कफन कम पड़ेगा : Kafan Km Pardega
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Description
प्रस्तुत उपन्यास का कथानक बेहद तेज रफ्तार है। इसमें आप पायेंगे कि देश में देश–विरोधी गतिविधियों को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए, रीमा भारती कैसे अपने प्रचण्ड रूप में उन पर हमले करके, उनके नापाक इरादोें को नेस्तनाबूद कर देती है और उसके हुस्न के जलवे... वो तो पाठकों को छलते ही रहेंगे।
Kafan Km Pardega
Reema Bharti
Ravi Pocket Books
BookMadaari
प्रस्तुत उपन्यास के सभी पात्र एवं घटनायें काल्पनिक हैं। किसी जीवित अथवा मृत व्यक्ति से इनका कतई कोई सम्बन्ध नहीं है। समानता संयोग से हो सकती है। उपन्यास का उद्देश्य मात्र मनोरंजन है। प्रस्तुत उपन्यास में दिए गए हिंसक दृश्यों, धूम्रपान, मधपान अथवा किसी अन्य मादक पदार्थों के सेवन का प्रकाशक या लेखक कत्तई समर्थन नहीं करते। इस प्रकार के दृश्य पाठकों को इन कृत्यों को प्रेरित करने के लिए नहीं बल्कि कथानक को वास्तविक रूप में दर्शाने के लिए दिए गए हैं। पाठकों से अनुरोध है की इन कृत्यों वे दुर्व्यसनों को दूर ही रखें। यह उपन्यास मात्र 18 + की आयु के लिए ही प्रकाशित किया गया है। उपन्यासब आगे पड़ने से पाठक अपनी सहमति दर्ज कर रहा है की वह 18 + है।
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कफन पड़ेगा कम
सूरज अपने अस्तांचल की तरफ धीरे-धीरे बढ़ रहा था, उसकी लालिमा से पूरा समुद्र लाल रंग का प्रतीत हो रहा था। उस समय सागर की लहराती लहरें और भी ज्यादा चंचल हो गई थीं।
बलखाती लाल-लाल लहरों से उड़ती हुई नन्हीं बौछारें ब्यूटी क्वीन रीमा भारती के खूबसूरत चेहरे व वस्त्रों से बाहर झांकते जिस्म के हर अंग को शीतलता का अहसास करा रही थीं और वह उनका आनन्द ले रही थी।
उस समय आई.एस.सी. की नम्बर वन जासूस रीमा भारती समुद्र के किनारे स्थित मुम्बई के ‘सनशाइन’ होटल में एक मेज पर बैठी गर्मागर्म कॉफी का मजा ले रही थी और किसी का इन्तजार कर रही थी।
उसकी आंखों में बेचैनी के भाव स्पष्ट नजर आ रहे थे। बार-बार उसकी दृष्टि उस दिशा में उठ रही थी जहां से लोग आ जा रहे थे।
कॉफी का घूंट भरते हुए उसने अपनी रिस्टवॉच पर दृष्टि डाली और होठों-ही-होठों में बुदबुदाई—
“आठ बजने में पांच मिनट बाकी हैं...और यह कमबख्त अभी तक नहीं पहुंचा।”
जिस इन्सान का उसे इन्तजार था, शायद वह उससे मिलने आठ बजे आने वाला था, इसलिए आठ बजने से पहले ही उसकी उत्सुकता बढ़ने लगी थी।
ठीक आठ बजे!
किसी शख्स ने उसके कन्धों पर पीछे से आकर हाथ रखा तो उसने चौंककर पीछे की ओर देखा।
“तुम आ गए....।”
“हम जैसे लोग रात के अन्धेरे में ही बाहर निकलते हैं।” वह शख्स बोला।
अगले ही क्षण!
रीमा भारती अपने स्थान से उठकर खड़ी हो गई और उसकी आंखों में देखते हुए बोली—
“और दिन में गायब हो जाते हो—।”
आने वाला व्यक्ति सत्ताइस वर्षीय नौजवान था। वह लम्बे-चौड़े व मजबूत जिस्म का मालिक था, उसका चेहरा आकर्षक, लम्बाई छः फिट और रंग साफ था।
ब्यूटी क्वीन को वह नौजवान एक ही नजर में भा गया था। वह कुछ क्षण उसे निहारती रही।
“लगता है आज मैं कुछ ज्यादा ही स्मार्ट लग रहा हूं।” नौजवान ने अपने बालों में हाथ फेरते हुए कहा।
“ऐसी कोई बात नहीं है।”
“तो फिर आप इतने गौर से क्यों देख रही हैं।” उसने स्पाई क्वीन की आंखों में झांका।
“चीफ खुराना ने मेरे लिए क्या मैसेज भेजा है?” रीमा भारती मतलब की बात पर आई।
“उन्होंने मैसेज की बजाय तुम्हारे लिए एक मुर्गा भेजा है।” नौजवान ने बताया।
“क्या मतलब?”
