |
Country Of Orign | India |
Year of Publication | |
Language | |
Genres | |
Author | |
Age | |
Publisher Name | Ravi Pocket Books |
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