Abhimanyu Ka Chakravyu : अभिमन्यु का चक्रव्यूह

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Description

केशव पंडित श्रृंखला का पहला उपन्यास अभिमन्यु पंडित द्वारा|
केशव पंडित जो कलयुग के अभिमानु द्वारा रचे गए मौत के चक्रव्यूह में फंसकर भी ठहाके लगा रहा है|

“बाजीगरी के छोटे—छोटे तमाशे दिखाकर तुम केशव को रिटायर नहीं कर सकते सिंगही। वक्ती तौर पर भले ही अलफांसे तुम्हारे झांसे में आ गया हो, लेकिन मैं नहीं आ सकता। अलफांसे को इसलिये शीशे में उतार सकते हो, क्योंकि उसकी जमीन में जुर्म की खाद पड़ी है— जुर्म की इसी खाद ने उसे वटवृक्ष बनाया है। लेकिन मेरी जड़ों मैं देश भक्ति और कानून की खाद और पानी पड़ा है। यह वह शीशा है जो किसी शीशे में नहीं उतारा जा सकता। इससे सिर टकराओगे तो चेहरा लहूलुहान हो जायेगा।”

“तो फिर तू भी सुन ले कानून के पुत्र— तेरे लिये अभिमन्यु ने चक्रव्यूह रच दिया है। मैं भी देखूंगा कि तू कैसे इस चक्रव्यूह का द्वार भेद पायेगा। द्वापर युग में एक चक्रव्यूह द्रोणाचार्य ने रचा था, जिसके छ: दरवाजे तो अभिमन्यु ने तोड़े थे, लेकिन सातवें द्वार को नहीं भेद सका, और मारा गया, यह चक्रव्यूह कलयुग के अभिमन्यु ने तैयार किया है। और अपने बाप अर्जुन यानी केशव पण्डित के लिये तैयार किया है।

 

प्रस्तुत उपन्यास के सभी पात्र एवं घटनायें काल्पनिक हैं। किसी जीवित अथवा मृत व्यक्ति से इनका कतई कोई सम्बन्ध नहीं है। समानता संयोग से हो सकती है। उपन्यास का उद्देश्य मात्र मनोरंजन है। प्रस्तुत उपन्यास में दिए गए हिंसक दृश्यों, धूम्रपान, मधपान अथवा किसी अन्य मादक पदार्थों के सेवन का प्रकाशक या लेखक कत्तई समर्थन नहीं करते। इस प्रकार के दृश्य पाठकों को इन कृत्यों को प्रेरित करने के लिए नहीं बल्कि कथानक को वास्तविक रूप में दर्शाने के लिए दिए गए हैं।  पाठकों से अनुरोध है की इन कृत्यों वे दुर्व्यसनों को दूर ही रखें। यह उपन्यास मात्र 18 + की आयु के लिए ही प्रकाशित किया गया है। उपन्यासब आगे पड़ने से पाठक अपनी सहमति दर्ज कर रहा है की वह 18 + है।

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Additional information

Book Title

Abhimanyu Ka Chakravyu : अभिमन्यु का चक्रव्यूह

Isbn No

No of Pages

396

Country Of Orign

India

Year of Publication

2010

Language

Genres

Author

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Publisher Name

Ravi Pocket Books

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