मजबूत जिस्म के युवक ने आगे बढ़कर रीमा भारती के कान में सरगोशी करते हुए कहा—
“बाहर एक ब्ल्यू कलर की स्टीम कार खड़ी है, तुम सिर्फ उसमें जाकर बैठ जाओ।”
“ओ.के. डियर।” स्पाई क्वीन ने पूरी फुर्ती के साथ अपना बैग उठाया और काउण्टर पर पहुंची।
काउण्टर पर पहुंचकर उसने कॉफी का बिल अदा किया और होटल से बाहर निकल आई।
सनशाइन होटल के बाहर खड़ी ब्ल्यू कलर की कार को देखकर रीमा भारती उसके नजदीक पहुंची और दरवाजा खोलकर अगली सीट पर बैठ गई।
कार में ब्लैक कोट-पैन्ट पहने मजबूत जिस्म का नौजवान स्टेयरिंग सीट पर विराजमान था।
ब्यूटी क्वीन उसकी बराबर वाली सीट पर बैठी, उस हैण्डसम को ललचाई निगाहों से देख रही थी। उसके चेहरे में एक अलग आकर्षण था।
मगर वह नौजवान सामने की तरफ देख रहा था। उसकी दृष्टि रीमा भारती पर नहीं थी।
अचानक!
गाड़ी का इंजन स्टार्ट हुआ तो स्पाई क्वीन एकाएक ही चौंक पड़ी।
अगले ही क्षण!
खुद पर काबू पाते हुए उसने बातों का सिलसिला जारी रखते हुए सवाल किया—
“आपका नाम....?”
“माई नेम इज रोजर।” हैण्डसम ने बड़े नर्म लहजे में मुस्कुराते हुए कहा।
“हूं।” वह बुदबुदाई—“हां तो मिस्टर रोजर, हम लोग कहां जा रहे हैं?” उसने प्रश्न किया।
“इस समय हमें होटल स्काईलार्क पहुंचना है।” हैण्डसम ने जवाब दिया।
“ओह! तो यह आदेश तुम्हें चीफ ने दिया है।” रीमा भारती ने गहरी सांस ली।
“यस रीमा भारती जी....!”
“मेरे चीफ कब क्या करते हैं, मुझे तो इस बात का इल्म ही नहीं होता।” वह धीमे से बोली।
“आपने कुछ कहा क्या?” हैण्डसम ने मुस्कुराते हुए ब्यूटी क्वीन की ओर देखा।
कुछ क्षणों तक!
वहां उन दोनों के बीच खामोशी छाई रही, फिर ब्यूटी क्वीन ने उत्सुकता से पूछा—
“एक बात तो मैं पूछना भूल ही गई मिस्टर रोजर!”
“जी, कहिये।”
“मैं ये जानना चाहती हूं कि आप आई.एस.सी. संस्था में कब से काम कर रहे हैं।” स्पाई क्वीन की दृष्टि रोजर पर टिकी थी।
“पिछले दो सालों से।”
“तो फिर मेरी मुलाकात आपसे इतने दिनों बाद क्यों हो रही है?” रीमा भारती ने सवाल किया।
“शायद हमारी किस्मत में पहले मिलना नहीं लिखा था।” हैण्डसम ने जवाब दिया।
“दो सालों से आप कहां थे मिस्टर रोजर!” चंचल हिरणी के स्वर में जिज्ञासा थी।
“ड्यूटी के पहले दिन से ही मुझे चीफ खुराना ने हांगकांग भेज दिया था।”
“अब तुम्हारा भारत किस सिलसिले में आना हुआ?” रीमा भारती ने उत्सुकता से पूछा।
“बॉस को यहां मेरी जरूरत महसूस हुई...तो उन्होंने मुझे भारत बुला लिया।”
“ओह! अब बात समझ में आ रही है।” उसने सन्तुष्टि के साथ कहा।
कुछ क्षणों के लिए उन दोनों के बीच फिर से खामोशी छा गई थी।
“एक बात कहूं मैडम!”
“हां, कहो न।” रीमा भारती ने उसकी ओर देखे बिना ही कहा।
“आपके साथ काम करने का मेरा ख्वाब आज पूरा होने जा रहा है।” उसने खुश होकर कहा।
“क्या मतलब?”
