शेरों की कछार
देवा ठाकुर
दारा के पीछे मौत लपक रही थी लेकिन वह इस बार भी बच निकला। काला बच्चा जब दरिया से बाहर निकलकर पुल पर आया तो वहां एक गाड़ी आकर रुकी। धड़धड़ करके कार के दरवाजे खुले और तीन आदमी बाहर निकले। काला बच्चा का ख्याल था कि शायद वे दारा के गुर्गे होंगे। वह अपने आपको उनसे निपटने के लिए तैयार करने लगा।
वे दारा के नहीं महाराज के आदमी थे। उनमें से एक कांग था।
"मुझे अफसोस है, हमें यहां पहुंचने में देर हो गयी।" कांग ने कहा—"दरअसल हम लोग तुम्हें और दारा को वहां तलाश कर रहे थे। फिर हमने तुम्हें एक गाड़ी में वहां से निकलते देखा और उसके चंद मिनट बाद ही दारा को भी एक कार में वहां से निकलते देखा। हम फौरन ही पीछे आना चाहते थे लेकिन हमारी कार फंस गयी थी। फिर भी हम ठीक वक्त पर यहां पहुंच गये। दारा कहां गया है?"
"इस दरिया में कूदकर फरार हो गया बुजदिल।" काला बच्चा ने जवाब दिया।
"तुम यहां से निकल चलो।"
जानकी देवी और प्रसाद भी वहां कार से आ चुके थे। प्रसाद को जानकी देवी ने सहारा दिया हुआ था। काला बच्चा प्रसाद के साथ कार की पिछली सीट पर बैठ गया। जानकी अगली सीट पर बैठ चुकी थी। हिप लीवंग दहशतजदा नजरों से यह सब कुछ देख रही थी। उसने जल्दी से अपने आपको संभाल लिया और इन्जिन स्टार्ट करके कार को एक झटके से आगे बढ़ा दिया।
यह खूनी संग्राम उस वक्त से शुरू हुआ था जब दारा ने अपने गिरोह के साथ मिलकर सिंगापुर में काला बच्चा के मां-बाप का कत्ल कर दिया था और काला बच्चा उस वारदात का चश्मदीद गवाह बन गया। उस वक्त यह अबोध मासूम बच्चा था। प्रताप सिंह ने उसे संरक्षण दिया और कातिलों से बचाने के लिए उसे बैंकाक पहुंचा दिया। प्रताप सिंह भी मारा गया और काला बच्चा महाराज के संरक्षण में आ गया। उसके बाद हालात ने करवट बदली। महाराज ने काला बच्चा को जबरदस्त फाइटर बना दिया और दारा उसकी तलाश में बैंकाक भी आ पहुंचा। बैंकाक में अन्डरवर्ल्ड के डॉन टाइगर ने उसकी मदद की। दारा हर सूरत में काला बच्चा को खत्म करना चाहता था। टाइगर भी काला बच्चा के हाथों मारा गया। (पूरा विवरण जानने के लिए पढ़िये देवा ठाकुर के उपन्यास 1. काला बच्चा, 2. स्ट्रीट फाइटर।)
"कुछ नहीं हुआ लीवंग।" जानकी ने कांपती लीवंग की तरफ देखकर कहा—"सावधानी से गाड़ी चलाओ। कोई हादसा न हो जाये।"
"कहीं आगे भी कुछ...।"
"नहीं, अब वह खुद फरार हो गया है। वह हमारा रास्ता काटने की कोशिश नहीं करेगा।" जानकी ने उसकी बात काटकर कहा—"अब वह कई रोज तक बिल में छुपा अपनी चोटें सहलाता रहेगा। आराम से गाड़ी चलाओ।"
"जब से यह आदमी आश्रम में आया था, उसी रोज से गड़बड़ हो रही थी।" हिप लीवंग ने कहा—"मैंने सोचा था कि वहां जाना छोड़ दूंगी। अब तो सब कुछ खत्म हो गया।"
वह चंद लम्हों को खामोश हुई फिर जानकी देवी की तरफ देखते हुए बोली—"मेरा ख्याल है आश्रम में यह सब हंगामा तुम लोगों की वजह से हुआ है। यह कौन है?" उसने पीछे काला बच्चा की तरफ संकेत किया।