“मतलब यह कि मैं न जाने कब से तरस रहा था कि आपके साथ काम करने का एक मौका तो मिलना ही चाहिए।” उसने कहा।
“ओह! तो यह बात है।” रीमा भारती मुस्कुराई।
“यस मैडम! इन्तजार करते-करते वो समय अब आया है।” वह बोला।
“चलो तुम्हारी किस्मत ने यह मौका तो दिया।” रीमा भारती ने एक गहरी सांस ली।
“आई.एस.सी. का एजेण्ट बनते ही मेरी नजरों ने जो सपना देखा था, वो आज पूरा होने जा रहा है, मुझे यकीन ही नहीं होता।”
रीमा भारती ने उसकी बात का कोई जवाब नहीं दिया, बल्कि मुस्कुराकर रह गई।
“मैडम! मैं एक बात के लिए आपका हमेशा आभारी रहूंगा।” उसने आभार प्रकट किया।
“किस बात के लिए?”
“यही कि आपने मुझे एक मौका अपने साथ काम करने के लिए दिया।” रोजर ने खुद को उसका जूनियर साबित करते हुए अहसान माना।
“सबसे पहले तो आप एक बात समझ लीजिए मिस्टर रोजर!” रीमा भारती ने एक गहरी सांस छोड़ते हुए कहा।
“वो क्या?”
“मेरे साथ काम करने का जो तुम्हें अवसर प्राप्त हुआ है, वो मैंने तुम्हें नहीं दिया।”
“तो फिर—।” रोजर के स्वर में उत्सुकता थी।
“यह मौका तुम्हें चीफ खुराना ने दिया है, इसलिए अहसान तुम्हें मेरा नहीं, बल्कि उनका मानना चाहिए।” रीमा भारती के होठों पर मन्द-मन्द मुस्कान थी।
“क्या आप मेरे साथ दोस्त बनकर रहना पसन्द करेंगी।” उसने पूछा।
“ऑफकोर्स।” वह खुशदिली से बोली।
“आप मेरे साथ खुश हैं तो इसका मतलब तो यही हुआ आपने मुझे अपने सहयोगी के रूप में स्वीकार कर लिया।” उसने रीमा भारती की ओर देखा।
“यस मिस्टर रोजर! इस बात में अब कोई सन्देह ही नहीं रह गया है।”
“तो फिर इसलिए मैं आपका अहसानमन्द हूं।” रोजर ने कृतज्ञताभरे स्वर में कहा।
स्पाई क्वीन सिर्फ हल्के से मुस्कुराकर ही रह गई थी, उसने रोजर की बात का कोई जवाब नहीं दिया।
अगले ही क्षण!
रोजर ने गाड़ी को स्पीड देते हुए तूफानी रफ्तार से दौड़ाना शुरू कर दिया।
“गाड़ी अच्छी चला लेते हो तुम।” रीमा भारती ने प्रशंसनीय दृष्टि से उसकी ओर देखा।
“थैंक्यू मैडम!”
“एक बात तो मैं पूछना भूल ही गई रोजर!” उसने अपने मस्तिष्क पर जोर डालते हुए कहा।
“वो क्या मैडम?”
“क्या आप मुझे बता सकते हैं कि हम होटल स्काईलार्क क्यों जा रहे हैं?” उस समय रीमा भारती के चेहरे पर गम्भीरता के भाव थे।
“वहां जाकर हमें मुम्बई पेट्रोल के डायरेक्टर सन्दीप मित्तल से मिलना है।” उसने जवाब दिया।
“क्या वो हमारी प्रतीक्षा कर रहे हैं?” रीमा भारती ने चौंकने वाले अन्दाज में पूछा।
“जी हां मैडम।”
“वो क्यों?”
“ये बात तो मैं भी नहीं जानता मैडम।”
“क्या तुम्हें चीफ ने चलते समय कुछ भी नहीं बताया था?” रीमा भारती ने हैरानी से पूछा।
“जब मैं बॉस के ऑफिस पहुंचा तो उन्होंने मुझे गाड़ी की चाबी थमाते हुए कहा कि मैं आपको ठीक आठ बजे होटल ‘सनशाइन’ से लेकर सन्दीप मित्तल के पास पहुंच जाऊं।” उसने जवाब दिया।
“इसके अलावा और कुछ नहीं कहा।” रीमा भारती ने बेचैनी के साथ पूछा।
“उन्होंने कहा था कि सन्दीप मित्तल हमें स्काईलार्क होटल में मिलेंगे।”
“ओह!” रीमा भारती उसकी बात सुनकर कुछ क्षणों के लिए सोच में पड़ गई थी।
“क्या सोच रही हैं आप?” उसे सोच में डूबा देखकर रोजर ने पूछा।
“मैं सोच रही थी कि हमें उनसे मिलकर करना क्या होगा?” रीमा भारती ने उलझन के साथ कहा।
“ये बात तो हमें सन्दीप मित्तल से ही मालूम होगी....कि हमें उनसे मिलकर क्या करना है।”
रोजर की बात सुनकर रीमा भारती खामोश हो गई। उसके चेहरे पर उलझन के भाव अभी तक उत्पन्न हो रहे थे। एकाएक ही उसने रोजर से पूछा—
“रोजर! क्या तुम बता सकते हो हमें होटल स्काईलार्क पहुंचने में कितना समय लगेगा?”
“बस कुछ देर में ही हम वहां पहुंच जाएंगे।” रोजर ने ड्राइव करते हुए कहा।
स्पाई क्वीन होटल स्काईलार्क पहुंचने के लिए काफी बेताब नजर आ रही थी।
अचानक!
रोजर ने गाड़ी को फिर से स्पीड देते हुए तूफानी रफ्तार से दौड़ाना शुरू कर दिया।
“क्या बात है रोजर! तुम मुझे कुछ परेशान से लग रहे हो।” रीमा भारती ने बेचैनी से पूछा।
“लगता है दुश्मन हमारा पीछा कर रहे हैं मैडम!” रोजर ने उसकी ओर देखे बिना ही कहा।
“यह तुम क्या कह रहे हो?” रीमा भारती ने चौंकने वाले अन्दाज में पूछा।
“मैडम, आप सावधान रहना।” रोजर ने उसकी बात का जवाब न देकर उसे अलर्ट किया।
रोजर ने एक निगाह पीछे आती गाड़ी पर मारी और फिर से अपनी गाड़ी को तेज रफ्तार से दौड़ा दिया। रीमा भारती की समझ में नहीं आ रहा था कि यह सब क्या हो रहा है!
अगले ही क्षण!
स्पाई क्वीन ने पीछे पलटकर देखा तो आधा किलोमीटर की दूरी से एक गाड़ी उनके पीछे आ रही थी।
सुनसान सड़क पर पीछे से आती ये जिप्सी बता रही थी कि वह उनका पीछा कर रही है।
लेकिन!
स्पाई क्वीन इस बात को मानने के लिए तैयार नहीं थी कि गाड़ी उनका पीछा कर रही है। उसने अपनी व्याकुल दृष्टि रोजर पर जमाते हुए पूछा—
“क्या तुम्हें इस बात का पूरा यकीन है कि ये जिप्सी हमारा ही पीछा कर रही है?”
“यस मैडम!” वह दृढ़तापूर्वक बोला।
“यह कैसे हो सकता है रोजर!” रीमा भारती ने अविश्वासभरी दृष्टि से उसकी ओर देखा।
“क्यों नहीं हो सकता?”
“मगर तुम इस बात को पूरे यकीन के साथ कैसे कह सकते हो रोजर!”
“क्योंकि जिस शख्स से हम मिलने जा रहे हैं, वो कोई मामूली इन्सान नहीं है।”
“जानती हूं, वह मुम्बई हाई प्रोजेक्ट पेट्रोलियम का डायरेक्टर सन्दीप मित्तल है।”
“यस मैडम!”
“इसके अलावा कुछ और जानते हो तुम उस शख्स के बारे में?” रीमा भारती ने पूछा।
“बॉस ने जब हमें वहां जाने के लिए कहा है तो साफ जाहिर है कि वह इन्सान हमें किसी रहस्य से वाकिफ कराना चाहता है।” रोजर ने बताया।
“लेकिन ये गाड़ी क्यों हमारा पीछा कर रही है? आखिर इसमें कौन हो सकता है?”
“मैडम! अगर ये जिप्सी हमारा पीछा कर रही है तो साफ जाहिर है कि इसमें हमारे दुश्मन हैं....।” रोजर ने गाड़ी को स्पीड देते हुए कहा।
“आखिर ये चाहते क्या हैं?” रीमा भारती के मस्तिष्क में अनेकों सवाल उमड़ने लगे।
“शायद ये लोग सन्दीप मित्तल के पास पहुंचने से पहले ही हमें खत्म करना चाहते हैं।” रोजर ने स्पाई क्वीन के मस्तिष्क का बोझ हल्का किया।
“लेकिन हमें मारकर इन लोगों को क्या हासिल हो सकता है।” उसने सोचपूर्ण स्वर में कहा।
“यह बात तो वही जानते हैं, मैं इस बारे में क्या कह सकता हूं!”
कुछ क्षणों तक!
स्पाई क्वीन गहरी सोच में डूबी रही, फिर गम्भीर मुद्रा में रोजर की ओर देखकर बोली—
“अगर ये लोग पहले से मेरा पीछा कर रहे हैं तो इनको यह भी मालूम होना चाहिए कि हमें किसी बात के बारे में कुछ भी जानकारी नहीं।”
“आपका अन्दाजा सही है।”
“फिर हम लोगों को मारकर इन्हें क्या हासिल हो सकता है?” रीमा भारती ने प्रश्नवाचक दृष्टि से देखा।
“मैडम! मेरा तो दिमाग ही काम नहीं कर रहा है, आप ही यह बात सोच सकती हैं।” रोजर ने एक बार फिर गाड़ी की रफ्तार बढ़ाते हुए कहा।
“एक बात हो सकती है रोजर!” स्पाई क्वीन ने अपने मस्तिष्क पर जोर डालते हुए कहा।
“वो क्या?”