"लम्बी कहानी है।" जानकी ने जवाब दिया—"इसकी वजह से तुम्हें डरने की जरूरत नहीं। यह दुरुस्त है कि दारा को इसी की तलाश थी और यह तलाश बहुत अर्से से है। लेकिन जब तुम इसकी कहानी सुनोगी तो तुम्हें इससे हमदर्दी और दारा से नफरत हो जायेगी।"
"दारा वही शख्स है ना जो भाग गया है?" हिप लीवंग ने पूछा।
"हां वही।" जानकी ने गर्दन हिलाई—"दुनिया का सबसे क्रूर, बेरहम और सबसे बुजदिल आदमी।"
"उसकी क्रूरता और बुजदिली का अन्दाजा मुझे भी हो गया है।" हिप लीवंग ने कहा—"दो दिन पहले उसने एक आदमी को आश्रम के अन्दर ले जाकर बुरी तरह पीट डाला था। उसकी एक पसली तोड़ दी थी और उसे उठाकर बाहर फिंकवा दिया था। उसका कसूर सिर्फ यह था कि...।"
"उसने दारा के पैर चूमने से इन्कार कर दिया था।" जानकी ने उसकी बात पूरी कर दी।
"तुम्हें मालूम है...?" हिप लीवंग ने चौंककर उसकी तरफ देखा।
"हां—मैं वहां मौजूद थी। मैं तो उस बदमाश की तलाश में वहां गयी थी और उसकी हरकतों का जायजा ले रही थी।" जानकी ने जवाब दिया।
"क्या तुम्हारा पुलिस से भी कोई तआल्लुक है?" हिप लीवंग पूछा।
"पुलिस...नहीं...।" जानकी देवी ने जवाब दिया—"यह एक दूसरी किस्म का मामला है। तुम इस बारे में थोड़ा बहुत ही जान जाओ तो कांप उठोगी। पिछले चंद महीनों में शहर में जितने भी हंगामे होते रहे हैं, उनके जिम्मेदार टाइगर और दारा हैं। उन्होंने महात्मा बुद्ध की मूर्ति से सोना चुराने की कोशिश की थी। जिस शख्स ने सोना चोरी होने से बचाया, दारा और टाइगर ने उसे वाट के सामने बम से उड़ा देना चाहा, वह कई बेगुनाहों का कातिल है। टाइगर तो चंद रोज पहले काला बच्चा के हाथों मारा गया और दारा अभी तक बचा हुआ है। वह गर्दन तक गुनाहों और जरायम की दलदल में फंसा हुआ है।"
"ओह...।" हिप लीवंग चौंक गयी—"काला बच्चा वही तो नहीं जिसका इन हंगामों के हवाले से अखबारों में नाम आता रहा है। लेकिन तुम्हारा इससे क्या सम्बन्ध है?"
"मेरे और काला बच्चा के सम्बन्ध का अन्दाजा तुम इस तरह लगा सकती हो कि वह इस वक्त मेरे साथ है।" जानकी ने कहा। वह जज्बात में आकर कुछ अधिक ही बोल रही थी।
"क...क...क्या?" स्टेयरिंग पर हिप लीवंग के हाथ कांप गये और कार सड़क पर लहराने लगी।
"गाड़ी संभालो...।" जानकी चीखी।
हिप लीवंग ने फौरन ही अपने आप पर काबू पा लिया और सामने लगे हुए आइने का ऐंगिल दुरुस्त करके पीछे देखने लगी। काला के साथ रामन प्रसाद भी था और उसके लिए शायद यह फैसला करना दुश्वार हो रहा था कि उन दोनों में काला बच्चा कौन है।
काला बच्चा ने अपने भीगे हुए वस्त्र उतार दिए थे। वह इस वक्त अन्डरवियर में बैठा था। उसका ऊपरी बदन नग्न था और इस वजह से उसकी मांसपेशियां नुमाया हो गयी थीं। हिप लीवंग को समझने में देर नहीं लगी कि वही काला बच्चा है।