“ये हो सकता है कि ये लोग सोच रहे हों कि हमें मारकर, हमारा रूप धारण करके सन्दीप मित्तल से उन बातों की जानकारी हासिल कर लें, जो बातें वो हमें बताने वाला है।” रीमा भारती ने अनुमान लगाया।
“यही बात मेरे दिमाग में भी आ रही थी मैडम!” उसने रीमा भारती की ओर देखे बिना ही कहा।
“तुम गाड़ी की स्पीड तेज करो रोजर! किसी भी हालत में हमें सन्दीप मित्तल तक पहुंचना है।”
“आप बेफिक्र रहिए मैडम! ये लोग हमारा कुछ नहीं बिगाड़ सकते।” रोजर ने तसल्ली दी।
“क्या इसके अलावा कोई और दूसरा रास्ता नहीं है रोजर! ताकि इन लोगों से हमें छुटकारा मिल जाए?” रीमा भारती ने पीछे जिप्सी की ओर देखते हुए पूछा।
“मैं आपको ऐसे रास्ते से ले चलता हूं, जहां से इनके फरिश्ते भी हमारा पीछा नहीं कर सकते।” रोजर ने दृढ़ता भरे स्वर में कहा।
अगले ही पल!
स्पाई क्वीन की स्टीम दाहिनी तरफ बनी एक पतली-सी गली में घुस गई।
इस गली में कई एक मोड़ थे जो काफी आड़े-टेढ़े थे, एकदम भूल-भुलइय्या जैसे। इन रास्तों पर कोई अन्जान व्यक्ति नहीं गुजर सकता था।
इन रास्तों से निकलकर अपनी मन्जिल तक पहुंचने वाला व्यक्ति इस रास्ते का मजबूत जानकार कहलाता था। जिसे खिलाड़ियों का खिलाड़ी कहा जा सकता था।
इन गलियों में घुसकर वापस सड़क पर आना या अपनी मन्जिल पर पहुंच पाना अनाड़ियों के बस की बात नहीं थी। ये तो सिर्फ रोजर का कमाल था।
कुछ देर बाद!
स्पाई क्वीन ने पीछे घूमकर देखा और कुछ क्षणों तक उसी रास्ते को निहारती रही।
न तो उसे वहां कोई शोर सुनाई दिया और न ही कोई दिखाई दिया। रीमा भारती ने मन-ही-मन ईश्वर का धन्यवाद अदा किया और मुस्कुराते हुए बोली—
“रोजर! तुम वाकई मेरे साथ काम करने के लायक हो, मैं तुम्हें मान गई।”
“यह मेरी खुशकिस्मती है मैडम!” वह प्रसन्नतापूर्वक रीमा भारती की ओर देखते हुए बोला।
“क्या तुम इन गलियों से निकलकर होटल स्काईलार्क पहुंच सकते हो?”
“क्यों नहीं मैडम! मैं तो इन गलियों का बादशाह हूं।” वह जोश में बोला।
“बड़ा कॉन्फिडेन्स है तुम्हें अपने आप पर!” रीमा भारती व्यंग्य से मुस्कुराई।
“ये गलियां मुझे कभी धोखा नहीं दे सकतीं, इसलिए इनसे बाहर निकलना मेरे लिए कोई मुश्किल बात नहीं है।” रोजर ने पूरे विश्वास के साथ कहा।
कुछ ही देर बाद!
बातों ही बातों में रोजर गाड़ी को एक चौड़ी सड़क पर ले आया था। मेन रोड पर पहुंचते ही रीमा भारती ने राहत की एक सांस ली और बोली—
“हमें सन्दीप मित्तल तक कब तक पहुंचना है, कहीं ऐसा न हो कि वो हमारा इन्तजार करके वहां से निकल जाए।”
रीमा भारती ने चिन्ता प्रकट की।
अगले ही क्षण!
रोजर ने अपनी रिस्टवॉच पर दृष्टि डाली और घबराए हुए स्वर में बोला—
“मैडम! हमें साढ़े आठ बजे तक सन्दीप मित्तल से मिलना था, लेकिन इन गलियों से गुजरते हुए हमें काफी टाइम लग चुका है, अगर हम पांच मिनट में वहां नहीं पहुंचे तो वो वहां से चला जाएगा...।”
“अब क्या करें?”
“साढ़े आठ बजने में पांच मिनट बाकी हैं मैडम!” उसने रिस्टवॉच पर दृष्टि डाली।
“हमें वहां पहुंचने में कितना समय लग सकता है?” रीमा भारती ने अनुमान लगाते हुए पूछा।
“कम-से-कम पन्द्रह मिनट।” रोजर ने बताया—“इसलिए आप उन्हें फोन पर इत्तला दे दें।”
“क्या ऐसा तुमसे चीफ अंकल ने कहा था?” स्पाई क्वीन ने अनुमान लगाया।
“जी हां, मैडम!”
“क्या कहा था उन्होंने?”
“बॉस ने कहा था कि अगर हम साढ़े आठ बजे तक सन्दीप मित्तल तक नहीं पहुंचे तो वह वहां से चला जाएगा।” रोजर ने जवाब दिया।
“ओह! इसलिए हमारा वहां साढ़े आठ तक पहुंचना बहुत जरूरी है।” रीमा भारती बड़बड़ाई।
“लेकिन आप घबराइये नहीं, मैं सन्दीप मित्तल को फोन करके रुकने के लिए कह देता हूं।”
“तुम्हारे पास उनका फोन नम्बर है?”
“जी मैडम!” रोजर ने जवाब दिया।
“ठीक है, तुम उन्हें फोन करो, वह कुछ देर हमारा वहीं इन्तजार कर लेंगे।”
“मैं उन्हें आठ चालीस तक रुकने को कह देता हूं, तब तक हम वहां पहुंच जाएंगे।”
“ये ठीक रहेगा।” रीमा भारती ने गर्दन हिलाई।
अगले ही क्षण!
रोजर ने अपना मोबाइल निकाला और फोन डायरी में सन्दीप मित्तल का नम्बर देख, उसका कनेक्टिंग बटन पुश करते हुए कान से सटा लिया। कुछ ही क्षणों में दूसरी ओर से सम्बन्ध स्थापित हो गया।
“हैलो....।” दूसरी ओर से स्वर उभरा।
“सर, मैं आई.एस.सी. का सीक्रेट एजेण्ट रोजर बोल रहा हूं।”
“अरे, आप लोग अभी तक पहुंचे क्यों नहीं, मैं कब से आप लोगों की प्रतीक्षा कर रहा हूं।”
“सर! एक प्रॉब्लम हमारे बीच आ गई थी, इसलिए हम आप तक नहीं पहुंच पाए।”
“कैसी प्रॉब्लम?” दूसरी ओर से पूछा गया—“और रीमा भारती जी कहां हैं?”
“इस समय रीमा भारती मैडम मेरे साथ हैं। आपके पास पहुंचने में हम थोड़ा लेट हो जाएंगे, इसलिए आप कोई फिक्र न करके दस मिनट तक हमारा इन्तजार कर लें।” रोजर ने तसल्ली देते हुए समझाया।
“ठीक है, नो प्रॉब्लम।” दूसरी ओर से कहा गया।
“ठीक आठ बजकर चालीस मिनट पर हम आपके पास पहुंच जाएंगे।” रोजर बोला।
“ओ.के.।” इतना कहकर दूसरी ओर से सम्बन्ध विच्छेद हो गया था।
रोजर ने मोबाइल बन्द करके रखा और रीमा भारती से मुखातिब होते हुए बोला—
“वो हमारा इन्तजार कर रहे हैं।”
“वैरी गुड।” रीमा भारती के होठों पर मन्द-मन्द मुस्कान थिरकने लगी—“गाड़ी की स्पीड तेज करो।”
अगले ही क्षण!
रोजर ने गाड़ी की स्पीड तेज कर दी और गाड़ी आंधी-तूफान की तरह दौड़ने लगी।
परन्तु!
यह रफ्तार ज्यादा देर तक नहीं बनी रह सकी थी, उन्होंने दूर से ही सड़क पर एक अवरोध देख लिया था। बीच सड़क में एक गाड़ी उल्टी हुई पड़ी थी। उसे एक बूढ़ा व्यक्ति उलटकर सीधा करने की कोशिश कर रहा था।
लेकिन!
गाड़ी उस बूढ़े की लाख कोशिशों के बाद भी टस-से-मस नहीं हो रही थी।
अगले ही क्षण!
रोजर ने अपनी गाड़ी की स्पीड धीमी कर दी और रीमा भारती की ओर देखते हुए बोला—
“मैडम! मुझे लगता है कि हमें इस बूढ़े की मदद करनी चाहिए।”
“मगर क्यों?”