हिप लीवंग आइने में काला बच्चा को देखने लगी। शायद उसे जानकी की बात का यकीन नहीं आ रहा था। आम आदमी के लिए काला बच्चा के बारे में ऐसी बात का यकीन करना मुमकिन भी नहीं था लेकिन हिप लीवंग चूंकि सब कुछ आंखों से देख चुकी थी, इसलिए उसे तो यकीन आ ही गया।
उनसे पहले जो लोग शहर पहुंच चुके थे, उन्होंने शायद पुलिस को आश्रम में होने वाले हंगामे की सूचना दे दी थी और सामने से कुछ गाड़ियां आती नजर आ रही थीं। सायरन की आवाजें भी फिजा में गूंज रही थीं। उनकी छतों पर लगी हुई लाइटों से अन्दाजा लगाया जा सकता था कि वे पुलिस और फायर ब्रिगेड की गाड़ियां थीं।
हिप लीवंग ने कार सड़क के किनारे पर लगाकर रोक दी। पुलिस की गाड़ियां और अनगिनत फायर इन्जिन सायरन बजाते हुए तीव्र गति से आश्रम की तरफ दौड़े जा रहे थे।
लगभग दस मिनट बाद हिप लीवंग ने गाड़ी आगे बढ़ा दी। उसने रफ्तार हल्की-सी रखी क्योंकि सामने से कुछ गाड़ियां अब भी बड़ी तीव्र गति से आ रही थीं। ग्रैन्ड होटल से उसने कार सोखमवर रोड पर मोड़ ली। अभी रात के ग्यारह ही बजे थे। सड़क पर खासी रौनक थी। उनका ख्याल था कि किसी टैक्सी स्टैन्ड पर वे कार रुकवा कर उतर जायेंगे और वहां से किसी टैक्सी में बैठकर वाट ट्रीम्ट की तरफ रवाना हो जायेंगे। इस सड़क पर कुछ आगे जाकर हिप लीवंग ने कार सोखमवर सबवे सिक्स्टी टू रोड पर मोड़ दी तो काला बच्चा चौंके बगैर न रह सका। आगे बैठी हुई जानकी ने भी महसूस कर लिया कि वे किस तरफ जा रहे हैं। तब तक काला बच्चा ने अपने कपड़े निचोड़कर फिर से पहन लिए थे और वे काफी हद तक सूख गये थे।
"इस तरफ कहां जा रही हो?" जानकी हिप लीवंग की तरफ देखते हुए बोली—"हमें मेन रोड पर किसी टैक्सी स्टैन्ड पर ड्रॉप कर दो।"
"मैं देख रही हूं कि तुम तीनों को फर्स्ट एड की जरूरत है।" हिप लीवंग ने उसकी बात काट दी—"तुम्हारा वह तीसरा साथी तो पीड़ा से निरंतर कराह रहा है। मेरा घर यहां से ज्यादा दूर नहीं है। तुम तीनों को फस्ट एड मिल सकती है।"
जानकी ने मुड़कर काला बच्चा की तरफ देखा। काला बच्चा ने सहमति में गर्दन हिला दी। उसके ख्याल में हिप लीवंग पर विश्वास किया जा सकता था और वह इस हालत में महाराज के सामने नहीं जाना चाहता था।
"क्या हम तुम पर विश्वास कर सकते हैं लीवंग?" जानकी ने अजीब नजरों से उसकी तरफ देखा।
"करना ही पड़ेगा।" हिप लीवंग पहली मर्तबा मुस्करायी—"तुम जानती हो, मैंने तुम्हें अपनी कार में बैठते ही पहचान लिया था। यह सब कुछ देखकर और तुम्हारी बातें सुनकर मुझे तुम लोगों से हमदर्दी हो गयी है। अगर तुम लोगों के खिलाफ मेरे दिल में कोई बात होती तो तुम लोगों को कहीं भी ड्रॉप कर देती और फिर पुलिस को तुम्हारे बारे में बता देती।"
जानकी खामोश हो गयी।