“इस बूढ़े की कोशिश बता रही है कि ये गाड़ी को सीधा करना चाहता है, मगर बेचारा बार-बार नाकाम हो जाता है।” रोजर ने उस पर तरस खाते हुए कहा।
“लेकिन मैं यह रिस्क बिल्कुल उठाने के मूड में नहीं हूं।” रीमा भारती ने लापरवाही से कहा।
“मैडम! इसमें रिस्क कैसा—।” रोजर ने नम्रतापूर्वक कहा—“हमें तो इस बूढ़े की मदद करनी है...।”
“रोजर! समझने की कोशिश करो, मैं ऐसा करके अपना कीमती वक्त बर्बाद नहीं कर सकती।” एकाएक ही स्पाई क्वीन झल्ला गई।
“तो क्या आप इस बूढ़े को इसी प्रकार छोड़कर चली जाएंगी, इसकी मदद नहीं करेंगी?” रोजर ने उस बूढ़े पर तरस खाते हुए कहा।
“इसकी मदद तो कोई भी कर सकता है, लेकिन हमारा सन्दीप मित्तल तक पहुंचना बहुत जरूरी है।” स्पाई क्वीन ने साफ इन्कार कर दिया।
“लेकिन गाड़ी बीच में उल्टी पड़ी है—हमारा निकलना मुश्किल है।”
“तुम गाड़ी को फास्ट स्पीड दो और साइड से गाड़ी निकालने की कोशिश करो।”
“जहां इतनी देर हो गई, वहां दो-तीन मिनट और सही।” रोजर ने समझाया—“पता नहीं ईश्वर किस रूप में आकर अपने बन्दों की आजमाइश लेता है।”
“यह हमारे तुम्हारे बीच में ईश्वर कहां से आ गया?” रीमा भारती ने उसकी ओर घूरा।
“परमात्मा के तो अनेकों रूप हैं, इसलिए हमें इस बूढ़े की मदद कर देनी चाहिए।”
रोजर की बात सुनकर रीमा भारती ने घूरने वाले अन्दाज में उसकी ओर देखा और बोली—
“तुम्हें इस बूढ़े की कुछ ज्यादा फिक्र नहीं हो रही है, जबकि तुम जानते हो कि....!”
“हो सकता है इसकी मदद न करके हमें कोई भारी नुकसान पहुंचे, और बाद में हमें पछताने का भी मौका न मिले।” रोजर ने रीमा भारती को विवश करते हुए कहा।
स्पाई क्वीन ने कुछ क्षणों तक रोजर की बात पर सोचा, फिर गम्भीर मुद्रा में बोली—
“ठीक है....हम गाड़ी सीधी कर देते हैं।” वह गाड़ी से नीचे उतर गई।
रोजर भी गाड़ी से उतरकर बूढ़े के नजदीक पहुंचा और गाड़ी सीधी करने करने लगा।
स्पाई क्वीन ने भी गाड़ी में जोर लगाया तो गाड़ी सीधी हो गई।
बूढ़े ने अपने दोनों कांपते हुए हाथ स्पाई क्वीन के सामने जोड़ते हुए कहा—
“आप लोगों का बहुत-बहुत धन्यवाद। वरना मैं कब तक यहां लगा रहता...।”
“कोई बात नहीं बाबा! यह तो हमारा फर्ज था।” रीमा भारती ने उसके हाथ पकड़ते हुए तसल्ली दी।
अचानक!
किसी ने स्पाई क्वीन की पिण्डली पर भारी तथा मजबूत रॉड का प्रहार किया।
अगले ही क्षण!
शिकारियों की मलिका लड़खड़ाई और अपनी सांसों को खींचती घुटनों के बल सड़क पर गिरी।
फिर से उस पर प्रहार किया गया।
यह दूसरा वार था, जो पूरी शक्ति के साथ उसकी कमर पर किया गया था। भारी-भरकम वस्तु से उसकी कमर पर नील पड़ गया था।
जिस्म का रोम-रोम मारे दर्द के मचल गया। शरीर की एक-एक नस में दर्द की झनझनाहट फैल गई। उसके मुंह से दर्दभरी कराह फूटने लगी।
इस दर्द ने उसके शरीर के एक-एक अंग को सुन्न पड़ जाने पर मजबूर कर दिया था।
लेकिन!
वह शरीर घायल शेरनी रीमा भारती का था। उसकी सबसे बड़ी विशेषता यह थी कि चोट लग जाने पर इस शरीर की ताकत कम होने की बजाय और भी बढ़ जाती थी।
उसके शरीर के अंग जोश में आकर अकड़ जाते थे और आंखों से चिंगारियां उठने लगती थीं।
एकाएक ही,
घायल शेरनी फुर्ती के साथ उठी और सुर्खी भरी निगाहों से अपने दुश्मनों को घूरा, जो ठीक उसके पीछे खड़े ठहाके लगा रहे थे।
वह तीन आदमी थे, और तीनों के हाथों में उस समय हॉकी थीं, और तीनों ही अपनी-अपनी हॉकियों को इधर-उधर हिला-डुला रहे थे।
रीमा भारती ने अपनी दृष्टि चारों ओर घुमाई, चारों ओर मैदान साफ नजर आ रहा था।
उसे रोजर कहीं भी नजर नहीं आ रहा था। शायद उन लोगों ने जख्मी करके उसे इधर-उधर डाल दिया था। रीमा भारती की चिन्ता और भी अधिक बढ़ गई।
उसी समय!
उसकी नजर सामने खड़े बूढ़े पर पड़ी, वह मर्सडीज के पीछे खड़ा सूखे पत्ते की तरह कांप रहा था।
अचानक!
वहां खड़े तीन व्यक्तियों में से एक ने थ्रिल क्वीन के कन्धे पर हॉकी का जबरदस्त वार करने की कोशिश की, लेकिन उनकी कोशिश नाकाम रही।
क्योंकि!
अब घायल शेरनी उनके प्रहार को नाकाम करने के लिए खुद को तैयार कर चुकी थी।
जिस समय उस व्यक्ति ने हॉकी ऊपर करके रीमा भारती के कन्धे पर वार किया—तो घायल नागिन ने उसके हाथ से हॉकी ही छीनकर उसके पेट पर लात का भरपूर वार किया।
लात का वार सहन न करते हुए वह व्यक्ति सांड की तरह डकराता हुआ दस फुट पीछे जा गिरा।
गिरने वाले व्यक्ति के साथी अपनी हॉकी सम्भालते हुए घायल शेरनी की तरफ बढ़े—तो इस शिकारी बिल्ली ने हवा में फ्लाइंग जम्प लगाकर दोनों व्यक्तियों के सीनों में लातें जड़ दीं।
“ध....म....म....!”
धम्म की आवाज के साथ वह दोनों सड़क पर आकर गिरे थे। उन दोनों का सिर सड़क से जा टकराया था।
अगले ही क्षण!
शिकारी बिल्ली उन दोनों पर कुछ इस तरह से झपटी कि उन दोनों की चीखें निकल गईं।
घायल शेरनी ने हॉकी का शक्तिशाली वार उन दोनों के पेट पर किया था। वह दोनों सड़क पर पड़े किसी कीड़े की भांति बिलबिला रहे थे।
अब उन दोनों का दोबारा उठकर खड़ा होना मुश्किल था। उनकी हालत बेहद गम्भीर थी।
लेकिन!
वह तीसरा व्यक्ति जो लात लगने पर दस फुट दूर जाकर गिरा था, खूंखार होकर कातिल कन्या के सामने आकर खड़ा हो गया था और उसे घूर रहा था।
घायल शेरनी हॉकी हाथ में लिए उसकी तरफ बढ़ी और अचानक उसके घुटने पर हॉकी कुछ इस तरह मारी कि उसके घुटने की हड्डी चूर-चूर हो गई।
दर्द से तड़पकर किसी पागल कुत्ते की तरह चिल्लाता हुआ वह शख्स सड़क पर गिरा और बुरी तरह तड़पने लगा।
वह तीनों व्यक्ति एक ही मुद्रा में सड़क पर पड़े रेंगते कीड़े की भांति बिलबिला रहे थे।
अगले ही क्षण!
कातिल कन्या ने अपना पिस्टल निकाला और एक आदमी के माथे पर पिस्टल की नाल रखते हुए बोली—
“बोल....तुझे किसने भेजा था....तुम तीनों किसके आदमी हो....और मुझसे क्या चाहते हो?”
इससे पहले कि वह व्यक्ति कुछ बोल पाता, एक धमाका स्पाई क्वीन के पीछे हुआ। वह धमाका स्पाई क्वीन से छः फुट की दूरी पर हुआ था।
धमाका होने पर उड़ते धुएं से स्पाई क्वीन समझ गई कि धुएं की लपेट में आ जाने से वह अपने पूरे होशो-हवास खो बैठेगी।
स्पाई क्वीन इस खतरे से खुद को बचा नहीं पाई थी, जिसका उसे डर था वही हुआ।
धुआं वातावरण में इतनी तेजी से फैल गया था कि उससे बच पाना मुश्किल ही नहीं, नामुमकिन हो गया था स्पाई क्वीन के लिए।
धुएं का स्पर्श पाकर वह अपने शरीर को बेजान महसूस करने लगी थी। उसकी पलकों का भारी हो जाना कह रहा था कि क्षण भर में ही वह बेहोश होकर लड़खड़ाती हुई जमीन पर गिर पड़ेगी, और ठीक वैसा ही हुआ था।
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Additional information
Book Title | कफन कम पड़ेगा : Kafan Km Pardega |
---|---|
Isbn No | |
No of Pages | 366 |
Country Of Orign | India |
Year of Publication | |
Language | |
Genres | |
Author | |
Age | |
Publisher Name | Ravi Pocket Books |
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