कार सोये चाइन सिंक रोड पर मुड़ गयी और थोड़ा ही फासला तय करने के बाद सोयेथांगलो पर घूम गयी। यह सारा पुरसुकून रिहायशी इलाका था। सोयेथांगलो एक चौड़ी स्ट्रीट थी जिसके दोनों तरफ बंगले बने हुए थे। हिप लीवंग ने कार एक बंगले के सामने रोक दी। सामने डैशबोर्ड पर रखे हुए पर्स में से चाबियों का गुच्छा निकाला और इन्जिन चलता छोड़कर नीचे उतर गयी। जानकी देवी अपनी जगह से सरककर ड्राइविंग सीट पर आ गयी और जब हिप लीवंग ने गेट खोला तो कार आगे बढ़ा दी। लीवंग मुस्करा दी थी। कार अन्दर जाने के बाद उसने गेट बन्द कर दिया।
जानकी ने पोर्च में कार रोक ली और इन्जिन बन्द कर दिया। इस दौरान में हिप लीवंग भी वहां पहुंच गयी और बरामदे में दाखिल होकर दरवाजा खोलने लगी। जानकी देवी भी उसके पीछे-पीछे अन्दर आई थी और फिर हिप लीवंग का इशारा पाकर बाहर आ गयी।
काला बच्चा और जानकी ने प्रसाद को सहारा देकर कार से उतारा और उसे अन्दर ले आये। वह बुरी तरह कराह रहा था। अन्दर आकर रोशनी में देखा तो काला बच्चा उछल पड़ा। उसका पैर सूजकर कुप्पा हो रहा था। पहली मर्तबा मोच आने के बाद अगर वह आराम से बैठा रहता तो शायद इतनी अधिक पीड़ा न होती। लेकिन दारा से गुत्थम गुत्था होने के बाद पीड़ा बढ़ गयी थी। उसे हॉलनुमा कमरे में एक कुर्सी पर बिठा दिया गया। जानकी देवी फौरन ही झुककर उसके पैर का निरीक्षण करने लगी। उसने जैसे ही पैर पर हाथ रखा, वह चीख उठा।
"तुम लोग अपने हुलिये दुरुस्त कर लो। मैं इसका पैर देखती हूं।" हिप लीवंग ने कहा।
"हम ठीक हैं लेकिन पहले इसका पैर देखो।" जानकी ने कहा, फिर चौंककर उसकी तरफ देखते हुए बोली—"लेकिन तुम क्या कर सकोगी? क्या तुम भी डॉक्टर हो?"
"डॉक्टर तो तुम हो। मैं मसाजर हूं और मेरा ख्याल है कि इस वक्त इसका इलाज भी किसी डॉक्टर से बेहतर तौर पर कर सकती हूं।" हिप लीवंग ने जवाब दिया।
जानकी देवी मुस्कराकर रह गयी। हिप लीवंग ने गलत नहीं कहा था। जोड़ों का इस किस्म का इलाज हिन्दोस्तान और पाकिस्तान में तो पहलवान किस्म के लोग ही किया करते थे और बैंकाक में भी इस किस्म के लोग मौजूद थे। जबकि डॉक्टरी इलाज इसका एक लम्बा प्रोसेस था। हिप लीवंग मसाजर थी और शायद उसने मसाज की बाकायदा ट्रेनिंग हासिल की थी। मसाज करने वाले भी ऐसे कामों में बड़े माहिर होते हैं। वे जिस्म के एक-एक जोड़ और रगपुट्ठों से वाकिफ होते हैं। प्रसाद के टखने का जोड़ हिल गया था और इस वक्त उसे हिप लीवंग ही बिठा सकती थी।
हिप लीवंग किचन में चली गयी। लगभग दस मिनट बाद वह पानी गरम करके ले आयी। प्लास्टिक का एक टब भी था जो उसने प्रसाद वाली कुर्सी के करीब एक कालीन पर रख दिया था और नीले रंग की चौड़े मुंह वाली एक डिबिया ले आयी थी जिसमें मटियाले रंग की एक क्रीम-सी भरी हुई थी। वह कुर्सी के करीब कालीन पर बैठ गयी। टब को प्रसाद पैर के नीचे रखा और गरम पानी से उसका पैर धोने लगी। पैर को हरकत होने से प्रसाद बार-बार कराह रहा था और जब वह तौलिए से पैर खुश्क कर रही थी तो प्रसाद ने बड़ी बेबसी से जानकी की तरफ देखा।
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